ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है. अल्लामा इकबाल का यह शेर महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर पर सटीक बैठती है. जिस उम्र में बच्चे बोर्ड एग्जाम की तैयारी करते हैं उस उम्र में सचिन देश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने के लिए बल्ला लेकर ग्राउंड पर उतर चुके थे. मात्र 16 साल की उम्र में सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. सचिन के सचिन बनने की कहानी तभी शुरू हो गई थी जब अपने डेब्यू टेस्ट सीरीज में तेज गेंदबाज वकार यूनुस की बॉल से लहूलुहान हो गए लेकिन मैदान नहीं छोड़ा. उन्होंने उस वक्त कहा था, 'मैं खेलेगा'. और फिर ऐसा खेला की पूरी दुनिया सचिन की दीवानी हो गई. आज सचिन अपना 48वां बर्थडे मना रहे हैं और हम इस मौके पर आपको क्रिकेट के भगवान के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिसको पढ़कर आपको लगेगा कि सचिन को युहीं क्रिकेट का भगवान नहीं कहा गया.
सचिन ने 'सचिन' बनने के लिए की कड़ी मेहनत
24 अप्रैल 1973 को रमेश तेंदुलकर और रजनी तेंदुलकर के घर में जब एक लड़के का जन्म हुआ तो उस वक्त किसे पता था कि वह आगे चलकर क्रिकेट की दुनिया पर राज करेगा और विश्वपटल पर अपनी एक अमिट छाप छोड़ देगा. चार भाई बहनों में सबसे छोटे सचिन के लिए क्रिकेटर बनना एक इत्तेफाक ही था. वह बचपन में शरारती थे. आसपास के घरों से सचिन के शरारत की खूब शिकायतें आती थी. इन सबसे बचने के लिए उनके परिवार वाले सचिन को शिवाजी पार्क छोड़ आते थे. शिवाजी पार्क से ही सचिन का उदय हुआ. सचिन को उनके कोच रमाकांत अचरेकर ने ट्रेनिंग देना शुरू किया. रोज करीबन 10 घण्टे से ज्यादा समय सचिन अपने क्रिकेट को देने लगे और खूब मेहनत की. सचिन को टेनिस भी खूब पसंद था इसलिए वो क्रिकेट के अलावा टेनिस भी खेलते थे. सचिन ने कभी बैट्समैन बनने का नहीं सोचा था, डेनिस लिली के कहने पर वह बैटिंग पर फोकस करने लगे और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सचिन के बारे में एक वाक्या काफी चर्चित है, जो दिखाता है कि वह आज भी अपने यादों को कैसे संभाल कर रखते हैं ताकि अपने इस कमाल की यात्रा को न भूलें. कहा जाता है कि सचिन जब प्रैक्टिस करते थे तो उनके कोच रमाकांत अचरेकर स्टंप्ट पर एक रुपए का एक सिक्का रख देते थे और जो भी बॉलर सचिन को आउट कर देता उसे वह सिक्का दे दिया जाता था. अगर सचिन को कोई आउट नहीं कर पाता तो वह सिक्का सचिन को मिल जाता. सचिन को 13 बार कोई आउट नहीं कर सका और वह 13 सिक्का आज भी सचिन के पास है. सचिन उन सिक्कों को बेशकीमती संपति मानते हैं.
क्रिकेट की पिच पर ज़ीरो से हीरो तक का तय किया सफर
15 नवंबर 1989 को सचिन ने अपना पहला मैच खेला और अपने 24 साल के करियर में सैकड़ों रिकॉर्ड बनाए.
हालांकि, वह अपने पहले वनडे मैच में जीरो पर आउट हो गए थे लेकिन हीरो बनने की कहानी भी यहीं से शुरू हुई. सचिन अपने 24 साल के लंबे करियर में कई बार खराब फॉर्म से गुजरे लेकिन कभी हार नहीं माने और हर बार वापसी करते हुए अपने रिकॉर्ड की लिस्ट को लंबी करते गए. सचिन ने 664 अंतरराष्ट्रीय मैच में कुल 34,357 रन बनाकर रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया. वे 200 टेस्ट खेले और 15,291 रन बनाए. जिसमें 51 शतक और 68 अर्धशतक शामिल है. वहीं अगर वनडे क्रिकेट की बात करें तो 463 मैच में 18,426 रन बनाकर रिकॉर्ड बनाया. वनडे में सचिन के बल्ले से 69 शतक और 96 अर्धशतक निकले. सचिन ने न सिर्फ क्रिकेट की पिच पर रिकॉर्डों की झड़ी लगाई बल्कि राजनीति की दुनिया में भी सचिन के नाम रिकॉर्ड है. क्रिकेट में सक्रिय रहते राज्यसभा सासंद बनने वाले वे पहले क्रिकेटर बने. और जब क्रिकेट की दुनिया से बाहर आए तब भी रिकॉर्ड बनाने के सिलसिले को जारी रखा. सचिन को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया गया. वह इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी या व्यक्ति बन गए.
प्यार की पिच पर भी सचिन रहे हिट
सचिन जब मैच खेलकर लौट रहे थे तब अंजलि को पहली बार मुंबई एयरपोर्ट पर देखा. सचिन की उम्र तब महज 17 साल ही थी. शर्मीले स्वभाव के सचिन अंजलि को लेकर सीरियस तो थे लेकिन जब अंजलि को घर बुलाने की बात आई तो सचिन ने मना कर दिया. सचिन नहीं चाहते थे कि घरवाले को उनके प्यार के बारे में पता चले. सचिन के सुझाव पर पहली बार अंजलि जर्नलिस्ट बनकर उनके घर आई. 5 साल तक दोनों ने एक दूसरे को डेट किया और 24 मई 1995 को शादी कर ली. सचिन ने 16 नवंबर 2013 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया तबसे वह अपने परिवार के साथ मुम्बई में ही रहते हैं.