आज अमेरिका के जाने माने मुक्केबाज मोहम्मद अली का जन्मदिन है. मुहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 में केंटकी प्रांत के लौइस्विले में हुआ था. उनका मूल नाम कैसियस मार्सेलस क्ले जूनियर था.अली तीन अलग-अलग मौकों पर वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने वाले पहले फाइटर थे. किसी को उम्मीद नहीं थी कि 22 वर्ष का ये लड़का हेवीवेट चैंपियन सोनी लिस्टन को हरा देगा. साल1964 फ्लोरिडा में एक बॉक्सिंग मैच चल रहा था उस मैच में अली ने सन्नी लिस्टन को हराकर अपना पहला विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप खिताब जीता. इसके फौरन बाद उन्होंने अपना जन्मनाम छोड़कर एक नया नाम, नया धर्म अपनाने की घोषणा
कैसियस ने 6 मार्च 1964 के दिन इस्लाम धर्म कबूल करने की घोषणा की थी, जिसके बाद वह इस्लाम कबूल कर कैसियस क्ले से मोहम्मद अली हो गए.एक ईसाई से मुस्लिम बने अली को अपने इस फैसले के लिए एक तरफ जहां अमेरिका के मुसलमानों का सम्मान प्राप्त हुआ वहीं उनके अपने समर्थक उनसे नाराज भी हो गए.
क्यों अपनाया इस्लाम
अली ने अपनी पत्नी को एक पत्र लिखकर इस्लाम अपनाने की वजह बताई थी. अली ने बताया एक बार जब वह अपने शहर लुईवेल में स्केटिंग रिंग के बाहर खड़े थे, उस समय उनकी नजर 'नेशन ऑफ इस्लाम' अखबार पर पड़ी. उन्होंने वह अखबार खरीदा और इसे पढ़ने लगे. अखबार पढ़ने के दौरान उनका ध्यान इसमें छपे एक कार्टून पर गया, इसी कार्टून की वजह से अली ने इस्लाम कबूल करने का मन बना लिया. दरअसल उस कार्टून में एक गोरा शख्स काले गुलाम को पीटते हुए जीसस से प्रार्थना करने के लिए दबाव बना रहा है. 1964 में हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने के बाद मोहम्मद अली ने इस्लाम धर्म अपनाने की घोषणा की थी.
क्यों बनना चाहते थे मुक्केबाज?
मोहम्मद अली इतिहास के सबसे महान मुक्केबाजों में से एक थे. इसके अलावा, उन्हें ब्लैक प्राइड के सामाजिक संदेश और श्वेत वर्चस्व के काले प्रतिरोध और वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना में शामिल होने से इनकार करने के लिए जाने जाता है.उनका लालन पालन देश के जिस दक्षिणी हिस्से में हुआ था वहा उन्हें अश्वेत होने के नाते नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा था और उनके मन में मुक्केबाज बनने का संकल्प दृढ़ होता गया था. मुहम्मद अली जब 12 साल के थे उस टाइम उनके जिंदगी मे एक घटना घटी जिसकी वजह से उन्होंने मुक्केबाज बनना का निश्चचय किया. दरअसल अली को उनके पिता ने एक साइकिल गिफ्ट की थी जिसे किसी ने चुरा लिया. इस बात से नाराज अली ने एक पुलिसवाले से कहा कि वह उस चोर की धुनाई करना चाहते हैं. उस पुलिस वाले का नाम था जो मार्टिन, जोकि एक बॉक्सिंग ट्रेनर था, उसने युवा अली को अपने अंडर में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.
बचपन में मोहम्मद अली दूसरे बच्चों की तरह स्कूल बस से स्कूल न जाकर बस से रेस लगाकर स्कूल जाया करते थे. उन्हें फ्लाइट में बैठने से डर लगता था. वो फ्लाईट से इतना डरते थे कि जब वह 1960 के ओलंपिक में रोम जाने के लिए प्लेन में बैठे तो उन्होंने एयर होस्टेस से उन्हें पैराशूट पहनाने का निवेदन किया था. मोहम्मद अली 1990 में इंटरनेशनल बॉक्सिंग हॉल ऑफ फ़ेम के उद्घाटन वर्ग के सदस्य थे, और 2005 में उन्हें स्वतंत्रता के राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था.
फेंक दिया था मेडल
अमेरिका में 60-70 के दशक में रंगभेद बहुत हावी था. इस दौरान एक घटना हुई. अली 1960 में रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर अमेरिका में एक रेस्टोरेंट में डिनर करने गए तो वेटर ने एक नीग्रो को खाना सर्व करने से मना कर दिया. इस अपमान से आहत अली ने बाहर आकर गुस्से में अपना गोल्ड मेडल यह कहते हुए फेंक दिया कि जिस देश में इस कदर रंगभेद हो, वहां का मेडल मुझे नहीं पहनना है.
1981 में मोहम्मद अली ने एक आदमी को मरने से बचाया था. दरअसल बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या की कोशिश कर रहे एक युवक को जब पुलिसकर्मी आत्महत्या न करने के लिए समझाने में असफल रहे तो मोहम्मद अली ने ये काम कर दिखाया. अली उस आदमी के पास वाली खिड़की से उस आदमी से आधे घंटे तक बात की और उसे यह मनाने में कामयाब रहे.
दुनिया का सबसे बड़ा मुक्केबाज
मुहम्मद अली ने अपनी गति, शानदार फुटवर्क, पंच लेने की क्षमता और जबरदस्त साहस के माध्यम से एक मुक्केबाज के रूप में प्रसिद्धि हासिल की. अली हैवी वेट कैटेगरी में खेलते थे. उन्होंने कुल 61 फाइट्स कीं जिसमें से उन्होंने 56 में जीत हासिल की. इनमें से 37 नॉकआउट के साथ और 5 हार का उनका अंतिम रिकॉर्ड था, लेकिन उनके विरोधियों की गुणवत्ता और उनके प्रमुख के दौरान उनकी जबरदस्त सफलता ने उन्हें मुक्केबाजी के अमरों के बीच रखा.
अली अमेरिका के ऐसे पेशेवर मुक्केबाज हैं, जिन्हें खेल इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा हेवी वेट मुक्केबाज कहा जाता है. कई संस्थाओं ने 1999 में मोहम्मद अली को पिछली सदी का महानतम खिलाड़ी घोषित किया. अमेरिका ने झुक कर उन्हें सलाम किया. वह अगली पीढ़ी के मैजिक जॉनसन, कार्ल लुइस और टाइगर वुड्स के लिए मसीहा साबित हुए. अली ने खेल की दुनिया में अश्वेतों के लिए जो दरवाजे खोले, उसे भला कौन भूल सकता है?