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Rohit Sharma Success Story: बनना चाहते थे ऑफ-स्पिनर, माता-पिता की जिद पर खरीदा पहला घर, 2011 में टूट गया था दिल... रोहित के करियर की खास बातें

रोहित न सिर्फ एक बेहतरीन कप्तान हैं, बल्कि बीते एक दशक में वह एक बेहतरीन बल्लेबाज भी साबित हुए हैं. कैसा रहा है उनका करियर, आइए डालते हैं एक नजर.

हाइलाइट्स
  • 2007 में किया था रोहित ने भारत के लिए डेब्यू

  • दो आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले बने दूसरे भारतीय कप्तान

दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में नौ मार्च की रात भारत के चैंपियन्स ट्रॉफी जीतने के बाद रोहित शर्मा एक से ज्यादा आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले दूसरे भारतीय कप्तान बन गए. रोहित से पहले धोनी ने आईसीसी के तीन खिताब जीते थे. अब यह काम करके रोहित ने भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों की लिस्ट में अपना नाम सुनहरे शब्दों में अंकित करवा लिया है. 

रोहित न सिर्फ एक बेहतरीन कप्तान हैं, बल्कि बीते एक दशक में वह एक बेहतरीन बल्लेबाज भी साबित हुए हैं. एक ऐसा बल्लेबाज जिसने अपने मस्तमौला अंदाज़ और बेलौस बल्लेबाजी से कई रिकॉर्ड तोड़े और कई दिल जीते. हालांकि रोहित ने क्रिकेट की दुनिया में अपना पहला कदम एक बल्लेबाज के तौर पर नहीं, बल्कि एक ऑफ-स्पिनर के तौर पर रखा था. 

बनना चाहते थे ऑफ-स्पिनर
क्रिकेट की दुनिया में 'हिटमैन' के नाम से मशहूर रोहित ने अपने करियर की शुरुआत एक ऑफ स्पिनर के रूप में की थी. मुंबई के बोरीवली स्पोर्ट्स एंड कल्चरल असोसिएशन से खेलते हुए रोहित ने अपनी क्रिकेट ऐकैडमी में ऑफ ब्रेक की प्रैक्टिस की लेकिन उनके कोच दिनेश लाड़ ने उनकी बल्लेबाजी की क्षमता को पहचाना और उन्हें बल्लेबाजी पर ध्यान देने की सलाह दी.

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कोच दिनेश ने रोहित की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने रोहित को बल्लेबाजी पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया. रोहित ने कहा, "मेरे कोच दिनेश लाड़ जी ने मुझे देखा और उन्होंने बोला, यार तुझे बैटिंग में भी फोकस करना चाहिए." इस सलाह ने रोहित की जिंदगी बदल दी और उन्हें एक बेहतरीन बल्लेबाज बना दिया.

मुश्किलों के बावजूद सफलता की ओर बढ़े कदमे
रोहित ने जब क्रिकेट में करियर बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया तो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला लेने के बाद दिनेश लाड़ ने उनकी स्कूल की फीस माफ करवा दी. रोहित ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से अंडर-14, अंडर-15 और अंडर-19 टीमों में जगह बनाई. 

साल 2007 में रोहित ने आयरलैंड के खिलाफ एक वनडे मैच में भारत के लिए डेब्यू किया. रोहित को उनकी काबिलियत के दम पर उस साल खेले गए पहले टी20 वर्ल्ड कप के लिए भी चुन लिया गया. टूर्नामेंट में सराहनीय प्रदर्शन करने के बाद रोहित ने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में 16 गेंद पर 30 रन बनाते हुए जीत में अहम योगदान दिया. 

आईपीएल से आया बड़ा बदलाव
आर्थिक रूप से देखा जाए तो कई इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) कई भारतीय क्रिकेटरों की तरह ही रोहित के लिए भी वरदान साबित हुआ. साल 2008 में रोहित को आईपीएल में तीन करोड़ रुपये की कीमत मिली. इस पैसे से उन्होंने अपने लिए एक शानदार गाड़ी खरीदी, लेकिन उनके माता-पिता चाहते थे कि वह पहले एक घर खरीदें. बाद में रोहित ने बांद्रा में एक घर खरीदकर अपने माता-पिता की इच्छा पूरी की.

