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सायना नेहवाल पर मालविका की जीत की ‘मां’ है असली नायिका, बेटी के भविष्य के लिए अपने करियर को किया नजरअंदाज

मालविका फिलहाल चेन्नई के SRM यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की स्टूडेंट है. मालविका को 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले थे. मालविका ने जब खेलना शुरू किया था, तब नागपुर में ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जो एक अच्छे खिलाड़ी को चाहिए होती है. वहां न तो सिंथेटिक बैडमिंटन कोर्ट थे और न ही ट्रेनिंग की अच्छी व्यवस्था. लेकिन मालविका के माता-पिता ने हर कदम पर उनकी मदद की.

Malvika with her mother Malvika with her mother
हाइलाइट्स
  • मां इस सफलता की असली नायिका

  • खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी थी अच्छी 

  • राष्ट्रीय स्तर पर अब तक नौ गोल्ड मेडल कर चुकी हैं अपने नाम 

  • उपन्यास पढ़ने का है शौक 

गुरुवार को भारत ने बैडमिंटन में भारत के एक नए सितारे को जन्म लेते देखा. नागपुर की 20 साल की मालविका बंसोड़ ने ओलंपिक कंस्य पदक विजेता और पूर्व नंबर एक खिलाड़ी सायना नेहवाल को मात्र 34 मिनट में हरा कर इतिहास रच दिया है. गुरुवार को खेले गए इस मैच के बाद सायना नेहवाल इंडियन ओपन टूर्नामेंट से बाहर हो गईं. मालविका ने सायना को महिला एकल के दूसरे राउंड में 21-17, 21-9 से हराकर अपनी अबतक की सबसे शानदार जीत दर्ज की. 

मां इस सफलता की असली नायिका 

नागपुर के शिवाजी साइंस कॉलेज से पढ़ चुकी मालविका ने सिर्फ 8 साल की उम्र में बैडमिंटन कोर्ट में कदम रख दिया था. मालविका के माता-पिता डेंटिस्ट हैं. इस सफर की उनकी सबसे बड़ी साथी उनकी मां रही. उनकी मां ने स्पोर्ट्स साइंस में मास्टर की डिग्री सिर्फ इसलिए हासिल की ताकि वे अपनी बेटी के खेल करियर को सही दिशा दे सकें. पिछले तीन साल से मालविका रायपुर में कोच संजय मिश्रा से ट्रेनिंग ले रहीं हैं. इस दौरान मालविका की ट्रेनिंग में कोई रुकावट न आये और उसे आगे किसी तरह की दिक्कत न हो और इसलिए मालविका की मां अपना क्लिनिक छोड़ मालविका के साथ रह रहीं हैं. मालविका के पिता डॉ प्रबोध बंसोड़ का भी मानना है कि मालविका की सफलता में उनकी मां की सबसे बड़ी भूमिका है.

खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी थी अच्छी 

बचपन से ही मालविका स्पोर्ट्स के साथ-साथ पढ़ाई में भी अच्छी थीं. मालविका फिलहाल चेन्नई के SRM यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की स्टूडेंट है. मालविका को 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिले थे. मालविका ने जब खेलना शुरू किया था, तब नागपुर में ऐसी कोई सुविधा नहीं थी जो एक अच्छे खिलाड़ी को चाहिए होती है. वहां न तो सिंथेटिक बैडमिंटन कोर्ट थे और न ही ट्रेनिंग की अच्छी व्यवस्था. लेकिन मालविका के माता-पिता ने हर कदम पर उनकी मदद की और मालविका को कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी. 

राष्ट्रीय स्तर पर अब तक नौ गोल्ड मेडल कर चुकी हैं अपने नाम 

जूनियर लेवल पर अपना नाम बनाने के बाद नागपुर की विश्वराज इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने मालविका के साथ पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया. मालविका को यह कंपनी सालाना 4 लाख रुपए देती है. इसके साथ ही यह कंपनी  कोचिंग, न्यूट्रीशन और फिटनेस का भी खर्च उठाती है. सीनियर लेवल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी हासिल करने से पहले मालविका जूनियर और युवा वर्ग में भी सफलता हासिल कर चुकी थीं. राज्य स्तर पर मालविका ने पहले अंडर-13 वर्ग की भी चैंपियन बनीं और फिर अंडर-17 का खिताब जीता. भारतीय स्कूल गेम्स फेडरेशन की प्रतियोगिताओं में जहां मालविका ने तीन गोल्ड मेडल जीते हैं वहीं जूनियर और सीनियर वर्ग के राष्ट्रीय स्तर के  टूर्नामेंट में वो अब तक नौ गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं.

उपन्यास पढ़ने का है शौक 

इंटरनेशनल फ्यूचर सिरीजा बैडमिंटन टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर उन्होंने 2019 में सीनियर इंटरनेशनल लेवल पर बेहतरीन डेब्यू किया. इसके बाद एक सप्ताह के अंदर ही उन्होंने अन्नपूर्णा पोस्ट इंटरनेशनल सिरीज का खिताब जीता. मालविका बाएं हाथ की खिलाड़ी हैं और वह साउथ एशियन अंडर-21 रीजनल बैडमिंटन चैंपियनशिप और एशियन स्कूल बैडमिंटन चैंपयनशिप में भी गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं. फिलहाल बैडमिंटन में विश्व नंबर 1 'ताई त्ज़ु यिंग' मालविका की फेवरेट हैं. दूसरे खेलों में रोजर फेडरर मालविका के पसंदीदा हैं. मालविका को पढ़ने का बहुत शौक है और वे अखबार, पत्रिकाएं, उपन्यास आदि पढ़ना पसंद करती हैं.