scorecardresearch

Landmines to Para Asian Games: देश की सुरक्षा में इन सैनिकों ने गंवाई अपनी टांग, अब पैरा एशियन गेम्स में चमकाएंगे भारत का नाम

भारतीय सेना के कई सैनिक आज Para Asian Games में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं. इन सैनिकों ने देश की सुरक्षा में अपने पैर गंवा दिए लेकिन भारत मां की सेवा करने से कभी पीछ नहीं हटे.

Ramudri Someshwara Rao and Hokato Sema (Photo: ANI) Ramudri Someshwara Rao and Hokato Sema (Photo: ANI)

साल 2013 में सोमेश्वर राव ने जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में एक बारूदी सुरंग विस्फोट में घुटने के नीचे से अपना बायां पैर खो दिया था. वह इस आघात से जूझ ही रहे थे कि एक दिन उनके मन में खुद की जिंदगी खत्म करने का विचार आया. हाथ में ब्लेड लेकर वह बाथरूम की ओर चले. लेकिन सही समय पर उनकी मां की एक फोन कॉल ने उनकी जान बचा ली.

उन्होंने खुद से वादा किया था कि वह फिर कभी इस तरह के विचार मन में नहीं लाएंगे. लेकिन यह इतना आसान नहीं था. उन्होंने अपना एक पैर गंवाया था और इसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी. हालांकि, उस समय उन्हें यह नहीं पता था कि यह उनके जीवन की नई शुरुआत है. राव को सेना के पैरा ट्रायथलीट, लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव दत्ता से मिलने का मौका मिला और यहां से उन्हें जिंदगी जीने एक नया मकसद मिला. 

पैरा एशियाई खेलों में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 54 साल के लेफ्टिनेंट कर्नल दत्ता से सोमेश्वर राव की मुलाकात पुणे के आर्टिफिशियल लिंब सेंटर में हुई थी. उनसे प्रेरित होकर राव ने ट्रैक और फील्डिंग करना शुरू किया. उन्होंने ब्लेड-रनर के रूप में शुरुआत की, लेकिन बाद में लंबी कूद में चले गए. और साल 2023 के अंत में वह हांग्जो में पैरा एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.

लेफ्टिनेंट कर्नल दत्ता ने 2017 में सेना के पैरालंपिक नोड (एपीएन) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 22 से 28 अक्टूबर 2023 के पैरा एशियाई खेलों में, राव सहित एपीएन के आठ ट्रेनी भारतीय टीम का हिस्सा होंगे. राव के साथ, सोलाई राज और उन्नी रेनू जम्पर होंगे, जबकि जसबीर सिंह और अजय कुमार 400 मीटर स्पर्धा में भाग लेंगे. शॉट पुट इवेंट में होकातो सेमा, सोमन राणा और वीरेंद्र एक्शन में दिखेंगे. इसके लिए ट्रायल मंगलवार को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया गया. 

लेफ्टिनेंट कर्नल दत्ता ने बदली कई जिंदगियां
12 डोगरा रेजिमेंट के 33 वर्षीय जवान अजय कुमार की कहानी भी कुछ राव जैसी ही है. घातक प्लाटून के अजय ने भी उरी सेक्टर में निगरानी के दौरान एक बारूदी सुरंग विस्फोट में अपना ऑर्गन खो दिया. 2017 की घटना के बाद, उन्हें एक प्रशासनिक पोस्टिंग दी गई लेकिन उन्हें मजा नहीं आया. 

ऐसे में उन्होंने कर्नल दत्ता को फोन किया और कहा कि उन्हें खेलों में शामिल होने दें. खेल ने इन लोगों को जीवन में दूसरी पारी दी है. अगर यह खेल के लिए नहीं होता, तो आज शायद वे खुश नहीं होते. लेफ्टिनेंट कर्नल दत्ता ने कई युवाओं के जीवन को बदल दिया है, लेकिन उनका अभी भी मानना है कि भारत में पैरा स्पोर्ट्स में बहुत कुछ किया जाना बाकी है. 

पैरा-कमांडो का सपना टूटा तो बने पैरा एथलीट 
शॉट पुटर होकाटो सेमा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि खेलों में उनके होने का श्रेय भी "दत्ता साहब" को जाता है. 9 असम रेजिमेंट के सिपाही, सेमा सिर्फ एक एडल्ट थे जब उन्होंने 2002 में एलओसी पर एक ऑपरेशन में हिस्सा लेने का विकल्प चुना. वह और उनके दोस्त विशेष बलों (पैरा कमांडो) में शामिल होना चाहते थे. 

लेकिन जब सेमा घुसपैठियों के साथ गोलीबारी कर रहे थे और बर्फ पर दौड़ते समय उनका पैर एक बारूदी सुरंग पर पड़ गया. इसके बाद उनका पैरा कमांडो बनने का सपना चकनाचूर हो गया. हालांकि, सेमा का दोस्त आज एक कमांडो है. इस घटना के बाद 14 सालों तक सेमा ने प्रशासन से संबंधित कार्यों में सेना की सेवा की और खेल के बारे में कभी नहीं सोचा. 

साल 2016 में, नागालैंड निवासी सेमा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था और अपने घर जा रहा था. तब कर्नल दत्ता ने उन्हें बुलाया और कहा कि उन्हें खेल खेलना चाहिए. तब उन्हें यह भी नहीं पता था कि पैरा-स्पोर्ट्स भी कोई चीज़ है. सेमा 2017 चीन ग्रांड प्रिक्स कांस्य पदक विजेता हैं और दूसरों की तरह रैंकिंग और परीक्षणों के आधार पर उन्होंने एशियाड में जगह बनाई है.