जब बात कोलकाता के गांगुली की हो तो हमारे जेहन में दिग्गज क्रिकेटर सौरव गांगुली का नाम आता है. लेकिन इस बार 'सिटी ऑफ जॉय' के जिस गांगुली की चर्चा हो रही है, वो क्रिकेट से नहीं, बल्कि शतरंज से जुड़ा है. हम बात कर रहे हैं अंकित गांगुली की जो महज 11 साल का है. इस लड़के की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि इसने डेफ ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया है. अंकित सुन नहीं पाते हैं. मुश्किल से बोल पाते हैं. लेकिन वो देश के लिए मेडल जीतना चाहते हैं. अंकित कार्लसन और प्रज्ञानंद को आदर्श मानते हैं और अब डेफ ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.
सुन और बोल नहीं पाते हैं अंकित-
95 फीसदी सुनने में अक्षम अंकित गांगुली मुश्किल से बोल पाते हैं. अंकित अपनी मां की मदद से कई काम करते हैं. उनके कोच एमके चंद्रशेखर भी उनकी मदद करते हैं. अंकित दिव्यांग हैं, लेकिन उनके कोच ने उनको शतरंज प्लेयर बना दिया. अंकित पर उनके माता, पिता, दादा और दादी को गर्व है. उनको उम्मीद है कि अंकित आने वाले कुछ दिनों में कमाल करेंगे.
कौन हैं अंकित के आदर्श-
अंकित दुनिया के टॉप शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन और आर. प्रज्ञानंद को अपना आदर्श मानते हैं. उन्होंने इन दोनों खिलाड़ियों से बहुत कुछ सीखा है. अंकित ग्रैंड मास्टर बनना चाहते हैं. अंकित ने कहा- 'मुझे शतरंज खेलना पसंद है. मैं ग्रैंड मास्टर और इंटरनेशनल मास्टर बनना चाहता हूं. मुझे आर. प्रज्ञानंद और कार्लसन का खेल पसंद है.'
अंकित की मां का संघर्ष-
अंकित और उनका परिवार कोलकाता के बेहाला में रहता है. अंकित की मां का कहना है कि जब वो छोटा था तो बोल और सुन नहीं सकता था. तब हमें कुछ समझ नहीं आता था. हम चाहते थे कि वो कुछ खेल खेले. जब हमें पता चला कि वो सुन और बोल नहीं सकता, तो हमें चिंता हुई. लेकिन हमने उसे शतरंज का खिलाड़ी बनाने का फैसला किया. क्योंकि इस खेल में बोलने और सुनने की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. अंकित की मां का कहना है कि मैं चाहती हूं कि कोई उसे स्पॉन्सर करे. मुझे लगता है कि वो भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करेगा.
देश के लिए जीते मेडल- दादा
अंकित के दादा अंबर गांगुली कहते हैं कि हमें उसपर गर्व है. मुझे नहीं पता कि भगवान ने उसे ऐसा क्यों बनाया? लेकिन अभी जो वो कर रहा है, उसपर हमें गर्व है. मैं चाहता हूं कि वह डेफ ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीते.
कोच एमके चंद्रशेखर ने अंकित को विशेष ट्रेनिंग दी है. अंकित को लेकर अब उनके कोच भी सपने देखने लगे हैं. उन्होंने कहा कि इतने बड़े टूर्नामेंट में खेलने से मैं बहुत खुश हूं. मुझे शुरू से ही उसपर भरोसा था. उसे प्यार से खास ट्रेनिंग दी गई है. मुझे उम्मीद है कि वो अच्छा प्रदर्शन करेगा.
अंकित बारिशा हाई स्कूल में पढ़ाई करते हैं. अभी वो सिर्फ शतरंज के सपने देखते हैं. उनको शतरंज की लत लग गई है. वो दिन में 4 से 5 घंटे शतरंज खेलते हैं. अंकित को ज्यादा पढ़ाई करना पसंद नहीं है.
(कोलकाता से अनिर्बन सिन्हा रॉय की रिपोर्ट)
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