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Paris Paralympics 2024: मौत को हराने वाली प्रीति पाल ने पैरालंपिक में रचा इतिहास, पैसों की कमी के बावजूद नहीं मानी हार, जानिए इनकी कहानी

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालिंपिक (Paris Paralympics 2024) में प्रीति पाल (Priti Pal) ने महिलाओं की टी35 100 मीटर रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीता है. प्रीति पाल पैरालंपिक में रेस ट्रैक में मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट (Priti Pal Bronze Medal) बन गईं हैं. पेरिस पैरालंपिक में भारत अब तक चार मेडल जीत चुका है.

Priti Pal Paris Paralympics 2024 (Photo Credit: Getty Images) Priti Pal Paris Paralympics 2024 (Photo Credit: Getty Images)

Paris Paralympics 2024: कहते हैं जो जिंदगी की लड़ाई में कभी हार नहीं मानते हैं, उनकी जीत जरूर होती है. पेरिस पैरालंपिक 2024 (Paris Paralympics 2024) में इतिहास रचने वाली प्रीति पाल (Priti Pal) की कहानी कुछ ऐसी ही है. प्रीति पाल ने पेरिस पैरालंपिक में महिलाओं की टी35 100 मीटर रेस में ब्रॉन्ज मेडल (Priti Pal Bronze Medal) जीता है.

प्रीति पाल पैरालंपिक में रेस में मेडल लाने वाली पहली भारतीय एथलीट बन गईं हैं. प्रीति ने 100 मीटर की रेस में पेरिस 14.31 सेकंड का समय लिया. पेरिस पैरालंपिक में भारत अब तक 4 मेडल ला चुका है. 

पेरिस पैरालंपिक में प्रीति पाल के अलावा भारत की ओर से तीन मेडल शूटिंग में आए हैं. शूटिंग में अवनि लेखरा (Avani Lekhara) ने गोल्ड मेडल और मोना अग्रवाल (Mona Agrawal) ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है. वहीं मनीष नरवाल (Manish Narwal) ने एयर पिस्टल इवेंट में सिल्वर मेडल जीता है. 

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इससे इतर पेरिस पैरालंपिक के ट्रैक में प्रीति पाल ने मेडल लाकर भारत की खुशी को दोगुना कर दिया है. आइए जानते हैं अपनी छोटी-सी जिंदगी में कई मुश्किलों को पार करने वाली प्रीति पाल की कहानी.

जन्म से ही मौत से लड़ाई
प्रीति पाल एक किसान परिवार से आती हैं. प्रीति पाल का जन्म 22 सितंबर 2000 को हुआ था. जन्म के समय से ही प्रीति का शरीर बेहद कमजोर था. पैदा होने के 6 दिन बाद ही प्रीति पाल के शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर बांधना पड़ा.

कमजोर पैरों की वजह से प्रीति को काफी परेशानी हुई. कई सालों तक प्रीति का इलाज चला लेकिन कुछ खास फायदा नहीं हुआ. प्रीति जब पांच साल की हुईं तो उनको कैलीपर्स पहनना शुरू कर दिया. लगभग 8 साल तक प्रीति कैलीपर्स पहने रहीं.

कई लोगों को ऐसा लगता था कि प्रीति ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाएंगी. प्रीति ने अपनी शरीर को कमजोरी को अपनी लाचारी नहीं बनने दिया. अपनी जिद और मेहनत की वजह से प्रीति पाल ने मौत को भी हरा दिया.

सोशल मीडिया ने बदली जिंदगी
प्रीति पाल 16 साल की उम्र तक जिंदगी की लड़ाई लड़ती रहीं. 17 साल की उम्र में प्रीति की जिंदगी उस समय बदल गई जब उसने सोशल मीडिया पर पैरालंपिक गेम्स देखे. इससे प्रीति को मोटिवेशन मिला और अपने सपने को साकार करने का एक जरिया मिला.

प्रीति ने पैरालंपिक को अपना लक्ष्य बनाया और स्टेडियम में प्रैक्टिस करने लगी. पैसों की कमी की वजह से प्रीति की फैमिली को आने-जाने का खर्चा उठाने में मुश्किल आ रही थी. इसी दौरान प्रीति की मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई.

फातिमा खातून ने प्रीति को पैरा-एथलेक्टिस से मिलवाया. फातिमा के सपोर्ट की वजह से प्रीति पाल ने 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपयनशिप में भाग लिया. इसके बाद प्रीति ने कई सारे नेशनल इवेंट्स में हिस्सा लिया.

प्रीति के अचीवमेंट्स
अपनी मेहनत और जुनून की वजह से प्रीति पाल ने एशियाई पैरा गेम्स 2022 में क्वालिफाई किया. इस इवेंट में प्रीति 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिट्स में चौथे पायदान पर रहीं. मेडल ना मिलने के बाद भी प्रीति ने हार नहीं मानी.

इसके बाद और सुधार के लिए प्रीति दिल्ली में ट्रेनिंग के लिए कोच गजेन्द्र सिंह के पास गईं. लगभग दो साल प्रीति ने दिल्ली में कड़ी मेहनत की. इसी मेहनत की बदौलत प्रीति को वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चुना गया.

वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में प्रीति पाल ने 100 मीटर और 200 मीटर रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीते. इसके बाद प्रीति ने पेरस पैरालंपिक 2024 के लिए क्वालिफाई किया. प्रीति ने पेरस पैरालंपिक 2024 में इतिहास रचते हुए बॉन्ज मेडल जीता है. प्रीति पाल की कहानी हर किसी को प्रेरणा देती है और जिंदगी में हार ना मानना सिखाती है.