भारत के युवा आर्चर पार्थ सालुंखे ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने युवा विश्व चैंपियनशिप के रिकर्व वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के पहले तीरंदाज बन गए हैं. 19 साल के पार्थ ने अंडर-21 पुरुष रिकर्व सिंगल फाइनल में कोरिया के तीरंदाज को हराकर गोल्ड मेडल जीता.
पार्थ ने रचा इतिहास-
युवा विश्व चैंपियनशिप में अंडर-21 मेन्स सिंगल रिकर्व कैटेगरी के फाइनल में पार्थ सालुंखे का मुकाबला कोरिया की तीरंदाज सोंग इंजुन से हुआ. पार्थ ने 5 सेट के मुकाबले में 7-3 से हराया. पार्थ ये कारनाम करने वाले भारत के पहले तीरंदाज बन गए हैं.
सालुंखे युवा विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले छठे भारतीय तीरंदाज हैं. जबकि रिकर्व कैटेगरी में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. पार्थ सालुंखे 17 साल की उम्र में राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियन बने थे.
यूट्यूब देखकर पिता ने सिखाई आर्चरी-
पार्थ सालुंखे 19 साल के हैं. वो महाराष्ट्र के सतारा के रहे वाले हैं. साल 2012 में पार्थ के कोच ने अचानक उनका साथ छोड़ दिया था. एक साल तक पार्थ के पास कोई कोच नहीं था. इसके बाद उनके पिता सुशांत ने ये जिम्मेदारी उठाई. उनके पिता ने साल 2014 से 2017 तक पार्थ को ट्रेनिंग दी. उनके पिता सुशांत खुद एक किक बॉक्सर थे और नेशनल लेवल पर मेडल जीता था. उन्होंने यूट्यूब की मदद से आर्चरी के गुर सीखे और अपने बेटे को ट्रेनिंग दी.
खेलो इंडिया से बदली किस्मत-
साल 2018 में औरंगाबाद में खेलो इंडिया ट्रॉयल के दौरान स्काउटिंग के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. इसी साल उनको सोनीपत के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में भेजा गया. उसके बाद पार्थ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्थ के पिता एक टीचर हैं. जबकि उनकी मां एक लाइब्रेरियन हैं.
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