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Fifa U-17 Women's World Cup 2022: वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की कप्तान है बेटी, माता-पिता 250 रुपये की दिहाड़ी पर कर रहे मजदूरी

भारत में क्रिकेट से लोग बहुत प्यार करते हैं और इस खेल में कमाई करोड़ों की होती है. वहीं दूसरे खेलों की बात करें तो उनकी स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. ताजा उदाहरण अष्टम उरांव के परिवार की स्थिति देखकर लगा सकते हैं. बता दें, अष्टम उरांव फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

अष्टम उरांव के माता-पिता कर रहे दिहाड़ी मजदूरी अष्टम उरांव के माता-पिता कर रहे दिहाड़ी मजदूरी

भारत में क्रिकेट से लोग बहुत प्यार करते हैं और इस खेल में कमाई करोड़ों की होती है. वहीं दूसरे खेलों की बात करें तो उनकी स्थिति उतनी अच्छी नहीं है. ताजा उदाहरण अष्टम उरांव के परिवार की स्थिति देखकर लगा सकते हैं. बता दें, अष्टम उरांव फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

अष्टम उरांव के नाम से बन रही सड़क

एक ओर क्रिकेट में खिलाड़ी मालामाल हो रहे हैं. वहीं फीफा अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप 2022 में भारतीय टीम का नेतृत्व कर रहीं अष्टम उरांव का परिवार बदहाली का दंश झेल रहा है. इसके बावजूद उसी घर की बेटी अष्टम उरांव गरीबी व साधन विहीन माहौल में संघर्ष कर आगे निकल कर आज विश्वकप में भारतीय टीम को लीड कर रही हैं. आलम यह है कि उरांव के माता-पिता दोनों सड़क निर्माण कार्य में 250 रुपये की दिहाड़ी पर मजदूरी करते पाए गए. बता दें कि प्रशासन उसी सड़क को उरांव के नाम से बनवा रही है.

एक ओर देखा जाता है कि क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ियों के साथ उनके परिजनों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है, वहीं दूसरी ओर हॉकी- फुटबॉल जैसे नेशनल स्तर के कई खिलाड़ियों की पारिवारिक स्थिति तंगहाली और बदहाली में है.

हर साल बेंगलुरु कमाने जाते थे पिता

अष्टम के पिता हीरा उरांव ने कहा कि मजदूरी नहीं करेंगे तो परिवार का पेट कैसे भरेगा. जबकि मां तारा देवी को खुशी है कि बेटी भारत की कप्तान बन गई है. वह बताती हैं कि अष्टम शुरू से ही जुझारू रही. वह जिस काम को ठान लेती है उसे पूरे मन के साथ करती है. अष्टम के पिता हर साल बेंगलुरु कमाने के लिए जाते थे ताकि अपने बच्चे की परवरिश कर सकें. अष्टम उरांव के कहने पर ही उनके पिता बेंगलुरु कमाने नहीं गए. बेंगलुरु का टिकट कैंसिल करके गांव में सड़क बनाने का काम शुरू हुआ तो उसमें दिहाड़ी करने लगे.

मां तारा उरांव ने कहा कि वह अपनी बेटी को गरीबी के कारण भात और बथुआ साग खिलाकर बड़ा किया है. जब उनकी बेटी नौकरी करने लगेगी तो वह दिहाड़ी मजदूरी का काम छोड़ देंगे.

अष्टम के सम्मान में बनाया जाएगा स्टेडियम

जिला खेल पदाधिकारी कुमारी हेमलता बुन तथा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी छन्दा भट्टाचार्य ने कहा कि अष्टम के सम्मान में जिला प्रशासन की ओर से उसके घर तक सड़क निर्माण का कार्य कराया जा रहा है. उनके माता-पिता उसी सड़क के निर्माण में मजदूरी कर रहे हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कोई काम छोटा नहीं होता है. आगे उन्होंने कहा कि प्रशासन स्तर से आने वाले समय में अष्टम के सम्मान में स्टेडियम भी बनाया जाएगा.