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Tata Steel Chess Tournament: दिग्गज खिलाड़ी Viswanathan Anand को पीछे छोड़ भारत के नंबर 1 Chess Player बने Praggnanandhaa, वर्ल्ड चैंपियन Ding Liren को हराया

गैंडमास्टर Rameshbabu Praggnanandhaa ने दिग्गज चेस प्लेयर Viswanathan Anand को पीछे छोड़ दिया है और देश के सर्वाधिक रेटिंग वाले खिलाड़ी बन गए हैं. 18 साल के प्रज्ञानंद के 2748.3 रेटिंग अंक हो गए हैं. जबकि विश्वनाथन आनंद के 2748 अंक हैं.

Rameshbabu Praggnanandhaa (Photo/Twitter) Rameshbabu Praggnanandhaa (Photo/Twitter)

भारत के युवा शतरंज चेस प्लेयर रमेशबाबू प्रज्ञानंद ने दिग्गज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद को पीछे छोड़ दिया है और देश के सबसे अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ी बन गए हैं. 18 साल के खिलाड़ी ने टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट के चौथे दौर में चीन के मौजूदा विश्व चैंपियन डिंग लीरेन को हराने के साथ ही ये उपलब्धि हासिल कर ली. प्रज्ञानंद ने काले मोहरे से खेलते हुए 62 चालों में जीत दर्ज की. इसके साथ ही प्रज्ञानंद भारत के दूसरे ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं, जिन्होंने क्लासिकल चेस में मौजूदा चैंपियन को हराया है.

भारत के नंबर वन खिलाड़ी बन गए प्रज्ञानंद-
टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में चीनी खिलाड़ियों को हराने के बाद भारत के सुपरस्टार प्रज्ञानंद के 2748.3 रेटिंग अंक हो गए. जबकि 5 बार के वर्ल्ड चैंपियन रहे विश्वनाथन आनंद की रेटिंग में 2748 अंक हैं. प्रज्ञानंद ने इसपर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि मुझे लगा कि मैंने बहुत ही आसानी से बराबरी कर ली है. लेकिन इसके बाद उसके लिए चीजें गलत होने लगीं. उन्होंने कहा कि वर्ल्ड चैंपियन के खिलाफ क्लासिकल चेस में पहली बार जीतना अच्छा लगता है.

भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर-
प्रज्ञानंद 5 साल की उम्र से ही चेस खेलना शुरू कर दिया था. साल 2018 में 12 साल की उम्र में प्रज्ञानंद भारत के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए थे. दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड भी प्रज्ञानंद के नाम ही दर्ज हो गया था. प्रज्ञानंद की बड़ी बहन आर. वैशाली भी ग्रैंडमास्टर हैं. दुनिया में ग्रैंडमास्टर बनने वाली पहली भाई-बहन की जोड़ी है.
प्रज्ञानंद पिछले साल फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. लेकिन खिताबी जीत से चूक गए थे. उनको दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा था.

प्रज्ञानंद को मिलता है घर का खाना-
प्रज्ञानंद के इस मुकाम तक पहुंचने में उनकी मां नागलक्ष्मी का अहम रोल है. उनकी मां हमेशा उनके साथ रहती हैं. विदेशी दौरे पर प्रज्ञानंद अपनी मां के हाथ का बना खाना खाती हैं. जब वो किसी टूर्नामेंट के लिए विदेशी दौरे पर जाते हैं, तो उनकी मां अपने साथ एक इंडक्शन स्टोव और दो स्टील के बर्तन ले जाती हैं, ताकि वो अपने बेटे के लिए रसम और चावल बना सकें.

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