जब बंद दिखने लगे थे सब रास्ते
रोहित के करियर की शुरुआत शानदार रही थी लेकिन वह अपनी काबिलियत को प्रदर्शन में नहीं बदल पाए थे. शुरुआती सालों में टीम की उम्मीदों पर खरा न उतर पाने के बाद रोहित को 2011 वर्ल्ड कप के लिए नहीं चुना गया. रोहित ने उस वक्त ट्वीट किया था, "वर्ल्ड कप स्क्वाड का हिस्सा न बनकर बेहद दुखी हूं. मुझे यहां से आगे बढ़ने की जरूरत है." 

अपने घर में खेले गए वर्ल्ड कप के लिए न चुने जाने पर रोहित आहत तो हुए, लेकिन सौभाग्य न सब दिन सोता है. दो साल बाद तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोहित को टीम का सलामी बल्लेबाज बनाने का फैसला किया. उन्होंने यह मौका दोनों हाथों से लपका. रोहित ने चैंपियन्स ट्रॉफी के पांच मैचों में 177 रन बनाए और ओपनिंग स्लॉट अपना कर लिया.

फिर वक्त ने ली करवट और...
चैंपियन्स ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करने के बाद रोहित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बतौर सलामी बल्लेबाज वह टी20 में सबसे तेज शतक जड़ने वाले बल्लेबाज बने. उन्होंने वनडे क्रिकेट का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर (264) बनाया. उन्होंने वनडे क्रिकेट में कुल तीन दोहरे शतक बनाए और आज तक उनके रिकॉर्ड की कोई बराबरी नहीं कर पाया है. 

बतौर सलामी बल्लेबाज रोहित के प्रदर्शन को इस तरह समझा जा सकता है कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जो 49 शतक जड़े हैं, उनमें से 42 ओपनर के रूप में आए हैं. एक ओपनर के तौर पर तो रोहित का प्रदर्शन शानदार रहा ही, लेकिन 2022 में उन्हें  भारतीय टीम के कप्तान की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई.

कप्तान रोहित लिखी सफलता की नई कहानी
रोहित को जब कप्तानी मिली तो उनकी उम्र करीब 33 साल थी. कई क्रिकेट पंडितों का मानना था कि अपने करियर के आखिरी मुकाम पर पहुंच चुके खिलाड़ी को कप्तानी देने के बजाय किसी युवा खिलाड़ी को यह जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए. बीसीसीआई के इस फैसले पर कई सवाल उठे. और बतौर अच्छी शुरुआत करने के बाद रोहित को कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा.

साल 2022 में खेले गए एशिया कप में भारत को हार मिली. उसके फौरन बाद खेले गए टी20 वर्ल्ड कप में भी भारत सेमीफाइनल 10 विकेट से हार गया. साल के अंत में रोहित बांग्लादेश से वनडे सीरीज हारने वाले केवल दूसरे भारतीय कप्तान बन गए. लेकिन अपने करियर की तरह ही रोहित ने कप्तानी में भी शानदार वापसी की.

रोहित ने बतौर कप्तान आक्रामक क्रिकेट खेलने की वकालत की. साल 2023 की शुरुआत से ही भारतीय टीम के खेल में यह दिखा भी. खासकर आईसीसी टूर्नामेंट्स में. आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023 हारने के बाद भी भारत के आक्रामक खेल की दुनियाभर में तारीफ हुई. उसके बाद से रोहित टी20 वर्ल्ड कप 2024 और चैंपियन्स ट्रॉफी 2025 सहित आईसीसी के दोनों टूर्नामेंट जीत चुके हैं.

सनद रहे कि भारत ने पिछले तीन आईसीसी आयोजनों में खेले गए 23 में से 22 मैचों में जीत हासिल की है. इसमें कोई दोराय नहीं कि भारतीय टीम इस समय दुनिया की सबसे मज़बूत व्हाइट बॉल टीम है. लेकिन इस सफलता का श्रेय कप्तान रोहित गुरुनाथ शर्मा को भी जाता है.