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U19 World Cup: जानिए रवि कुमार के बारे में, जिन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ तूफानी खेल में भारत को दिलाई जीत

क्रिकेट की दुनिया के इस उभरते सितारे की कहानी भी काफी मुश्किल रही है. शुरुआत से ही उनकी मां को उनके बेटे की काफी चिंता रहती थी. वह चाहती थीं कि वे पढ़ाई पर ध्यान दें और डिग्री हासिल करें. हालांकि, रवि, ​​बेफिक्र होकर, उनसे कहते थे कि आज, आप मुझे रोक रहे हैं लेकिन एक दिन आएगा जब आप मुझे टीवी पर देखेंगे.

RAVI KUMAR RAVI KUMAR
हाइलाइट्स
  • कोलकाता से हुई सफर की शुरुआत

  • वीनू मांकड़ ट्रॉफी के लिए बंगाल की अंडर -19 टीम के लिए चुना गया

शनिवार को भारत ने अंडर-19 वर्ल्ड कप के सुपर लीग क्वॉर्टर फाइनल-2 में बांग्लादेश को 5 विकेट से हराकर शानदार जीत दर्ज की. लेकिन, इस जीत में बहुत बड़ा हाथ रहा रवि कुमार का. यूं तो ओडिशा के माओवाद प्रभावित रायगढ़ जिले में मुट्ठी भर लोगों के सिवाए सीआरपीएफ कैंप में रवि कुमार को कोई नहीं जानता. लेकिन शनिवार की रात ने सब कुछ बदल दिया. रवि ने 14 रन देकर तीन विकेट चटकाए, उन्होंने  5-1-5-3 के शुरुआती स्पेल अंडर -19 विश्व के सेमीफाइनल में जगह बनाने में अहम भूमिका निभाई. 

सीआरपीएफ जवान राजिंदर सिंह के बेटे रवि का जन्म 29 अक्टूबर 2003 को कोलकाता में हुआ था. बाद में उनका परिवार उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शिफ्ट हो गया, जहां उन्होंने टेनिस-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया. रवि के बचपन के कोच अरविंद भारद्वाज ने उन्हें खेल की बारीकियां सिखाईं और फिर वह क्रिकेट खेलने के लिए कोलकाता लौट गए. 

मीडिया से बात करते हुए पिता राजिंदर कहते हैं, “कल तक यहां राजिंदर को कोई नहीं जानता था. आज सभी अफसर जानते हैं. सभी अधिकारियों ने मुझे फोन किया और बधाई दी, मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए कई शब्द नहीं हैं.”

बचपन में मां को रहती थी काफी चिंता 

क्रिकेट की दुनिया के इस उभरते सितारे की कहानी भी काफी मुश्किल रही है. शुरुआत से ही उनकी मां को उनके बेटे की काफी चिंता रहती थी. वह चाहती थीं कि वे पढ़ाई पर ध्यान दें और डिग्री हासिल करें. हालांकि, रवि, ​​बेफिक्र होकर, उनसे कहते थे कि आज, आप मुझे रोक रहे हैं लेकिन एक दिन आएगा जब आप मुझे टीवी पर देखेंगे. 

कोलकाता से हुई सफर की शुरुआत 

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए राजिंदर बताते हैं जब रात में उन्होंने अपने बेटे को बॉलिंग करते हुए देखा तो वे बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे. वे कहते हैं, “अगर आप में दम है, तो संसाधन न होते हुए भी आप भारत के लिए जरूर खेलेंगे." 

राजिंदर जानते थे कि अपने मामूली वेतन से वे रवि को उतने संसाधन नहीं उपलब्ध करवा सकते हैं. लेकिन जब एक पड़ोसी, जिनका कोलकाता में ही घर है, ने राजिंदर से कहा कि रवि वहीं उनके साथ रह सकते हैं. 13 साल की उम्र में रवि कोलकाता चले गए जहां से उनके इस सफर की शुरुआत हुई.  

बहुत कम मिला दोस्तों का साथ 

रवि बताते हैं कि कई बार उन्हें ताना मारा जाता था. वे कहते हैं, "मैंने अपने दोस्तों से एक ताना सुना कि मैं ज्यादा कुछ नहीं कर पाऊंगा, अब वही लोग मेरी तारीफ करते हैं. यही जीवन है. एक चीज जो मैंने सीखी है वो ये कि आखिर तक सिर्फ परिवार ही आपके साथ रहता है.”

कुछ ऐसे सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे हैं रवि 

2019 में रवि बालीगुंज यूनाइटेड के लिए अंडर 16 के ट्रायल देने आए थे. लेकिन तब उन्हें मौका नहीं मिल पाया और वे बाहर हो गए. हालांकि कुछ समय बाद कंचनजंग वॉरियर्स की ओर से उन्होंने कैब टी20 लीग में हिस्सा लेने का मौका मिला और इस तरह उन्होंने बंगाल की अंडर 19 टीम में जगह बना ली. पिछले साल के अंत में, उन्हें वीनू मांकड़ ट्रॉफी के लिए बंगाल की अंडर -19 टीम के लिए चुना गया था. उनकी सफलता ने उन्हें चैलेंजर्स ट्रॉफी, ट्राई- सीरीज और एशिया कप में जगह दिलाई.

रवि बताते हैं कि उनकी बस एक इच्छा है कि लोग उन्हें देखकर कहें कि वे उनके जैसा बनना चाहते हैं. हालांकि वह जानते हैं कि इस सपने की यात्रा अभी शुरू हुई है, और अभी भी उन्हें एक लंबा रास्ता तय करना है.