Para Archery Championship Sheetal Devi: पैरा तीरंदाजी चैंपियनशिप 2023 में भारत की शीतल देवी ने इतिहास रच दिया है. शीतल देवी महिला वर्ग के कंपाउंड इवेंट के फाइनल में पहुंच गई और विश्व फाइनल में जगह बनाने वाली पहली महिला आर्मलेस तीरंदाज बन गई. विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप 2023 का आयोजन चेक रिपब्लिक के शहर पिल्सेन में किया जा रहा है.
शीतल देवी ने रचा इतिहास
16 वर्षीय शीतल ने एथलीट ने प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के कंपाउंड इवेंट महिला वर्ग में सराहनीय प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बनाई है. शीतल ने सेमीफ़ाइनल में अपनी हमवतन सरिता को हराकर फाइनल में पहुंची है और अब वह फाइनल में जबरदस्त प्रदर्शन दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार है. सेमीफाइनल में उन्होंने 137-133 के स्कोर से जीत हासिल की. शीतल को तीरंदाजी से बेहद लगाव है, जिसकी झलक उनके खेल में साफ देखने को मिलती है.
जम्मू-कश्मीर की है शीतल देवी
दुनिया की एकमात्र बिना हाथ वाली महिला तीरंदाज शीतल देवी अगले साल पेरिस में होने वाले पैरालंपिक खेलों के लिए कोटा हासिल करने की उम्मीद से विश्व तीरंदाजी पैरा चैंपियनशिप में हिस्सा लेंगी. जम्मू-कश्मीर के लोही धार गांव की रहने वाली 16 वर्षीय, जम्मू की माता वैष्णोदेवी तीरंदाजी अकादमी की प्रशिक्षु है.
खेलो इंडिया नेशनल्स में भी दिया रजत पदक
खेलो इंडिया नेशनल्स और महिला खेलो इंडिया गेम्स में क्रमशः एक रजत और एक कांस्य पदक जीता है. 16 साल की उम्र में शीतल युवाओं की रोल मॉडल बन गई हैं. शीतल के कोच कुलदीप वेदवान को भरोसा है कि वह पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करेंगी.
NGO ने बदल दी जिंदगी
शीतल ने कुछ समय एक इटरव्यू में बता कि सामान्य जीवन जीने और एक शिक्षक बनने के लिए प्रोस्थेटिक्स का सपना देखा था. लेकिन, बेंगलुरु में 'Being you' नाम का एनजीओ चलाने वाली प्रीति राय से मिलने के बाद उनकी जिंदगी में काफी बदलाव आया. प्रीति ने ही उनकी मूल ताकत को पहचाना और उन्हें तीरंदाजी को एक करियर विकल्प के रूप में चुनने के लिए प्रेरित किया.