पिछले साल सुर्खियों में आई 30 साल की दिव्यांग विद्या ने एक बार फिर से अपने जैसे सैंकड़ों को हौसला और जीने की राह दिखाई है. विद्या ने इस बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओपन पैरा स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ब्रॉन्ज मेडल जीता है. इस प्रतियोगिता का आयोजन सऊदी अरब में किया गया था. विद्या वही लड़की हैं, जो देश में पहली swiggy डेलिवरी महिला बनी थीं.
मेहनत ला रही रंग
विद्या जब अपने सीधे हाथ से टेबल टेनिस की बाल को अपने कोर्ट से दूसरे कोर्ट पर स्ट्राइक मारती हैं तो उसे समय उनके चेहरे की चमक उनके हौसले और उनकी मेहनत को दिखाती है. विद्या की मेहनत ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है. पहले दो नेशनल में गोल्ड जीत चुकी विद्या ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता है. सऊदी अरब में हाल ही आयोजित इस पैरा स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में लगभग 18 देश के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था.
पैरा ओलंपिक खेलों में गोल्ड जीतना है सपना
विद्या ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतना एक सपना के पूरा होने जैसा है. इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने जी तोड़ मेहनत की है. विद्या बताती हैं कि उस हादसे के बाद रीड की हड्डी जिस तरह से पूरी तरह से टूट गई थी. उसके बावजूद प्रैक्टिस करना, अपना ख्याल रखना क्योंकि प्रैक्टिस के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव के कारण फिर से दर्द होना शुरू हो जाता है. इसके बावजूद मैंने अभ्यास में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. विद्या ने बताया कि उनका सपना है कि वह देश के लिए पैरा ओलंपिक खेलों में गोल्ड जीतकर अपने देश का नाम रोशन कर सकें.
एक हादसे में टूट गई थी रीड की हड्डी
विद्या जन्म से दिव्यांग नहीं थी. एक हादसे में विद्या की रीड की हड्डी टूट गई थी. जब विद्या 12वीं क्लास में पढ़ती थी. उसी दौरान एक ब्रिज से जा रहीं थी तो सामने से आती हुई गाड़ी की रफ्तार को देखते हुए वह घबरा कर पुल से नीचे जा गिरीं. जब उन्हें होश आया तो उनका आधा शरीर काम करना बंद कर चुका था. डॉक्टर का कहना था कि विद्या की रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है. जिसके कारण अब वह जिंदगी भर चल नहीं पाएगी. लेकिन विद्या इस हादसे से हार नहीं मानीं. आज वह अपने जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं.