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Wimbledon Championships 2024: पहले सफेद या काली हुआ करती थी टेनिस बॉल, जानें कैसे हो गया इसका पीला रंग... बहुत रोचक है Wimbledon की छोटी सी गेंद का इतिहास

History of Tennis Ball: ये बॉल सफेद या काली होती थी, जिन्हें कोर्ट के बैकग्राउंड से अलग दिखने के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन कलर टेलीविजन के आने के बाद में इसे बदल दिया गया. हालांकि, आज भी टेनिस बॉल के रंग पर बहस छिड़ जाती है. आधिकारिक तौर पर इसे ऑप्टिक येलो के रूप में माना जाता है. लेकिन कई दर्शक और खिलाड़ी गेंद को हरे रंग के रूप में देखते हैं.

Wimbledon Tennis Ball History (Representative Image/Getty Images) Wimbledon Tennis Ball History (Representative Image/Getty Images)
हाइलाइट्स
  • रंगीन टेलीविजन के आने के बाद हुआ बदलाव

  • सफेद से पीले रंग में बदली ये गेंद

टेनिस की दुनिया में विंबलडन चैंपियनशिप (Wimbledon Championships) सबसे ज्यादा महत्व रखती है. विंबलडन चैंपियनशिप 1 जुलाई से 14 जुलाई, 2024 तक चलने वाली है. इस  साल भी कोर्ट, खिलाड़ी और रैकेट पर भी सबकी नजर जाएगी. अक्सर लोग उस छोटी-सी गेंद को नजरअंदाज कर देते हैं. नियॉन पीले रंग की ये टेनिस बॉल केवल एक टूल भर नहीं है बल्कि इसका अपना बहुत बड़ा इतिहास है. टेनिस बॉल की यात्रा, विशेषकर विंबलडन में, टेनिस के पूरी इतिहास को दिखाती है.

सफेद से पीली हुई बॉल 

हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि टेनिस बॉल हमेशा वैसी चमकीली पीली नहीं होती थीं जैसी हम आज देखते हैं. लॉन टेनिस के शुरुआती दिनों में, बॉल आमतौर पर सफेद या काली होती थीं. इनके पीले रंग में बदलने की कहानी कलर टेलीविजन के आगमन और प्रसिद्ध ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर सर डेविड एटनबरो से जुड़ी हुई है.

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शुरुआती दिन में कैसी थी बॉल?

टेनिस के खेल में जानवरों के बाल या ऊन से भरे चमड़े से बनी गेंदों का उपयोग किया जाता था. ये गेंदें, अच्छी तरह से काम करती थीं, लेकिन रबर की बॉल से ये बहुत दूर थीं जिन्हें हम आज जानते हैं. 19वीं सदी के आखिर में जैसे ही टेनिस लॉन टेनिस के रूप में विकसित हुआ, ज्यादा टिकाऊ और अच्छी बॉल की मांग होने लगी. तब रबर को अपनाया गया. ईगल इंडिया रबर कंपनी ने शुरुआत में कपड़े में ढकी रबर की बॉल बनाई और फिर इसमें बदलाव किए गए. 

शुरुआत में, ये बॉल सफेद या काली होती थी, जिन्हें कोर्ट के बैकग्राउंड से अलग दिखने के लिए डिजाइन किया गया था. 1960 के दशक तक इसने अच्छा काम किया. तब खेल और इसके दर्शकों में बदलाव आना शुरू हो चुका था.

रंगीन टेलीविजन का आना है इससे जुड़ा हुआ 

1967 में, जब रंगीन टेलीविजन अपनी शुरुआत कर रहा था, सर डेविड एटनबरो, जो उस समय BBC2 के कंट्रोलर थे, ने विंबलडन को फुल कलर में ब्रॉडकास्ट करने का निर्णय लिया. यह पहले के मोनोक्रोम ब्रॉडकास्ट से फुल कलर तक एक बड़ी छलांग थी. इससे टेनिस को दर्शकों के घरों तक पहुंचा दिया. हालांकि, इस नई तकनीक के साथ एक बड़ी चुनौती भी थी. सफेद टेनिस बॉल को स्क्रीन पर ट्रैक करना मुश्किल था, खासकर कोर्ट की सफेद लाइन के सामने. 

इस मुद्दे को पहचानते हुए, डेविड एटनबरो ने इसका समाधान निकाला. उन्होंने टेनिस बॉल का रंग बदलने का प्रस्ताव रखा ताकि उन्हें टेलीविजन पर ज्यादा विजिबल बनाया जा सके. अंतर्राष्ट्रीय टेनिस महासंघ (ITF) ने इसपर रिसर्च की और पाया कि फ्लोरोसेंट पीला टेनिस कोर्ट में उपयोग की जाने वाली अलग-अलग सतहों पर सबसे ज्यादा दिखाई देने वाला रंग था. इस प्रकार, 1972 में, आईटीएफ ने अनिवार्य कर दिया कि सभी टूर्नामेंट बॉल या तो सफेद या पीली होंगी. हालांकि, विंबलडन ने 1986 तक अपनी पारंपरिक सफेद गेंदों को बरकरार रखा, लेकिन फिर आखिर में इस पीली गेंद को अपना लिया.

पीला या हरा होने पर बहस?

आज भी टेनिस बॉल के रंग पर बहस छिड़ जाती है. जबकि आईटीएफ आधिकारिक तौर पर इसे "ऑप्टिक येलो" के रूप में मानता है. कई दर्शक और खिलाड़ी गेंद को हरे रंग के रूप में देखते हैं. इस चल रही बहस ने 2018 में काफी तूल पकड़ा जब टेनिस के दिग्गज प्लेयर रोजर फेडरर ने इस बॉल को पीला बताया.

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में, टूर्नामेंट में 54,250 से ज्यादा गेंदों का उपयोग किया गया था. ये टेनिस बॉल 11 देशों और चार महाद्वीपों से होकर 81,384 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं. इसके बाद उन्हें फिलीपींस के बाटन में इकट्ठा किया जाता है. वहां से, उन्हें यूके भेज दिया जाता है और उन्हें विंबलडन में आने के लिए तैयार किया जाता है.