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Asian Games: किसान पिता ने बेटी के खेल के लिए खेत बेच जुटाए पैसे, मणिपुर हिंसा से रखा दूर, रोशिबिना ने एशियन गेम्स में पदक जीत बढ़ाया मान

Roshibina Story, Manipur Violence: भारत की स्टार वुशू प्लेयर रोशिबिना ने एशियाई गेम्स 2023 में जीता अपना रजत पदक मणिपुर के लोगों को समर्पित किया. वह चाहती हैं कि वहां जल्द से जल्द शांति का माहौल बने. मणिपुर में रोशिबिना के पिता खेती करते हैं.

भारत की वुशू प्लेयर नाओरेम रोशिबिना देवी भारत की वुशू प्लेयर नाओरेम रोशिबिना देवी
हाइलाइट्स
  • रोशिबिना ने वूशु मार्शल आर्ट में जीता है रजत पदक

  • ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने की चाहत

चीन के हांगझू में खेले जा रहे एशियन गेम्स 2023 में भारतीय खिलाड़ियों का जबरदस्त प्रदर्शन जारी है. मणिपुर की नाओरेम रोशिबिना देवी ने वूशु मार्शल आर्ट में रजत पदक जीत देश का मान बढ़ाया है. रोशिबिना ने इंडिया टुडे ग्रुप से बात करते हुए बताया कि वह पिछले 11 साल से वुशू की प्रैक्टिस कर रही हैं. वह बेहद ही सामान्य परिवार से आती हैं. मणिपुर में रोशिबिना के पिता खेती करते हैं और उन्होंने बहुत मुश्किलों का सामना करके रोशिबिना को एशियन गेम्स के लिए तैयारी करवाई है.

देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं रोशिबिना  
रोशिबिना 22 साल की हैं. वह आगे नेशनल गेम्स और ओलंपिक गेम्स की तैयारी कर रही हैं. वह भारत के लिए स्वर्ण पदक लेकर देश सहित मणिपुर का नाम रोशन करना चाहती हैं. रोशिबिना वुशु खेलती हैं. ये मार्शल आर्ट्स का फॉर्म नॉर्थ ईस्ट में काफी प्रचलित है. नॉर्थ ईस्ट के कई बच्चे इसमें माहिर हैं. वुशु एक चाइनीज मार्शाल आर्ट्स है.

रोशोबिना सही से प्रैक्टिस कर सकें इसलिए पिता ने बेचा खेत
रोशिबिना के पिता एक किसान हैं. खेती करके परिवार का गुजर-बसर करते हैं. रोशिबिना कि वुशु की प्रैक्टिस में काफी खर्चा आने की वजह से परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा था. ऊपर से मणिपुर में हिंसा का दौर चल रहा है. मणिपुर के बिगड़ते हालातों का खेती पर भी बुरा असर पड़ा. रोशिबिना सही से प्रैक्टिस कर सकें, उनकी प्रैक्टिस में कोई कमी न आए, इसके लिए रोशिबिना के पिता ने अपना खेत बेच दिया. खेत बेचकर जो पैसे मिले उससे रोशिबिना की प्रैक्टिस कराई. उन्हें घर से दूर रखा ताकि वह अच्छे से प्रैक्टिस कर सकें और एशियाई गेम्स तक जा सकें.

मणिपुर में हिंसा के बीच की खेल की तैयारी
मणिपुर में जैसे-जैसे हालात बिगड़ते रहे वैसे-वैसे रोशिबिना के लिए वहां प्रैक्टिस करना और भी मुश्किल होता गया. मानसिक तनाव ने सभी खिलाड़ियों को जकड़ लिया था. सभी स्कूल बंद हो चुके थे. एकेडमी  बंद हो चुकी थी, जहां पर रोशिबिना प्रैक्टिस करतीं थीं. ऐसे में रोशिबिना के पिता ने एक फैसला लिया, खुद घर में रहकर परिवार वालों की जिंदगी के लिए पहरा दिया और बेटी को बाहर भेज वूशु की प्रैक्टिस करवाई. मार्च महीने के बाद रोशिबिना ने मणिपुर छोड़ दिया और अपनी प्रैक्टिस बाहर की.

मणिपुर के लोगों को समर्पित किया पदक
रोशिबिना ने एशियाई गेम्स में जीता अपना रजत पदक मणिपुर के लोगों को समर्पित किया. वह चाहती हैं कि वहां जल्द से जल्द शांति का माहौल बने. सरकार उनकी बात सुने. वह भले ही वहां जाकर अपने लोगों के लिए लड़ नहीं सकतीं लेकिन अपने खेल के माध्यम से अपने राज्य की बात दुनिया तक रखना चाहती हैं. रोशिबिना अपने मणिपुर के सभी भाई-बहनों को स्कूल जाते देखना चाहती हैं, जो हिंसा की वजह से अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. अपने खेल नहीं खेल पा रहे हैं.

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