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दलित परिवार में जन्मी सोनिया के पिता करते थे मजदूरी, पहली बार इंटरनेशनल क्रिकेट खेली और जीत लाई अंडर 19 टी20 वूमेन वर्ल्ड कप

सोनिया महेंदिया का जन्म एक दलित परिवार में 20 मई 2004 को गांव ब्रह्मणवास में हुआ. राजपाल मेहंदिया के तीन बेटियां और एक सबसे छोटा बेटा पैदा हुआ. पिता राजपाल गांव में ही मेहनत मजदूरी कर परिवार का लालन पालन कर रहे थे.

सोनिया महेंदिया सोनिया महेंदिया

इंडिया की जूनियर महिला क्रिकेट टीम ने साउथ अफ्रीका में अंडर 19 टी20 वूमेन वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम को हरा कर जीत लिया. इंडिया टीम की कप्तानी रोहतक की रहने वाली सैफाली के नेतृत्व में यह अंडर 19 टी20 वूमेन वर्ल्ड कप जीता है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर टीम को बधाई दी. इस टीम में रोहतक की एक और खिलाड़ी खेली जिसका नाम सोनिया महेंदिया है. सोनिया महेंदिया रोहतक जिले के छोटे से गांव ब्रह्मणवास की रहने वाली हैं. रोहतक की दो-दो छोरियां भारत की टीम में खेली जिससे हरियाणा का ही नहीं रोहतक का भी नाम रोशन हुआ है.

सोनिया महेंदिया का जन्म एक दलित परिवार में 20 मई 2004 को गांव ब्रह्मणवास में हुआ. राजपाल मेहंदिया के तीन बेटियां और एक सबसे छोटा बेटा पैदा हुआ. पिता राजपाल गांव में ही मेहनत मजदूरी कर परिवार का लालन पालन कर रहे थे. महज चार साल की उम्र में सोनिया के सिर से पिता का साया उठ गया. इसके बाद मां सरोज ने किसी प्रकार से परिवार को संभाला. 

सोनिया की मां सरोज अशिक्षित हैं. उन्होंने गांव की आंगनवाड़ी में हेल्पर के तौर पर ढाई हजार रुपए में काम करना शुरू किया. आज आठ साल हो गए अभी भी वेतन साढ़े पांच हजार मिल रहा है. सोनिया की मां सरोज ने परिवार को बहुत मुश्किल से संभाला है. आज भी एक कमरे में परिवार रहता है. 

सोनिया की मां सरोज ने बताया कि हमारी पहले से दो बेटी पैदा होने बाद जब सोनिया गर्भ में थी तो वह सोचती थी कि बेटा हो जाए. मगर सोनिया का जन्म पर थोड़ी उदास हुई. मगर समय बीतने के बाद वह सबसे लाड़ली बेटी बन गई उसके बाद उसके भाई का जन्म हुआ. जब मैं आंगनवाड़ी में हेल्पर के तौर पर काम करती थी तो उसको अपने साथ आंगनवाड़ी में ले जाती थी. वहां बच्चों के साथ प्लास्टिक के बैट के साथ खेलती थी. घर आने पर वो कपड़ों को धोने वाली लकड़ी की थापी से गली में बच्चों के साथ खेलती थी. जैसे जैसे सोनिया बड़ी हुई उसकी रुचि क्रिकेट में होने लगी. वह जिद्द करने लगी कि उसे क्रिकेट खेलना है. शुरू में उसे खेलने से मना किया मगर उसकी जिद्द के आगे हार गई.

तेरह साल की उम्र में सोनिया ने खेलना शुरू किया. वह इतनी बहादुर थी कि गांव से अकेली ही ऑटो रिक्शा में रोहतक शहर में बीस पच्चीस किलोमीटर रोजाना जाती थी. एकेडमी में सैफाली वर्मा समेत दो तीन ही लड़कियां प्रैक्टिस करती थीं. उसके बाद हमने उसको कभी क्रिकेट खेलने से नहीं रोका. उसको खाने में वेज और नॉन वेज पसंद है उसको सबसे ज्यादा खाने में नमकीन चावल,आलू मटर की सब्जी पसंद है. सोनिया ने पहली बार पहली बार इंटरनेशनल क्रिकेट खेली और वह इंडिया के जीत लाई अंडर 19 टी20 वूमेन वर्ल्ड कप जीत की दिलवाई है. मेरी बेटी का सपना क्रिकेट खेलना था और उसका सपना सच हुआ. हमे उससे काफी उम्मीद है वह आगे और इंडिया के लिए खेले.

-पवन राठी की रिपोर्ट