वर्ल्ड टेस्ट क्रिकेट में एक शब्द की चर्चा जोरों पर है. और यह शब्द है- 'बैजबॉल.' यह ऐसा शब्द है जिसने टेस्ट क्रिकेट के मायने बदल दिए हैं. हम सब जानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट धैर्य का खेल है. खिलाड़ी बिना ओवर की चिंता किए बिना खेलते हैं और अपनी गति से रन बनाते हैं. लेकिन बैजबॉल क्रिकेट इस धारणा को बदल रहा है. और इस तरीके को अपनाया है इंग्लैंड टीम ने जिन्होंने टेस्ट मैच में भी टी-20 मैच का रवैया अपनाकर लंबे फॉर्मेट की रूपरेखा बदल दी है.
कहां से आया यह शब्द
न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेटर ब्रेंडन मैकुलम की पिछले साल मई में मुख्य कोच के रूप में नियुक्ति के बाद ESPN क्रिकइन्फो के पत्रकार एंड्रयू मिलर ने पहली बार यह नाम दिया गया था. 'बैज' शब्द मैकुलम का लंबे समय से चला आ रहा उपनाम है, जो खुद क्रिकेट के अपने आक्रामक तरीके के लिए जाने जाते हैं. लेकिन बैजबॉल सिर्फ आक्रामकता के बारे में नहीं है या न ही एक निर्धारित रणनीति है जिसका इंग्लैंड पालन करता है. यह एक दृष्टिकोण है जो एक मानसिकता के साथ आता है जिसे जॉनी बेयरस्टो ने "स्वतंत्रता" के रूप में वर्णित किया है.
रावलपिंडी टेस्ट में दिखी झलक
इस पहलू को उजागर करने के लिए सबसे परिभाषित स्कोरकार्ड में से एक पाकिस्तान के खिलाफ पिछले दिसंबर में रावलपिंडी टेस्ट है, जब इंग्लैंड ने मैच के पहले दिन चार विकेट पर 506 रन बनाए. जिसमें तीन बल्लेबाज़ - ज़क क्रॉली, बेन डकेट और हैरी ब्रुक - ने शतक लगाए. यह टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में किसी भी टीम द्वारा मैच के पहले दिन बनाए गए सबसे ज्यादा रन थे और 6.75 का स्कोरिंग रेट अब तक का सर्वश्रेष्ठ भी था.
दरअसल, मैकुलम की नियुक्ति के बाद से इंग्लैंड का स्ट्राइक रेट 77.06 का इस दौरान सबसे ज्यादा है. और इस तेज-तर्रार बल्लेबाजी के कारण बल्लेबाजों ने तेज शॉट्स खेले. कोच मैकुलम और कप्तान स्टोक्स के शानदार टीमवर्क ने इंग्लैंड को टेस्ट क्रिकेट में अलग मुकाम दिया है. इंग्लैंड ने स्टोक्स की कप्तानी में अभी तक 13 टेस्ट मैचों में से 11 में जीत दर्ज की.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी किया कुछ ऐसा
अब हाल ही में, एशेज सीरिज के पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी इसी तरीके से खेला और पहले ही दिल 393 रन पर अपनी पारी घोषित कर दी. बहुत से लोगों ने कप्तान स्टोक्स के इस फैसले की तारीफ की तो बहुत से लोगों ने सराहना की.
इस साल की शुरुआत में भी, अनुभवी भारतीय गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने बैजबॉल की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि यह सभी परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा था कि जब आप हर गेंद पर आक्रमण करने की कोशिश करते हैं, तो कई बार आप लड़खड़ा जाते हैं. इस दृष्टिकोण के फायदे और नुकसान दोनों हैं. ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने भी दृष्टिकोण की लंबी अवधि पर सवाल उठाया है.