विधु विनोद चोपड़ा के प्रोडक्शन में बनी फिल्म 3 ईडियट्स (3 Idiots) अपने किरदार फरहान कुरैशी के जरिए एक संदेश देती है; यह कि एक इंसान को भेड़ चाल नहीं चलनी चाहिए. बल्कि उस काम को करना चाहिए जिसे वह पसंद करता है. अगर एक इंसान अपने काम को पसंद करे तो वह विपरीत परिस्थितियों में भी चमक सकता है.
थ्री ईडियट्स की रिलीज़ के 15 साल बाद विधु विनोद चोपड़ा के बेटे अग्नि चोपड़ा इस सीख को चरितार्थ कर रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर में अपना डोमेस्टिक करियर शुरू करने वाले अग्नि रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy 2024) के इस सीजन में मिज़ोरम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. महज आठ मैच खेलने वाले अग्नि का प्रदर्शन किसी सुपरस्टार खिलाड़ी से कम नहीं रहा है.
मुंबई से आए मिजोरम
फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा और फिल्म क्रिटिक एवं पत्रकार अनुपमा चोपड़ा के घर जन्मे अग्नि का झुकाव शुरू से ही क्रिकेट की तरफ रहा. अग्नि ने अपने जूनियर डोमेस्टिक करियर की शुरुआत मुंबई की ओर से की थी. वह मुंबई अंडर-19 टीम के कप्तान थे. लेकिन जब वह अंडर-23 टीम में आए तो उन्हें मश्वरा दिया गया कि वह किसी दूसरे राज्य का रुख कर लें.
मुंबई में टैलेंट की भरमार है इसलिए अग्नि को मैदान पर अनुभव हासिल करने के लिए मौका मिलने की संभावनाएं बहुत कम थीं. ऐसे में उन्होंने 2023 में मिज़ोरम का रुख किया. यहां उन्होंने अक्टूबर 2023 में एक टी20 मैच में सीनियर स्तर पर डेब्यू किया. अपने डेब्यू मैच में अग्नि सिर्फ पांच रन ही बना सके लेकिन इसके साथ उनके जीवन की एक नई शुरुआत हो चुकी थी. एक ऐसा जीवन जो उनके माता-पिता से बहुत अलग था.
फिल्मों से दूर क्रिकेट में चुना करियर
इंडियन एक्सप्रेस के साथ फरवरी 2024 में की गई एक खास बातचीत में अग्नि बताते हैं कि वह चाहते तो बॉलीवुड में 'नेपोटिज्म' उर्फ भाई-भतीजावाद की मदद से अपना करियर बना सकते थे लेकिन बचपन से ही क्रिकेट उनके दिल में बसता था. अग्नि कहते हैं, "जब मैं सात या आठ साल का था तभी से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. फिल्में मेरा शौक नहीं थीं. फिल्मों में नेपोटिज्म है और मेरे पिता मुझे जगह दिला सकते थे. लेकिन मेरा दिल वहां नहीं था."
विधु मजाक में अग्नि के लिए कहा करते थे कि "यह किसका बेटा है, मेरा बेटा तो नहीं हो सकता" लेकिन अब वह अपने बेटे के करियर में खूब दिलचस्पी लेते हैं. अग्नि कहते हैं, "वह अब पूछते हैं, 'तुमने वैसा शॉट क्यों खेला, ऐसे कैसे आउट हो सकते हो?' क्रिकेट की यही बात है. हर कोई कोच बन जाता है. हर किसी को क्रिकेटर से ज्यादा क्रिकेट की जानकारी होती है."
रणजी में छाए हुए हैं अग्नि
डोमेस्टिक क्रिकेट में कदम रखने के बाद से ही अग्नि ने बल्ले से धूम मचा रखी है. भले ही रणजी ट्रॉफी के प्लेट ग्रुप (Ranji Trophy Plate Group) में भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज न खेलते हों, लेकिन अग्नि के आंकड़ों को कम नहीं आंका जा सकता. अब तक सिर्फ आठ फर्स्ट क्लास मैच खेलने वाले अग्नि ने 91.13 की हैरान करने वाली औसत से 1367 रन बनाए हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 238 नाबाद है.
अपने डेब्यू रणजी सीजन में अग्नि ने महज छह मैचों में 939 रन बनाए. इसमें तीन अर्धशतक और पांच शतक शामिल रहे. बात करें इस सीजन की, तो अग्नि ने पहले मैच में पचासा जड़ने के बाद दूसरे मैच में एक शतक और एक दोहरा शतक जड़ा है. इस प्रदर्शन के साथ अग्नि भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों में से एक बनने की राह पर निकल चुके हैं.
पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में अग्नि कहते हैं, "मेरे पिता ने मुझसे कहा है कि अगर तुम्हें सड़क पर बैठने वाला मोची भी बनना है तो अपनी सड़क का सबसे अच्छा मोची बनना. उन्होंने हमें अपने दिल की करने की आजादी दी है लेकिन यह भी कहा है कि हम सर्वश्रेष्ठ बनने की कोशिश करें. टैलेंट आपकी एक हद तक ही मदद कर सकता है. मायने यह रखता है कि आप कितनी मेहनत करते हैं."