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Yashasvi Jaiswal: यूपी में जन्मे, लेकिन मुंबई ने पाला, अब ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज भी बोले अगला सुपरस्टार.... भारतीय क्रिकेट का सितारा कैसे बने जायसवाल?

सिर्फ 23 साल के यशस्वी भले ही आज भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली युवाओं में गिने जाते हों, लेकिन यह तारीफें और शोहरत उन्हें खैरात में नहीं मिली. क्रिकेटर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए यशस्वी को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा है.

Yashasvi Jaiswal Yashasvi Jaiswal

नवंबर 2024 में शुरू होने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों से पूछा गया कि उनके हिसाब से भारत का कौनसा खिलाड़ी आने वाले समय में 'सुपरस्टार' बन सकता है, तो स्टीव स्मिथ, मिचेल स्टार्क, और जॉश हेज़लवुड जैसे खिलाड़ियों ने बिना किसी झिझक के यशस्वी जायसवाल का नाम लिया.

यशस्वी की उम्र अभी सिर्फ 23 साल है लेकिन वह छोटी सी उम्र में ही कई उम्मीदें जगा चुके हैं. हालांकि यह प्रशंसा उन्हें आसानी से नहीं मिली. वो मकाम जहां से यशस्वी का सफर सिर्फ शुरू ही हुआ है, वहां तक पहुंचने के लिए भी उन्हें कांटों पर लंबे वक्त तक चलना पड़ा है. 

"पापा, मैं मुंबई में ही रहूंगा..."
यशस्वी का जन्म उत्तर प्रदेश के भदोही में 28 दिसंबर 2001 को हुआ. जब यशस्वी 10 साल के थे तब वह अपने पिता के साथ अपने पसंदीदा क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के शहर मुंबई आए. यशस्वी आईसीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में बताते हैं, "मुझे हमेशा यही लगता था कि क्रिकेट खेलना मुझे पसंद है. मैं क्रिकेट से प्यार करता हूं. मैं पहले सचिन सर को देखता था तो सोचता था कि मैं मुंबई जाऊं और मुंबई के लिए खेलूं. "

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वह बताते हैं, "जब मैं पापा के साथ यहां आया तो मैं आज़ाद मैदान जाता था. मुझे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था और मैं वहां खेलना चाहता था. मैंने आज़ाद मैदान में प्रैक्टिस शुरू की. लेकिन एक दिन मेरे पिता ने कहा कि वापस घर चलो. मैंने कहा कि मैं यहीं रहकर मुंबई के लिए क्रिकेट खेलूंगा." यहां यशस्वी ने स्पष्ट तौर पर अपना रास्ता चुन लिया है. लेकिन उनके सामने एक और चुनौती थी. पिता यूपी लौट गए तो यशस्वी रहेंगे कहां?

कभी डेयरी, कभी टेंट में रहे यशस्वी
राजस्थान रॉयल्स को दिए गए एक इंटरव्यू में यशस्वी बताते हैं कि पिता के घर लौटने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए चाचा के घर को अपना ठिकाना बनाया. लेकिन यहां वह लंबे समय के लिए नहीं रह सकते थे. चाचा ने एक डेयरी फार्म में नौकरी और रहने का इंतजाम भी कर दिया, लेकिन यशस्वी का ज्यादातर समय क्रिकेट खेलने और सीखने में ही जाता था. फिर एक रात यशस्वी को डेयरी फार्म से भी निकाल दिया गया. वह रात यशस्वी ने आजाद मैदान में गुजारी. 

यशस्वी बताते हैं कि इस समय कोच पप्पू उनके काम आए. कोच पप्पू ने कुछ समय के लिए उन्हें अपने घर में रखा. फिर उनके लिए एक स्थायी ठिकाने का इंतजाम किया. यशस्वी कहते हैं, "जब मुझे डेरी फार्म से निकाल दिया गया तो पप्पू सर ने कुछ महीने मुझे अपने घर पर रखा. उस वक्त आज़ाद मैदान में एक मैच हो रहा था और पप्पू सर ने मुझसे कहा कि अगर मैं इसमें अच्छा प्रदर्शन करता हूं तो मुझे रहने के लिए एक टेंट मिल जाएगा. उस मैच में मैंने काफी अच्छा प्रदर्शन किया और मुझे टेंट मिल भी गया." 

वह बताते हैं, "टेंट में रहना आसान नहीं था क्योंकि वहां बिजली या टॉयलेट भी नहीं था. गर्मियों के मौसम में टेंट बेहद गर्म हो जाता था. बारिश में पानी टेंट के अंदर आ जाता था. वहां रहना मुश्किल था लेकिन मेरे दिमाग में बस एक ही चीज चल रही थी कि मुझे क्रिकेट खेलना है." 

फिर कोच ज्वाला से हुई मुलाकात
वह समय यशस्वी के लिए इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उनके पास किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं थी. हालांकि उन्होंने कभी अपने घरवालों तक यह बात नहीं पहुंचाई क्योंकि वह क्रिकेट खेलते रहना चाहते थे. यशस्वी कहते हैं, "उस वक्त मेरे घरवालों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे मुझे सपोर्ट करें. अपना खर्च चलाने के लिए मैं शाम को पानी पूरी बेचा करता था."

