भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 24 अगस्त का दिन बेहद खास है. टीम इंडिया ने आज ही के दिन (24 अगस्त 1971) इंग्लैंड में पहली बार न सिर्फ टेस्ट मैच में जीत दर्ज की थी बल्कि पहली सीरीज भी अपने नाम की थी. भारत की कप्तानी तब अजित वाडेकर संभाल रहे थे जबकि इंग्लैंड की कमान रे इलिंगवर्थ के पास थी. उस समय टेस्ट मैच 5 के बजाय 6 दिनों का होता था, जिसमें 1 रेस्ट डे शामिल था. भारत को इंग्लैंड की धरती पर पहली जीत दर्ज करने के लिए पूरे 39 साल और 21 टेस्ट मैचों का इंतजार करना पड़ा था. आइए आज उस मैच की कहानी जानते हैं.
अजित वाडेकर ने सेलेक्टर्स का फैसला किया सही साबित
1971 में ही मंसूर अली खान पटौदी की जगह टीम की कप्तानी अजित वाडेकर को सौंपी गई थी. सेलेक्टर्स का यह फैसला सही साबित हुआ. वाडेकर ने पहले कैरेबियाई किला फतह किया और फिर इंग्लैंड में जीत का झंडा गाड़ा. इंग्लैंड दौरे से ठीक पहले भारत ने वेस्टइंडीज को 5 टेस्ट की सीरीज में 1-0 से शिकस्त दी थी. यह कैरेबियाई टीम के खिलाफ भारत की पहली सीरीज जीत थी.
वेस्टइंडीज को हराकर इंग्लैंड पहुंची थी टीम इंडिया
वेस्टइंडीज को हराकर भारत अपने अगले मिशन के लिए इंग्लैंड पहुंचा था. दोनों देशों को 3 टेस्ट की सीरीज खेलनी थी. लेकिन तब तक भारत को सुनील गावस्कर के रूप में बल्लेबाजी का नया सितारा मिल चुका था. गावस्कर ने 1971 के वेस्टइंडीज दौरे पर ही टेस्ट डेब्यू किया था और उन्होंने पहली ही सीरीज में 774 रन ठोक डाले थे. फिर भी, इंग्लैंड की जमीन पर जीत आसान नहीं था. पुराना रिकॉर्ड डराने और मायूस करने वाला था.
भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज के पहले 2 टेस्ट रहे थे ड्रॉ
22 जुलाई, 1971 को लॉर्ड्स टेस्ट से सीरीज का आगाज हुआ. पहला मुकाबला ड्रॉ रहा. इसके बाद दोनों टीमें मैनचेस्टर में भिड़ीं. भारत को इस टेस्ट की चौथी पारी में जीतने के लिए 420 रन का लक्ष्य मिला था. इसका पीछा करते हुए 65 रन पर 3 विकेट भी गिर चुके थे. लेकिन तभी बारिश शुरू हो गई और आगे का खेल नहीं हो पाया. यह मुकाबला भी ड्रॉ रहा.
भारत की पहली पारी 284 रन पर सिमट गई
ओवल के मैदान पर 19 अगस्त से सीरीज का तीसरा और आखिरी टेस्ट होना था. सीरीज जीतने के लिए दोनों ही देशों के लिए यह मुकाबला जीतना जरूरी था. हालांकि, पहली बाजी इंग्लैंड कप्तान रे इलिंगवर्थ के हाथ आई. उन्होंने टॉस जीता और सपाट नजर आ रही पिच पर बल्लेबाजी का फैसला किया. इंग्लैंड ने पहली पारी में 355 रन बनाए. इसके जवाब में भारत की पहली पारी 284 रन पर सिमट गई.
चंद्रशेखर ने 38 रन देकर 6 विकेट लिए थे
लगा कि इंग्लैंड में पहली टेस्ट जीत का इंतजार और लंबा हो जाएगा. लेकिन दूसरी पारी में पिच और खेल पूरी तरह बदल गया. फिरकी गेंदबाज भागवत चंद्रशेखर के रूप में सुनामी आई और यह सुनामी जब रूकी, तब तक इंग्लैंड की बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह बिखर चुकी थी. स्कोरबोर्ड पर सिर्फ 101 रन ही टंगे थे. चंद्रशेखर ने 38 रन देकर 6 विकेट झटके.
भारत ने 39 साल बाद इंग्लैंड में पहला टेस्ट जीता
भारत को जीत के लिए 173 रनों का लक्ष्य मिला. धीमी और टर्न लेती ओवल की पिच पर इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं था. 134 रन पर भारत के भी 5 विकेट गिर चुके थे. लेकिन फारुख इंजीनियर और आबिद अली ने हिम्मत नहीं हारी और जीत के बाद ही पवेलियन लौटे. भारत का 39 साल लंबा सूखा खत्म हुआ और इंग्लैंड के लगातार 26 टेस्ट न गंवाने का सिलसिला भी टूट गया.
खिलाड़ियों का देश लौटने पर जमकर हुआ था स्वागत
इंग्लैंड से सीरीज जीतने के बाद जब टीम इंडिया देश लौटी तो संताक्रूज एयरपोर्ट पर खिलाड़ियों का जमकर स्वागत हुआ. टीम को होटल पहुंचने में घंटों लग गए. क्योंकि एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए हजारों फैंस पहुंच गए थे. भारतीय खिलाड़ियों के सम्मान का सिलसिला यहीं नहीं थमा. इसके कई हफ्तों बाद तक थिएटर में किसी फिल्म के शुरू होने से पहले खिलाड़ियों की शानदार अगवानी की वीडियो फिल्म दिखाई जाती थी. सिनेमा हॉल में पहुंचे दर्शक अपने सितारा खिलाड़ियों के सम्मान में ताली बजाते थे.