
राजस्थान के करौली की रहने वाली धानवी सिंह ने घुड़सवारी में एक जाना-पहचाना नाम बन गई हैं. धानवी ने 7 साल की उम्र में भारतीय सेना के सेंटर 61 कैवलरी की राज्य स्तरीय घुड़सवारी प्रतियोगिता में 7 मेडल जीतकर अपनी काबिलियत साबित की. धानवी का सपना नेशनल और इंटरनेशनल लेवल की घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीतना है. धानवी के पिता भी घुड़सवारी के शौकीन हैं.
7 साल की उम्र में 4 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज मेडल-
जयपुर में भारतीय सेना के 61 कैवलरी सेंटर की राज्य स्तरीय घुड़सवारी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. जिसमें धानवी सिंह ने बॉल एंड बास्केट प्रतियोगिता में 7 मेडल हासिल किए. उन्होंने 4 सिल्वर और 3 ब्रॉन्ज मेडल हासिल किए. धावनी के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उनको मेडल्स से सम्मानित किया गया.
पिता को भी घुड़सवारी का शौक-
धानवी सिंह के पिता का नाम जितेंद्र सिंह पिचानौत हैं. जितेंद्र सिंह को भी घुड़सवारी का शौक है. धावनी को घुड़सवारी की प्रेरणा अपने पिता से मिली है. वो अपने पिता को घुड़सवारी करते देखती थीं. जिससे छोटी उम्र में ही उनका घुड़सवारी के प्रति लगाव हो गया. जितेंद्र सिंह दुनिया में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं.
धानवी सिंह नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर घुड़सवारी प्रतियोगिता में मेडल जीतना चाहती हैं और देश का नाम रोशन करना चाहती हैं. इतनी कम उम्र में धानवी ने बड़ी सफलता हासिल की है.
धानवी सिंह के पिता का कहना है कि छोटी उम्र में बेटी की उपलब्धि से पूरे परिवार में खुशी है. धानवी सिंह की इस उपलब्धि की हर तरफ चर्चा कर रहा है.
पांचना कॉलोनी में रहता है परिवार-
धानवी का परिवार करौली के पांचना कॉलोनी में रहता है. वो कक्षा 2 में पढ़ती हैं. धानवी सिंह करौली के इतिहास की सबसे कम उम्र की घुड़सवार हैं, जिन्होंने मेडल हासिल किया है. धानवी ने सिर्फ 2 महीने तक घुड़सवारी की प्रैक्टिस की थी. उसके बाद उन्होंने मेडल हासिल कर लिया था.
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