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Paris Olympics 2024: सेकंड के 5000वें हिस्से के अंतर से जीता रेसर! जानिए USA के Noah Lyles कैसे बने 100 मीटर स्प्रिंट के नए ओलंपिक चैंपियन

100 M Champion Noah Lyles: इस रेस के शुरू होने से पहले लाइल्स इस साल के सबसे तेज आदमी नहीं थे. सेमीफाइनल में भी लाइल्स दूसरे स्थान पर रहे थे. लेकिन जब सबसे बड़े मंच पर प्रदर्शन करने की बारी आई तो लाइल्स ने वह कर दिखाया जो उनसे पहले किसी ने नहीं किया था.

Noah Lyles (centre) wins the 100m sprint. (Reuters Photo) Noah Lyles (centre) wins the 100m sprint. (Reuters Photo)
हाइलाइट्स
  • अमेरिका के लाइल्स बने नए 100 मीटर ओलंपिक चैंपियन

  • जमैका के थॉम्पसन को दी मात

अमेरिका के नोआह लाइल्स (Noah Lyles) आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे तेज आदमी बन गए हैं. उन्होंने पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) में 100 मीटर स्प्रिंट का गोल्ड जीत लिया है. बहुत कम लोगों को उम्मीद होगी कि लाइल्स जमैका के किशेन थॉम्पसन (Kishane Thompson) को हराकर यह गोल्ड मेडल जीतेंगे, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं होगी कि वह एक सेकंड के पांच हजारवें हिस्से में यह कारनामा करेंगे. 

सेमीफाइनल में रहे दूसरे स्थान पर 
इस रेस के शुरू होने से पहले लाइल्स इस साल के सबसे तेज आदमी नहीं थे. थॉम्पसन ने जमैका के राष्ट्रीय ट्रायल्स ने 9.77 सेकंड में 100 मीटर दौड़कर यह रिकॉर्ड अपने नाम रखा था. फाइनल रेस से पहले पहली हीट में भी लाइल्स दूसरे स्थान पर रहे थे. जमैका के ओब्लीक सेविल ने पहला स्थान हासिल किया था.

लाइल्स जानते थे कि यह रेस उनके लिए आसान नहीं होने वाली है लेकिन जब वक्त आया तो उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धावकों को पीछे छोड़कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया. लाइल्स ने 9.784 सेकंड में दौड़ पूरी की, जबकि थॉम्पसन ने 9.789 सेकंड का समय लिया. दोनों के बीच अंतर सिर्फ 0.005 सेकंड का था लेकिन यही फर्क लाइल्स को दुनिया का सबसे तेज आदमी बनाने के लिए काफी था. 

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लाइल्स ने जीत के बाद यूरोस्पोर्ट से कहा, "रेस के बाद मैं किशेन के पास गया और कहा, सच कहूं तो मुझे लगता है कि तुम यह रेस जीत गए हो. मैं लीडरबोर्ड पर उनका नाम देखने के लिए तैयार था. फिर जब मुझे अपना नाम दिखा तो मुझे लगा वाह, मैं तो अद्भुत हूं!" 

उन्होंने कहा, "जब मैंने स्कोरबोर्ड पर अपना नाम देखा तो सोचा कि यह गोल्ड मैंने धीमे खिलाड़ियों के खिलाफ नहीं जीता है. मैंने यह जीत सबसे बड़े मंच पर, सबसे ज्यादा दबाव के साथ, सबसे अच्छे खिलाड़ियों के खिलाफ हासिल की है." 

पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे थॉम्पसन ने सिल्वर मेडल से संतोष किया. लाइल्स के हमवतन फ्रेड किरले ने 9.81 सेकंड के समय के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता जबकि साउथ अफ्रीका के अकानी सिम्बाइन 9.82 सेकंड के समय के साथ चौथे स्थान पर रहे. 

थॉम्पसन ने गोल्ड से चूकने पर कहा, "बात सिर्फ इतनी नहीं है कि मैं गोल्ड नहीं जीता, बल्कि यह भी है कि मैं खुद को बेहतर नहीं बना पाया. आज इतने सारे महान प्रतिद्वंदियों के खिलाफ दौड़कर मैंने बहुत सारा अनुभव हासिल किया है. लेकिन मैं खुद पर और अपनी रफ्तार पर गोल्ड लाने के लिए भरोसा नहीं कर सका, जो मेरी हार का कारण बना." 

कभी बोल्ट का था दबदबा, अब लाइल्स ने संभाली गद्दी
पुरुषों की 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में ओलंपिक से लेकर वर्ल्ड चैंपियनशिप तक कभी उसैन बोल्ट का दबदबा रहा करता था. बीजिंग ओलंपिक 2008, लंदन ओलंपिक 2012 और रियो ओलंपिक 2016 की 100 और 200 मीटर दौड़ में बोल्ट ने गोल्ड मेडल जीते थे. दोनों प्रतियोगिताओं का वर्ल्ड रिकॉर्ड अब भी बोल्ट के पास ही है.

पुरुषों की 100 मीटर दौड़ में बोल्ट 9.58 का रिकॉर्ड बना चुके हैं, जबकि 200 मीटर की दौड़ उन्होंने 19.19 सेकंड में पूरी की थी. लाइल्स ये वर्ल्ड रिकॉर्ड तो नहीं तोड़ सके हैं लेकिन इस साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में दोनों दौड़ जीतकर उन्होंने दुनिया के मौजूदा सबसे तेज आदमी की गद्दी जरूर संभाल ली है. अब 100 मीटर में गोल्ड जीतने के बाद वह नौ अगस्त, शुक्रवार को पेरिस ओलंपिक के 200 मीटर फाइनल में हिस्सा लेंगे.