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Happy Birthday Neeraj Chopra: बचपन में मोटापे की वजह से चिढ़ाते थे लोग, आज है इंडिया के फिटनेस आइकन

Neeraj Chopra B'day Spl: नीरज और जेवलिन मानो एक दूसरे के लिए ही बने थे, जब नीरज ने पहली बार जेवलिन फेंका, तो वहां मौजूद सारे लोग दंग ही रह गए. बस इसके बाद नीरज ने जेवलिन चुन लिया या कहें जेवलिन ने नीरज को चुन लिया.

Neeraj Chopra Image: बचपन में मोटापे की वजह से चिढ़ाते थे लोग Neeraj Chopra Image: बचपन में मोटापे की वजह से चिढ़ाते थे लोग
हाइलाइट्स
  • स्टेडियम ने बदली नीरज की जिंदगी

  • जिम छोड़ स्टेडियम पहुंचे थे नीरज

  • बचपन में काफी मोटे थे नीरज

Neeraj Chopra Birthday Special: हम सभी कभी ना कभी अपनी ज़िंदगी से हताश हो जाते हैं, चलते चलते थक जाते हैं, जिंदगी की धूप में छांव की तलाश-तलाश करते-करते बस अब रुक जाने का मन करता है, हिम्मत टूट सी जाती है - अगर आपने भी कभी ऐसा ही महसूस किया है तो कहानी शायद आपकी ज़िंदगी बदल सकती है. ये कहनी है कभी हार न मानने की, ये कहानी है जज़्बे की. ये कहानी है उस भारतीय एथलिट की है जो आज से कुछ साल पहले तक अपना वज़न कम करने जिम और ग्राउंड्स के चक्कर लगा रहा था. अपने मोटापे के कारण मज़ाक बनाये जाने वाला लड़का अगले कुछ ही सालों में वर्ल्ड नंबर वन जेवलिन थ्रोअर बन जायेगा ये किसने सोचा था, पर ऐसा हुआ और आज वो खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए एथलेटिक्स में पहला गोल्ड मैडल जीतने का नंबर वन कंटेंडर है.
 
किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं नीरज
हम बात कर रहे हैं नए इंडिया के धाकड़ खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) की. नीरज का जन्म हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में एक छोटे से किसान परिवार में 24 दिसंबर 1997 को हुआ था. नीरज ने अपनी पढ़ाई चंडीगढ़ से पूरी की. भले ही आज नीरज का नाम देश विदेश में गूंजता हो पर परिस्थितियां हमेशा से ऐसी नहीं थीं. छोटे नीरज के मासूम सपनों में जेवलिन फेंकना दूर-दूर तक नहीं था, नीरज क्या, उसके आस पड़ोस, दोस्त यार, यहाँ तक कि उसके अपने मां बाप ने भी कभी ऐसा नहीं सोचा होगा कि उनका बेटा एकदिन स्पोर्ट्स की फील्ड में कुछ करेगा.

बचपन में काफी मोटे थे नीरज
गलती उनकी नहीं थी, आज के फिट और स्मार्ट नीरज कुछ साल पहले तक अपने मोटापे से परेशान थे. देसी घी, दूध दही खाने का शौख रखने वाले नीरज का खेल कूद भागने दौड़ने से दूर दूर तक कोई रिश्ता नाता नहीं था. लेकिन कहते हैं ना कि किस्मत का लिखा होकर ही रहता है. एक दिन नीरज के आलस और उनकी लाइफस्टाइल से परेशान होकर उनके घर वालों ने उन्हें जिम जाने के लिए फोर्स किया. घर वालों की ज़िद ने मानों नीरज के ऊपर पहाड़ ही गिरा दिया हो. बेहद दिल कड़ा कर आखिर नीरज ने जिम जाना शुरु तो किया लेकिन वहां भी कुछ बात बनी नहीं. 

