बात चाहे ओलिंपिक गेम्स की हो या फिर नेशनल गेम्स की, सानिया मिर्ज़ा (sania mirza) एक ऐसा नाम है जिन्हें हमेशा बेहतरीन भारतीय खिलाड़ियों के रूप में जाना जाता रहेगा. बुधवार को सानिया ने टेनिस से अपने संन्यास का एलान कर दिया है. उनका कहना है कि साल 2022 का सीजन उनके लिए आखिरी होगा.
आपको बता दें, सानिया मिर्जा ने ऑस्ट्रेलियन ओपन में हार के बाद इसकी जानकारी मीडिया को दी है. सानिया और उनकी जोड़ीदार नादिया किचनोक को ऑस्ट्रेलियन ओपन के पहले राउंड में हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा कि वे हफ्ते दर हफ्ते खेल की तैयारी कर रही हैं, लेकिन ये अभी पक्का नहीं है कि वे पूरा सीजन खेल पाएंगी या नहीं.
कम उम्र में बड़ा नाम कमाने वाली खिलाड़ी
कम उम्र में ही अपनी पहचान बनाने वाली सानिया को भारत सरकार ने साल 2006 में ही पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. साथ ही 2016 में सानिया मिर्जा को पद्म भूषण सम्मान भी दिया जा चुका है. बता दें, पद्मश्री सम्मान पाने वाली सानिया मिर्ज़ा सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी भी हैं. महज 18 साल की उम्र में ही शानदार खेल प्रदर्शन वे सबको चौंका दिया था. उन्हें भारत की सबसे लोकप्रिय महिला खिलाड़ियों में स्थान दिया जाता है.
छोटी उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था टेनिस
अपने एक इंटरव्यू में सानिया इंडिया टुडे को बताती हैं कि जब वे 6 साल की थी तभी से उन्होंने टेनिस खेलना शुरू कर दिया था. सानिया बताती हैं कि एक लड़की के रूप में ये आसान नहीं था क्योंकि उन्हें न केवल खेल की बारीकियां सीखनी थीं बल्कि इस खेल में लड़कों को पसंद करने वालों की पुरानी मानसिकता के खिलाफ भी लड़ना था. लेकिन के माता-पिता काफी प्रोग्रेसिव थे, जिन्होंने उनका हर कदम पर साथ दिया. सानिया अपने इंटरव्यू में कहती हैं, “जब मैं इसके बारे में सोचती हूं तो आज भी ये किसी सपने की तरह लगता है. मैंने टेनिस खेलना तब शुरू किया जब मैं कुल छह साल की थी.”
6 साल की उम्र में दिग्गज टेनिस प्लेयर सीके भूपति से ली ट्रेनिंग
सानिया अपने इंटरव्यू में बताती हैं कि उन्हें वो पहला दिन भी याद है जब उन्होंने पहली बार अपने हाथ में रैकेट लिया था. महज 6 साल की उम्र से ही निज़ाम क्लब, हैदराबाद में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था. इस दौरान सानिया ने सबसे पहले महेश भूपति के पिता और दिग्गज टेनिस प्लेयर सीके भूपति से ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था.
17 साल की उम्र में जीता विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब
महज 14 की उम्र से सानिया ने अपना पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट, इस्लामाबाद में खेला था. 17 साल की उम्र में सानिया मिर्ज़ा ने विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब भी जीता और भारत की झोली में पदक डाला. इसके साथ, साल 2005 में टाइम मैगजीन ने सानिया का नाम एशिया के 50 नायकों में शामिल किया था.
सानिया के नाम हैं छह ग्रैंडस्लैम खिताब
गौरतलब है कि सानिया को भारत की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है. वह वीमेन सिंगल्स में नंबर वन की रैंकिंग तक भी पहुंची हैं. सानिया के इस 25 साल के करियर में उनके नाम छह ग्रैंडस्लैम खिताब हैं. इनमें से तीन वीमेन सिंगल्स और तीन डबल्स के हैं. सानिया के नाम कई खिताब हैं. जिनमें 2009 का मिक्स्ड डबल्स में ऑस्ट्रेलियन ओपन, 2012 में फ्रेंच ओपन और 2014 में यूएस ओपन शामिल है.
2 साल तक रहीं टेनिस से दूर
2018 में बेटे के जन्म के बाद सानिया करीब 2 साल के लिए टेनिस कोर्ट से दूर हो गयीं थीं. सानिया के इंस्टाग्राम से पता चलता है कि उन्होंने इसके लिए लगभग 26 किलो तक वजन घटाया था. सानिया को उनकी फिटनेस और ख़ूबसूरती के लिए भी जाना जाता है. जिसके बाद सानिया टोक्यो ओलिंपिक 2020 में भी खेल चुकी हैं, हालांकि वहां उन्हें सफलता नहीं मिली थी.