इंटरनेशनल बॉक्सर स्वीटी बूरा और कबड्डी टीम के कैप्टन दीपक हुड्डा 7 फेरे लेकर शादी के बंधन में बंध गए. ये शादी हरियाणा के हिसार में हुई. शादी में कबड्डी के कई दिग्गज खिलाड़ी शामिल हुए. भारतीय कबड्डी टीम के खिलाड़ी अजय ठाकुर बाराती बनकर पहुंचे. जबकि 10 महिला बॉक्सर भी शादी में शामिल हुए. दीपक हुड्डा ने 15 से 20 सालियों को 5100-5100 रुपए शगुन दिया. वरमाला के बाद दीपक हुड्डा और स्वीटी बूरा ने डांस भी किया.
कैसे हुई मुलाकात-
बॉक्सर स्वीटी बूरा और कबड्डी खिलाड़ी दीपक हुड्डा की मुलाकात साल 2015 में एक समारोह में हुई थी. स्वीटी को दीपक का खेल बहुत पसंद है. इसके बाद दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं. एक साल बाद दीपक ने स्वीटी को प्रपोज किया. शुरुआत में स्वीटी बूरा ज्यादा फेमस थी. इसलिए शादी को लेकर घरवालों को ऐतराज था. इसके बाद दोनों ने 7 साल इंतजार किया और अब दोनों ने शादी कर ली.
स्वीटी बूरा की कहानी-
स्वीटी बूरा बचपन में कबड्डी खेलती थी. लेकिन उनका सपना बॉक्सर बनने का था. जब स्वीटी 15 साल की थी तो उन्होंने घर में बॉक्सर बनने की बात बताई. घरवाले और रिश्तेदारों ने इसका विरोध किया. लेकिन पिता महेंद्र सिंह ने बेटी का साथ दिया और बॉक्सिंग प्रैक्टिस के लिए भेजा. साल 2009 में स्वीटी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने स्टेट लेवल पर स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता. स्वीटी ने ऑल इंडिया लेवल पर 5 बार चैंपियन बनने का रिकॉर्ड बनाया है.
12 किमी साइकिल चलाती थी स्वीटी-
एक इंटरव्यू में स्वीटी ने बताया था कि बॉक्सर बनने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की. रोजाना 12 किलोमीटर साइकिल चलाती थीं. उन्होंने बताया कि उनके स्कूल से प्रैक्टिस सेंटर 6 किलोमीटर था. इसलिए रोजाना 12 किलोमीटर साइकिल चलाकर प्रैक्टिस करने आती-जाती थीं.
दीपक हुड्डा की कहानी-
भारतीय कबड्डी टीम के कैप्तान दीपक हुड्डा रोहतक के रहने वाले हैं. वो एक पेशेवर खिलाड़ी हैं. दीपक प्रो कबड्डी लीग में जयपुर पिंक पैंथर्स के कप्तान हैं. दीपक को अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा गया है.
पैसे की कमी के चलते बंद हुई पढ़ाई-
जब दीपक हुड्डा चार साल के थे तो उन्होंने अपनी मां को खो दिया. बड़ी बहन और पिता ने उनका पालन-पोषण किया. साल 2013 में उनके पिता का निधन हो गया. परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, इसलिए उन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया और बच्चों को पढ़ाकर घर चलाने लगे. दीपक हुड्डा पढ़ता चाहते थे, जैसे ही उनकी आर्थिक हालत सुधरी, उन्हेंने ग्रेजुएशन में एडमिशन लिया.
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