जब जिम छोड़ स्टेडियम पहुंचे नीरज
नीरज ने हफ्ते भर में ही जिम से रिश्ता तोड़ दिया. लेकिन नीरज के इस कदम के बाद हालात और बिगड़ने वाले थे. नीरज की हेल्थ के लिए अब घर वालों का कुछ कठोर कदम उठाना बेहद ज़रूरी हो चुका था. किसी तरह सब ने नीरज को मोटीवेट करके जिम की जगह स्टेडियम भेजना शुरू किया. एकबार फिर घर वालों के सामने हार कर नीरज ने स्टेडियम का रास्ता पकड़ा और इस एक कदम ने नीरज और उसकी ज़िंदगी को हमेशा हमेशा के लिए ही बदल के रख दिया. 

स्टेडियम ने बदली नीरज की जिंदगी
मशहूर कवि श्री हरि वंश राय बच्चन जी ने एक बार अमित जी को समझाते हुए एक बड़ी ही अच्छी बात कही थी, उन्होंने कहा था कि यदि आपके जीवन में सब आपके हिसाब से हो तो बड़ी अच्छी बात है लेकिन अगर ना हो तो ज़्यादा अच्छी बात है क्योंकि तब ऊपर वाले के हिसाब से होता है. शायद उस दिन नीरज के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. और इस तरह अंजाने में ही सही पर नीरज को अपनी ज़िंदगी की सही राह मिल गई और भारत को मिला गया एक अनमोल खिलाड़ी.

जब जैवलिन ने नीरज को चुन लिया
नीरज को जिम के मुकाबले ग्राउंड भा गया. कुछ ही समय में नीरज की कई एथलीट्स से पहचान हो गई. अपने गोल मटोल शरीर के कारण वो सबके चहेते भी बन गए और फिर धीरे-धीरे नीरज खुद को भी उन एथलीट्स की तरह ढालने में लग गए. अब सबसे बड़ा सवाल ये था कि खेल कौन सा खेला जाए, ऐसे में नीरज ने ऑलमोस्ट सभी स्पोर्ट्स इवेंट्स ट्राई किए, कभी रनिंग, कभी कबड्डी, अभी खोखो, जो खेलने मिल जाये, नीरज वो सब खेला. सभी स्पोर्ट्स इवेंट्स ट्राई करने के बाद आखिर में नीरज ने दिल लगाया जैवलिन थ्रो से. 

16 साल की उम्र में मिला था पहला गोल्ड
फिर क्या था महज़ 16 साल की छोटी सी उम्र में ही नीरज ने अपनी पहली स्टेट लेवल कंपेटिशन्स में गोल्ड मैडल जीत लिया. फिर एक के बाद एक कंपेटिशन्स और एक के बाद एक आते गोल्ड. नीरज और उनकी लगातार कामयाबी का ये सिलसिला बस चलता ही रहा. नीरज की ज़िंदगी में एक बड़ा मुकाम तब आया तब इंडियन आर्मी ने उन्हें बतौर जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति किया. नीरज अपने घर में सरकारी नौकरी पाने वाले पहले इंसान बने. उसके बाद नीरज ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
2018 में इंडोनेशिया में हुए एशियन गेम्स हों या कॉमनवेल्थ गेम्स, ग्रैंड प्रिक्स हो या नेशनल गेम्स, नीरज ने हर जगह अपना परचम लहराया. महज़ 23 साल के नीरज अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी वर्ल्ड लेवल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतने वाले दूसरे भारतीय बने. कभी केवल दूध घी की चाह रखने वाला नीरज आज एक रेस्पोंसिबल और प्रोफेशनल एथलीट है. कभी जिम से भागने वाला नीरज आज टोक्यो ओलंपिक में भारत को एथलेटिक्स का पहला गोल्ड दिलाने की जिम्मेदारी उठा रहा है. आज पूरा देश नीरज को और उसके जज़्बे को सलाम करता है.