अंडर-19 वर्ल्ड कप के सेमीफइनल में भारतीय क्रिकेट टीम का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ और गुड न्यूज़ यह है कि भारत यह मैच जीत गया. भारत की इस जीत का श्रेय उस सलामी बल्लेबाज को जाता है जिन्होंने शतक जड़कर टीम को मजबूत स्थिति में खड़ा किया और ऑस्ट्रेलियाई टीम पर दवाब बनाया है.
जी हां, अंडर-19 भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान यश ढुल ने यह कारनामा किया है. इसके साथ ही वह अंडर-19 में शतक जड़ने वाले तीसरे भारतीय कप्तान बन गए हैं. उनसे पहले यह काम विराट कोहली और उन्मुक्त चंद ने किया था.
सेमीफइनल में भारत की खराब शुरुआत के बावजूद यश ने बिना कोई दवाब लिए 110 गेंदों पर 110 रन बनाकर शानदार पारी खेली. उन्होंने शेख रसीद के साथ 204 रनों की साझेदारी की और भारतीय टीम को जीत तक पहुंचा दिया. आज हर कोई उनके खेल के बारे में बात कर रहा है और अनुमान लगाया जा रहा है कि देश को एक और बेहतरन क्रिकेटर मिलने वाला है.
मां ने पहचानी बेटे की प्रतिभा:
19 वर्षीय यश ढुल दिल्ली से ताल्लुक रखते हैं. बचपन में मात्र 4 साल की उम्र से क्रिकेट सीखने और खेलने की शुरुआत करने वाले यश का अब तक का क्रिकेट ग्राफ बहुत ही शानदार रहा है. यश मुख्य रूप से दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं जिन्होंने अंडर -16 और अंडर -19 टूर्नामेंट में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यश की प्रतिभा को उनकी मां नीलम ने पहचाना था. एक सामान्य परिवार से आने वाले यश को बचपन से ही क्रिकेट में रूचि थी. उनकी प्रतिभा को उनकी मां ने बहुत कम उम्र में भांप लिया था. और उन्होंने यश को क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि सही दिशा भी दी.
11 साल की उम्र में यश ने बाल भवन क्रिकेट अकादमी जॉइन की थी. यहां पर उन्हें खेल की बारीकी सीखने और अपने गुर विकसित करने का मौका मिला. अपने शानदार खेल प्रदर्शन के कारण उनका चयन अंडर-14 में दिल्ली का प्रतिनिधित्व करने के लिए हुआ.
पिता ने नौकरी छोड़ दिया बेटे का साथ:
अंडर-14 में यश का प्रदर्शन बहुत ही अच्छा रहा था. उनका परिवार भी उनकी प्रतिभा को पहचान चुका था. इसलिए उनके पिता विजय ढुल ने फैसला किया कि वह यश के क्रिकेट करियर को संवारने के लिए सबकुछ करेंगे. विजय एक कॉस्मेटिक कंपनी में बतौर सेल्समैन काम करते थे.
लेकिन जब उन्हें लगा कि उनके बेटे को उनके समय की ज्यादा जरूरत है ताकि वह अच्छा परफॉर्म कर पाए तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. लेकिन अब सवाल था कि घर कैसे चलेगा? ऐसे में यश के दादाजी मदद के लिए सामने आए. क्योंकि उनके दादाजी भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं तो उन्होंने अपनी पेंशन से घर चलाने की जिम्मेदारी ली.
यश के पिता का कहना है कि उन्होंने अपने घर के खर्चों में कटौती की ताकि यश को अच्छी से अच्छी सुविधाएं मिलें. उनका परिवार हमेशा यश की जरूरतों को पहले रखता था. जैसे कि यश को खेलने के लिए हमेशा अच्छे क्वालिटी के बैट मिले. उनकी किट और अन्य सभी गियर को उनके पिता समय-समय पर अपग्रेड करते रहते थे.
और आज यश के परिवार की मेहनत का ही नतीजा है कि देश को एक होनहार बल्लेबाज मिला है.
‘सब मेरे हीरो हैं:’
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि ढुल परिवार ने अपने बेटे के करियर को संवारने के लिए दिन-रात एक कर दी. लेकिन इसके साथ ही यश की मेहनत को भी नहीं नकारा जा सकता है. अपने अच्छे खेल के कारण यश को दिल्ली की अंडर-16, अंडर-19 टीम में चुना गया और उन्होंने टीम का नेतृत्व किया.
अब वह अंडर-19 विश्व कप 2022 में भारत की अंडर-19 टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. यश का कहना है कि उनका परिवार उनकी ताकत रहा है. इसके अलावा उनका कोई एक रोल मॉडल नहीं है. जो भी खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर खेलता है उससे सीखने के लिए कुछ न कुछ मिलता ही है.
वह सभी अच्छे खिलाड़ियों की बारीकी से सीखने की कोशिश करते हैं लेकिन किसी की नक़ल नहीं करते हैं. उनके लिए सभी क्रिकेटर उनके हीरो हैं. लेकिन खेल में उनका अपना एक स्टाइल है. और हमें उम्मीद है कि यश का अच्छा खेल और उनका आत्मविश्वास आगे भी देश का नाम इसी तरह रोशन करता रहेगा.