जम्मू-कश्मीर के बडगाम जिले के एक ताइक्वांडो खिलाड़ी बिलाल अहमद ने साबित कर दिया है कि अगर कोई दृढ़ संकल्प है तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने वाले अहमद ने अपने स्कूल के दिनों से ही खेल खेलना शुरू कर दिया था. खेल केवल शहरों में ही खेले जा सकते थे क्योंकि कश्मीर के गांवों और दूर-दराज के इलाकों में खेल खेलने और उसमें करियर बनाने के लिए ज्यादा सुविधा नहीं थी लेकिन, अहमद ने अपना दृढ़ संकल्प बनाए रखा और ताइक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन गए.
अहमद को अच्छी तरह से प्रोत्साहित किया गया और उन्होंने कड़ाके की सर्दियों में श्रीनगर में अभ्यास के लिए जाना शुरू कर दिया. खुद की मेहनत से उनका स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप के लिए चयन होने लगा. अहमद ने बताया कि उन्होंने बडगाम के एक स्कूल में 5वीं कक्षा में एडमिशन लिया. उस स्कूल में सैयद शुजा नाम के एक कोच ने मार्शल आर्ट में उन्हें गाइड किया. तब से उन्होंने मार्शल आर्ट का अभ्यास करना शुरू कर दिया, जोकि अभी भी चल रहा है. उन्होंने अहमद को एक साल के लिए कोचिंग दी.
अहमद के पास कई बार फीस देने के लिए भी नहीं होते थे पैसे
अहमद आगे बताते हैं कि उनके कोच ने उनकी बहुत मदद की. उन्हें हर वक्त जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया और ये भरोसा भी दिलाया कि वह अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग ले सकता है. वह बताते हैं कि वह एक मिडल क्लास फैमिली से हैं. कई बार वह अपने खर्चों को पूरा नहीं कर पाते थे, इसलिए उनके कोट ने उन्हें हर बार सपोर्ट किया. वह अहमद से कम फीस ले रहे थे और उनके लिए अपनी जेब से पैसा भी दिया.
पिता ने भी हमेशा अहमद का साथ दिया
अहमद के पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनके परिवार में कुल तीन भाई हैं. उनके पिता ने भी हर चीज में उनका स्पोर्ट किया. यही वहज है कि आज अहमद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में आगे बढ़ने में सक्षम हुए. अहमद ने पहली बार 2012 में एक जिला स्तरीय कार्यक्रम में भाग लिया था. फिर उन्हें राज्य स्तर पर जम्मू के लिए चुना गया और उन्होंने वहां पहला स्थान हासिल किया. बाद में उनका राष्ट्रीय स्तर के लिए चयन हो गया.
अहमद बताते हैं कि ताइक्वांडो के खेल में फिटनेस और लचीलेपन की जरूरत होती है. वह उस खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर की चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें वह अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहते हैं. उन्हें उम्मीद है कि वह गोल्ड जीतेंगे और अपने देश का मान बढ़ाएंगे.
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