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Irani Cup: सिर्फ दो टीमें ही ईरानी कप में क्यों ले सकती हैं हिस्सा, भारत के इस घरेलू टूर्नामेंट का क्या है इतिहास…कैसे शुरू हुआ...जानिए रणजी ट्रॉफी से क्या है इसका कनेक्शन?

Irani Cup: ईरानी कप (Irani Trophy) इंडिया का बेहद जरूरी डोमेस्टिक टूर्नामेंट है. ईरानी कप रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के तुरंत बाद होता है. ईरानी कप को बीसीसीआई (BCCI) करवाता है. साल में एक बार होने वाले ईरानी कप में दो ही टीमें हिस्सा ले सकती हैं.

Irani Trophy (Photo Credit: PTI) Irani Trophy (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • ईरानी कप 1960 में शुरू हुआ था

  • ईरानी कप में दो ही टीमें खेलती हैं

  • ईरानी ट्रॉफी रणजी के तुरंत बाद होती है

Irani Cup: लखनऊ के इकाना क्रिकेट स्टेडियम (Ekana Cricket Stadium Lucknow) में मुंबई और रेस्ट ऑफ इंडिया (Mumbai vs Rest of India) के बीच ईरानी कप (Irani Trophy) चल रहा है. मुंबई के कप्तान अंजिक्या रहाणे हैं और रेस्ट ऑफ इंडिया के कप्तान ऋतुराज गायकवाड़ हैं. 

ईरानी कप में मुंबई ने टॉस हारकर पहले बैटिंग की. ईरानी कप भारत का बेहद जरूरी और फेमस डोमेस्टिक टूर्नामेंट है. ईरानी कप साल 1960 में शुरू हुआ था. ईरानी कप में दो ही टीमें खेलती हैं. आइए जानते हैं ईरानी कप में दो ही टीमें क्यों हिस्सा ले पाती हैं? 

दो ही टीमें क्यों?
ईरानी कप फर्स्ट क्लास फॉरमेट के तहत खेला जाता है. ये घरेलू टूर्नामेंट साल में एक बार खेला जाता है. इसकी शुरूआत 1959-60 में हुई थी. ईरानी कप भारत का इकलौता घरेलू टूर्नामेंट है जिसमें सिर्फ दो ही टीमें हिस्सा ले सकती हैं.

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ईरानी कप में सिर्फ दो ही टीमें ही हिस्सा ले पाती है. इसकी वजह है मैच की संख्या. ईरानी कप में सिर्फ एक ही मैच होता है. इस वजह से इस घरेलू टूर्नामेंट में दो टीमें भाग लेती हैं. ईरानी कप में रणजी टूर्नामेंट की चैंपियन टीम और रेस्ट ऑफ इंडिया टीम के बीच होता है. रेस्ट ऑफ इंडिया टीम के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से प्लेयर्स को चुना जाता है.

कैसे शुरू हुआ ईरानी कप?
ईरानी कप के शुरू होनी की कहानी रणजी ट्रॉफी से जुड़ी है. इसकी शुरूआत साल 1959-60 में हुई थी. पहली बार ईरानी कप दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में खेला गया था. इस ग्राउंड को अब अरुण जेटली स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. रणजी टूर्नामेंट के 25 साल पूरा होने पर ईरानी कप खेला गया था. इरानी कप को शुरू करने का मकसद घरेलू क्रिकेट को और अधिक रोमांचक बनाना था.

शुरूआत में ईरानी कप को हर साल साल करवाने की योजना नहीं थी. साल 1962-63 में बीसीसीआई ने ईरानी कप को हर साल कराने का फैसला किया. ईरानी कप को बीसीसीआई करवाता है. इस टूर्नामेंट का नाम जाल आर. ईरानी के नाम पर रखा गया. जाल आर. ईरानी बीसीसीआई के प्रेसिडेंट और कोषाध्यक्ष रहे हैं. आर. ईरानी ने बीसीसीआई में अहम योगदान दिया था. उन्हीं के नाम पर ईरानी कप का नाम रखा गया.

रणजी के बाद ईरानी कप
ईरानी कप पांच दिन का मैच होता है. हर दिन लगभग 90 ओवर का मैच होता है. पहले ईरानी कप डोमेस्टिक सीजन खत्म होने के बाद किया जाता था. साल 2013 में पहली बार रणजी ट्रॉफी के तुरंत बाद ईरानी कप हुआ. तब से हर साल ईरानी कप रणजी ट्रॉफी के तुरंत बाद खेला जाता है.

कौन-कौन टीमें बनीं चैंपियन
ईरानी कप के अब तक 61 सीजन हो चुके हैं. इसमें से सबसे ज्यादा रेस्ट ऑफ इंडिया ने 26 बार ईरानी कप जीता है. वहीं मुंबई 12 बार ईरानी कप की चैंपियन बनी है. ईरानी कप की तीसरी सबसे सफल टीम कर्नाटक है. कर्नाटक अब तक 8 बार ये टूर्नामेंट जीत चुकी है.

इसके अलावा 8 मौके ऐसे हैं जब ईरानी कप का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. दिल्ली दो बार ईरानी कप की चैंपियन बनी. वहीं तमिलनाडु, हरियाणा और हैदराबाद 1-1 बार ईरानी कप जीतने में कामयाब रहा.

टूर्नामेंट के बड़े रिकॉर्ड्स
ईरानी कप में कई बड़े रिकॉर्ड्स बने हैं. ईरानी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन वसीम जाफर के नाम हैं.  वसीम जाफर ने ईरानी कप में 1294 रन बनाए हैं. इरानी कप में एक पारी में सबसे ज्यादा सिक्स लगाने का रिकॉर्ड जहीर खान के नाम है. जहीर खान ने 2004 में ईरानी कप में 6 छक्के लगाए थे.  

बॉलिंग में पदमाकर काशीनाथ शिवालकर ने इरानी कप में सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं. शिवालकर के नाम 10 मैचों में 51 विकेट हैं. इस लिस्ट में अनिल कुंबले भी शामिल हैं. अनिल कुंबले ने 5 मैच में 33 विकेट लिए हैं.