वह बताते हैं, "कई बार शर्मिंदगी भी होती थी कि जिन लोगों के साथ मैं सुबह क्रिकेट खेल रहा हूं, वही मेरे पास पानी पूरी खाने आ रहे हैं. मुझे खराब लगता था कि मैं सुबह सेंचुरी बनाकर आ रहा हूं और शाम को पानीपूरी बेच रहा हूं... मैं यह सब करके बहुत थक चुका था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं." 

मुंबई में रहते हुए क्रिकेटर बनने का सपना शायद अधूरा ही रह जाता अगर यशस्वी की मुलाकात 2013 में कोच ज्वाला सिंह से नहीं होती. यशस्वी बताते हैं कि एक दिन आज़ाद मैदान में प्रैक्टिस करते हुए कोच ज्वाला ने उन्हें देखा. जब कोच ज्वाला को यशस्वी के हालात का पता चला तो उन्होंने न सिर्फ उनका क्रिकेट की फील्ड पर मार्गदर्शन किया, बल्कि युवा बल्लेबाज की देखरेख का जिम्मा भी अपने हाथों में ले लिया. 

2018 से चल पड़ी गाड़ी
यशस्वी को भारत के लिए खेलने का सबसे पहला मौका 2018 में श्रीलंका अंडर-19 दौरे पर मिला. इस सीरीज से पहले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने यशस्वी को एक बैट भी तोहफे के तौर पर दिया. इस बैट पर लिखा था, "प्यारे यशस्वी, इस सफर का आनंद लो और हमेशा अपनी पूरी कोशिश करो." 

यशस्वी ने शायद इसे ही अपना मूलमंत्र बना लिया. श्रीलंका अंडर-19 दौरे से यशस्वी एक शतक ठोककर लौटे. वह दो साल तक बल्ले से लगातार रन बनाते रहे और नतीजतन उन्हें अंडर-19 वर्ल्ड कप 2020 के लिए चुना गया. वर्ल्ड कप के फाइनल में भले ही भारत बांग्लादेश से हार गया लेकिन यशस्वी इस टूर्नामेंट में छाए रहे. टूर्नामेंट के छह मैचों में 133.33 की औसत से 400 रन बनाने के लिए यशस्वी को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया.

इस प्रदर्शन के बलबूते अगले ही साल उन्हें आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स ने 2.4 करोड़ रुपए में अपनी टीम में शामिल कर लिया. इसी साल कोविड के बाद रॉयल्स की क्रिकेट अकैडमी के दरवाजे खुल गए, जहां कई-कई घंटों तक प्रैक्टिस कर यशस्वी ने अपने खेल को और निखारा. छोटी उम्र में यशस्वी के कौशल पर भरोसा जताने का श्रेय रॉयल्स फ्रेंचाइजी को भी जाता है.

साल 2020 में फ्रेंचाइजी से जुड़ने के बाद भले ही यशस्वी तीन सीजन तक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके, लेकिन फ्रेंचाइजी ने उनपर अपना भरोसा कायम रखा. आखिरकार 2023 में यशस्वी एक सूर्य की तरह आईपीएल के आसमान पर छा गए. इस साल उन्होंने 13 गेंदों में आईपीएल की सबसे तेज फिफ्टी जड़ी. आईपीएल में शतक जड़ने वाले चौथे सबसे युवा बल्लेबाज बने. उन्होंने आईपीएल का सबसे बड़ा स्कोर (124 रन) बनाने वाले अनकैप्ड खिलाड़ी भी बन गए. 

इस दौरान डोमेस्टिक क्रिकेट में भी उनकी काबिलियत दिखती रही जहां उन्होंने लगातार तीन मैचों में तीन शतक जड़कर मुंबई को रणजी ट्रॉफी 2021-22 के फाइनल में पहुंचाया. ऐसे प्रदर्शन के बाद यशस्वी को भारतीय टीम से बाहर नहीं रखा जा सकता था. उन्होंने सिर्फ भारतीय टीम के दरवाजे पर दस्तक नहीं दी थी बल्कि उसे तोड़कर अंदर चले आए थे. 

यशस्वी ने सिर्फ 22 साल की उम्र में वेस्ट इंडीज दौरे पर भारत के लिए डेब्यू किया. इस दौरे पर यशस्वी ने शतक जड़कर अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की. अब तक यशस्वी सिर्फ 16 टेस्ट पारियों में चार अर्धशतक, एक शतक और दो दोहरे शतक जड़ चुके हैं. साल 2020 में जब यशस्वी ने अंडर-19 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ शतक जड़ा था तो वेस्ट इंडीज के कमेंटेटर इयान बिशप ने कहा था, "मुझे लगता है कि यह लड़का एक सुपरस्टार बनेगा." यशस्वी उस राह पर निकल चुके हैं.