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Arshad Nadeem: कभी जेवलिन खरीदने के नहीं थे पैसे, गांववालों ने मिलकर फंड की ट्रेनिंग... अब गोल्ड जीतकर ओलंपिक चैंपियन बने पाकिस्तान के अरशद नदीम

Paris Olympic 2024 के Javelin Throw Final में पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 92.97 मीटर के शानदार थ्रो के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया और भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा के हिस्से सिल्वर आया. हालांकि, नदीम के इस मुकाम तक पहुंचने की कहानी आपका दिल जीत लेगी.

Arshad Nadeem won gold in Paris Olympic 2024 (Photo: X.Com/@MHuzaifaNizam) Arshad Nadeem won gold in Paris Olympic 2024 (Photo: X.Com/@MHuzaifaNizam)
हाइलाइट्स
  • गांववालों ने मिलकर फंड की ट्रेनिंग 

  • बनाया ओलंपिक रिकॉर्ड 

27 साल के अरशद नदीम पाकिस्तान के पहले एथलीट हैं जिन्होंने फ्रांस में पेरिस ओलंपिक 2024 में भाग लेने वाले सात एथलीटों में से जेवलिन थ्रो इवेंट के फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. जेवलिन थ्रो इवेंट के फाइनल में 92.97 मीटर के शानदार थ्रो से नीरज चोपड़ा सहित सभी को चौंका दिया. उन्होंने पाकिस्तान के लिए स्वर्ण पदक जीता और ओलंपिक में पाकिस्तान के लिए इतिहास रचा. पाकिस्तान को 32 साल बाद ओलंपिक मेडल दिलाने वाले अरशद नदीम की कहानी जेवलिन फाइनल में उनके 92.7 मीटर थ्रो जितनी ही शानदार है. 

गांववालों ने मिलकर फंड की ट्रेनिंग 
नदीम की सफलता साबित करती है कि सही मेहनत जरूर रंग लाती है. नदीम ने मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद कभी हार नहीं मानी. नदीम पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मियां चन्नू इलाके के एक साधारण परिवार से आते हैं. स्कूल में बचपन से ही उनकी रूचि खेलों में रही.

उन्होंने स्कूल में क्रिकेट, बैडमिंटन, फुटबॉल और एथलेटिक्स में हाथ आजमाया. लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े हुए तो एथलेटिक्स में उन्हें मजा आने लगा और वह जेवलिन प्रैक्टिस करने लगे. जब उन्होंने जेवलिन थ्रो प्रैक्टिस करना शुरू किया था तो उन परिवार के पास इतने साधन भी नहीं थे कि वह अच्छा जेवलिन खरीद सकें या ट्रेनिंग करवा सकें. 

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नदीम के पिता मुहम्मद अशरफ ने पीटीआई को बताया कि उनके पूरे गांव ने मिलकर नदीम की ट्रेनिंग को फंड किया. उनके पिता का कहना है कि लोगों को पता नहीं है कि अरशद आज इस जगह तक कैसे पहुंचे है. उनके साथी ग्रामीण और रिश्तेदार नदीम के लिए पैसे इकट्ठा करते थे ताकि वह अपनी ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं के लिए दूसरे शहर जा सकें. नदीम ने पाकिस्तान को उसका पहला व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल दिया है. रोम 1960 में कुश्ती में एक और सियोल 1988 में मुक्केबाजी में एक पदक के बाद यह पाकिस्तान का तीसरा व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल है. 

मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़े
साल 2015 में, नदीम ने जेवलिन थ्रो इवेंट्स में कंपीट करना शुरू किया और जल्दी ही अपनी पहचान बना ली. 2016 में, उन्होंने भारत के गुवाहाटी में दक्षिण एशियाई खेलों में 78.33 मीटर के नेशनल रिकॉर्ड के साथ ब्रॉन्ज मेडल जीता था. नदीम ने दोहा, कतर में 2019 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान अपना नाम बनाया जब वह प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने वाले एकमात्र एथलीट बने. 

नदीम के पास खास संसाधन नहीं थे, उन्होंने अपनी मेहनत पर ही हमेशा भरोसा किया. इस साल की शुरुआत में, जब नदीम ने ट्रेनिंग के लिए एक नए जेवलिन की अपील की, तो भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा ने सोशल मीडिया पर उन्हें सपोर्ट दिया और इससे दोनों एथलीटों के बीच खेल भावना का पता चलता है. नदीम ने कई फिजिकल चोटों और पिछले साल हुई घुटने की सर्जरी के बावजूद ओलंपिक में इतिहास रच दिया. 

बनाया ओलंपिक रिकॉर्ड 
जेवलिन थ्रो में अब तक ओलंपिक रिकॉर्ड एंड्रियास थोरकिल्डसेन के नाम था. उन्होंने यह रिकॉर्ड साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में 90.57 मीटर दूर भाला फेंककर यह रिकॉर्ड बनाया था. अब 92.97 मीटर दूर भाला फेंककर नदीम ने नया ओलंपिक रिकॉर्ड गढ़ा है. हालांकि, एक जेवलिन थ्रो में एक रिकॉर्ड जिसे आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है. 

दरअसल, जेवल‍िन थ्रो में चेक गणराज्य के खिलाड़ी के नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है. तीन बार के वर्ल्ड चैम्पियन और ओलंपिक चैम्पियन चेक गणराज्य के दिग्गज एथलीट जान जेलेजनी ने एक एथलेटिक्स कंपटीशन में साल 1996 में 98.48 मीटर दूर भाला फेंककर विश्व रिकॉर्ड कायम किया था जिसे तोड़ना तो दूर, आज तक कोई इसके आसपास भी नहीं पहुंच सकता है. लेकिन मुश्किलों के बावजूद वर्ल्ड लेवल पर अपनी पहचान बनाने वाले नदीम इस बात इस बात का उदाहरण हैं कि कोई भी व्यक्ति कड़ी मेहनत और समर्पण से सब कुछ हासिल कर सकता है.