अगर आप भी पेरिस पैरा ओलंपिक (Paris Paralympics 2024) देख रहे हैं, तो आपको PR1, W1, T51, F58, SL4, KL3 और SM11 जैसे अक्षर और संख्या जरूर देखने को मिल रही होंगी. ये कोई सीक्रेट कोड या टेस्ट क्वेश्चन नहीं हैं बल्कि एक तरह के संकेत हैं जो एथलीटों को उनकी दिव्यांगता के हिसाब से बांटने में मदद करते हैं.
जहां ओलंपिक में 100 मीटर में एक सबसे तेज पुरुष और एक सबसे तेज महिला होती है, पैरालंपिक में ये क्लासिफिकेशन काफी अलग होता है. इसमें समान दूरी पर पुरुषों के लिए 16 और महिलाओं के लिए 13 अलग-अलग कैटेगरी होती हैं. ये सभी खिलाड़ियों की दिव्यांगता पर निर्भर करती हैं.
पैरा गेम्स में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी प्रतियोगिताएं निष्पक्ष हों. अगर किसी खिलाड़ी को सही कैटेगरी में ने डाला जाए तो दूसरे एथलीट उसपर हावी हो सकते हैं. इस तरह की क्लासिफिकेशन का मकसद केवल यही होता है कि एक जैसे खिलाड़ी आपस में भाग लें.
पैरालंपिक में कैसे होता है क्लासिफिकेशन?
पैरालंपिक क्लासिफिकेशन (Paralympics Classification) एक ऐसा सिस्टम है जिसे अलग-अलग तरह की दिव्यांगता वाले एथलीटों के बीच खेल के मैदान को बराबर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. ये क्लासिफिकेशन ये बताते हैं कि आखिर कौन सा खिलाड़ी किस खेल में भाग लेगा और किसके साथ खेलेगा.
इंटरनेशनल पैरालंपिक कमेटी (IPC) के अनुसार, खिलाड़ी को ऐसी हेल्थ कंडीशन होनी चाहिए जो उन्हें काफी समय से चलती आ रही हो. इसे परमानेंट एलिजिबल इम्पेयरमेंट (Permanent eligible Impairment) कहा जाता है.
कौन ले सकता है भाग?
पैरालंपिक खेल उन एथलीटों के लिए खुले हैं, जिनमें दस पात्र प्रकार की दिव्यांगताओं में से एक है:
1. शारीरिक दिव्यांगता: इनमें ऐसी स्थिति में शामिल हैं जो बायोमैकेनिकल एक्टिविटी को सीमित करती हैं, जैसे:
- मांसपेशियों की ताकत में कमी (Impaired muscle power)
-मूवमेंट की रेंज में कमी.
-कोई अंग न हो.
-पैर की लंबाई में अंतर.
-हाइपरटोनिया.
-अटैक्सिया.
-एथेटोसिस.
-छोटा कद.
2. दिखाई न देना या कम दिखना.
3. बौद्धिक दिव्यांगता: इसमें एथलीट की निर्णय लेने या निर्देशों को समझने की क्षमता प्रभावित होती है.
हर पैरालंपिक खेल में हर तरह की दिव्यांगता नहीं होती. इसका मतलब है कि कोई जरूरी नहीं है कि खिलाड़ी को हर तरह की परेशानी हो. जैसे एथलेटिक्स और स्विमिंग में सभी दस कैटेगरी शामिल हैं, जबकि जूडो में केवल विजुअल इम्पेयरमेंट वाले एथलीट ही शामिल हैं.
हर खेल के अपने मापदंड होते हैं
बता दें, हर खेल के अपने मानदंड होते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि एथलीट किसी खेल में भाग ले सकता है या नहीं. उदाहरण के लिए, एथलेटिक्स में, छोटे कद वाले एथलीटों के लिए हाइट की एक लिमिट से होती है.
स्पोर्ट की क्लास भी होती है तय
एक बार एथलीट जब एलिजिबल हो जाता है तो उसे स्पोर्ट्स क्लास (Sports Class) में बांटा जाता है. एक स्पोर्ट क्लास में वे एथलीट शामिल होते हैं जिनकी दिव्यांगता उसी तरह उस खेल में प्रदर्शन करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करती है. उदाहरण के लिए, पैराप्लेजिया (पैरों और शरीर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज) वाले एथलीट और उन एथलीट के साथ प्रतिभागी बन सकते हैं जिनके पैर पैरालाइज हो चुके हैं. ये दोनों ही व्हीलचेयर रेसिंग (Wheelchair Racing) में भाग ले सकते हैं.
सभी करते है आकलन
एथलीट कौन से खेल को खेल सकता है ये निर्धारित करने के लिए एक बड़ी टीम होती है. इसमें फिजियोथेरेपिस्ट से लेकर फिजिशियन, कोच, खेल वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और ऑय स्पेशलिस्ट शामिल होते हैं. ये विशेषज्ञ शारीरिक और तकनीकी दोनों तरह के आकलन करते हैं और एथलीट को क्वालीफाई करने से पहले प्रतियोगिता में देखते हैं.
अक्षरों और संख्याओं को डिकोड कैसे किया जाता है?
पैरालंपिक क्लासिफिकेशन में आप जो अक्षर और संख्या देखते हैं, उन सबका अपना मतलब होता है.
1. एथलेटिक्स (ट्रैक और फील्ड)
-T (ट्रैक) और F** (फील्ड) का उपयोग ट्रैक और फील्ड इवेंट के बीच अंतर करने के लिए किया जाता है.
-संख्या 11-13 विजन इम्पेयरमेंट को दिखाती है.
-संख्या 20 इंटेलेक्चुअल इम्पेयरमेंट को दिखाती है.
-संख्या 31-38 कोर्डिनेशन इम्पेयरमेंट वाले एथलीटों के लिए हैं.
-संख्या 40-47 छोटे कद या लिंब इम्पेयरमेंट वाले एथलीटों को दर्शाती हैं.
-T51-T54 व्हीलचेयर दौड़ के लिए हैं.
-F51-F58 बैठकर कुछ फेंकने वाले खेलों के लिए है.
-संख्या 61-64 नीचे की बॉडी के पैरालिसिस को दिखाती है.
2. स्विमिंग
-S बटरफ्लाई, बैकस्ट्रोक और फ्रीस्टाइल इवेंट के लिए है.
-SB का मतलब ब्रेस्टस्ट्रोक है.
-SM मल्टी-स्विमिंग इवेंट (जैसे मेडले) को दर्शाता है.
3. व्हीलचेयर बास्केटबॉल और व्हीलचेयर रग्बी
-इसमें प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी दिव्यांगता के लेवल के आधार पर अंक दिए जाते हैं. अंक जितने कम होंगे, दिव्यांगता उतनी ही गंभीर होगी.
गौरतलब है कि अगर कोई एथलीट जानबूझकर फायदे के लिए गलत तरीके से खेल में भाग लेता है तो वह पकड़ा जा सकता है. इसे क्लासिफिकेशन डोपिंग के रूप में जाना जाता है. पहली बार अपराध करने पर, एथलीट को चार साल तक के लिए बैन किया जा सकता है.