क्राउडफंडिंग की मदद से कुआला लमपुर में इंडोनेशिया पैरा-बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लेने वाली उत्तराखंड की पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी प्रेमा विश्वास ने कांस्य पदक जीता है. 5 से 10 सितंबर तक आयोजित प्रतियोगिता में 15 देशों के पैरा-एथलीटों ने भाग लिया. प्रेमा के लिए पदक की राह आसान नहीं थी.
खेल किट, अकोमडेशन और इंडोनेशिया से वापसी फ्लाइट टिकट के लिए फंडिंग जुटाने की उनकी परेशानी के बावजूद उन्होंने देश का नाम रोशन किया. उधम सिंह नगर की रहने वाली प्रेमा पैरों से दिव्यांग हैं और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की खिलाड़ी फिओना को हराकर सिंगल्स में मेडल जीता है. 34 वर्षीय प्रेमा का कहना है कि वित्तीय सहायता के लिए प्रशासन से संपर्क करने के बावजूद किसी ने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया. ऐसे में उन्होंने क्राउडफंडिंग की राह अपनाई.
10 दिन में जुटाए 1.2 लाख रुपए
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रेमा के लिए आशा की किरण तब जगी जब हल्दवानी के रहने वाले हेमंत गौनिया उनकी मदद के लिए आगे आए और सोशल मीडिया अभियान शुरू किया. अभियान को मदद मिलने लगी और 10 दिनों के भीतर 1.2 लाख रुपये जुटाए गए. जिससे प्रेमा इस प्रतियोगिता में भाग ले सकीं.
अपनी जीत के बारे में बात करते हुए, प्रेमा ने कहा, "अगर राज्य सरकार ने मुझे खेल नीति के अनुसार नौकरी दी होती, तो मैं किसी से पैसे नहीं लेती. मेरे पास आवश्यक खेल उपकरण और यहां तक कि जिस कोर्ट में मैं अभ्यास करती थी वह भी सही नहीं था." लेकिन इतना सबकुछ झेलकर भी वह अपने देश का मान बढ़ाने में कामयाब रहीं.
ओलंपिक खेलने का है लक्ष्य
उन्होंने आगे कहा कि बचपन में बच्चे उन्हें व्हीलचेयर पर देखकर उनके साथ बैडमिंटन खेलने से मना कर देते थे. तभी उन्होंने फैसला किया कि एक दिन वह ऐसे मंच पर खेलेंगी जहां बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं. कठिन चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता है. उनका अगला लक्ष्य ओलंपिक में खेलना है, लेकिन इसे हासिल करने के लिए उन्हें मदद की जरूरत है.