पेरिस पैरालंपिक 2024 के 5वें दिन योगेश कथुनिया ने मेन्स डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. योगेश ने इससे पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी सिल्वर मेडल जीता था. 27 साल के योगेश हरियाणा के रहने वाले हैं और 9 साल की उम्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित हो गए थे. उन्होंने इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की और अब पैरालंपिक में मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है.
योगेश को मिला सिल्वर मेडल-
योगेश कथुनिया ने पुरुषों के डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता है. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में 42.22 मीटर दूर डिस्कस फेंका और दूसरा स्थान हासिल किया. जबकि ब्राजील के क्लाउडिनी बतिस्ता डॉस सैंटोस ने 46.86 मीटर तक डिस्कस फेंका और गोल्ड मेडल जीता. ग्रीस के कोंस्टांटिनोस ने 41.32 मीटर थ्रो फेंककर ब्रॉन्ज मेडल जीता है.
9 साल की उम्र में हुई थी गंभीर बीमारी-
योगेश के पिता आर्मी में थे और चंडी मंदिर छावनी में तैनात थे. योगेश की पढ़ाई चंडीगढ़ के इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में हुई. योगेश जब 9 साल के थे तो वो पार्क में गिर पड़े थे. जब उनको डॉक्टर से दिखाया गया तो पता चला कि वो गुलियन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित हैं. यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर की मूवमेंट प्रभावित होती है.
इस बीमारी से पीड़ित योगेश के माता-पिता को लगा कि अब उनका बेटा चल नहीं पाएगा. लेकिन उनकी मां मीना देवी ने बेटे के लिए फिजियोथेरेपी सीखी और 3 साल की मेहनत के बाद 12 साल की उम्र में योगेश ने फिर से चलने की ताकत हासिल कर ली. बाद में योगेश कथुनिया ने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया.
टोक्यो पैरालंपिक में भी जीता था सिल्वर-
योगेश कथुनिया ने 2020 पैरालंपिक में भी सिल्वर मेडल जीता था. योगेश ने उस दौरान डिस्कस थ्रो F56 इवेंट में हिस्सा लिया था. उन्होंने 44.38 मीटर थ्रो फेंका और अपना पहला पैरालंपिक सिल्वर मेडल जीता था. देश के लिए मेडल जीतने वाले योगेश को साल 2021 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
ये भी पढ़ें: