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Yuzvendra Chahal देंगे Dhanashree को 4.75 करोड़ रुपये, Cooling-Off Period हटाने की मिली मंजूरी, जानें Mutual Divorce में 6 महीने का ये पीरियड क्या होता है?

Mutual Divorce में 6 महीने का Cooling-Off Period सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचाने का एक कानूनी उपाय है. हालांकि, अगर दोनों पक्ष पूरी तरह सहमत हैं और कोर्ट को लगे कि सुलह की कोई संभावना नहीं है, तो इसे हटाया भी जा सकता है.

Yuzvendra Chahal and Dhanashree Verma Yuzvendra Chahal and Dhanashree Verma

भारतीय क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा की राहें अलग हो गई हैं. गुरुवार को उनका तलाक हो गया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इससे पहले दोनों की उस अर्जी को मंजूरी दी, जिसमें उन्होंने 6 महीने के कूलिंग-ऑफ पीरियड (Cooling-Off Period) को हटाने की मांग की थी.

चहल को IPL 2025 में भाग लेना था, इसलिए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि तलाक की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए. हाईकोर्ट ने उनकी दलील स्वीकार करते हुए फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया था कि वह जल्द से जल्द तलाक की मंजूरी दे. लेकिन ये मामला सिर्फ एक क्रिकेटर के तलाक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दे से जुड़ा है- आखिर ये 6 महीने का Cooling-Off Period क्या है और इसे हटाना कितना आसान या मुश्किल है?

Mutual Divorce में 6 महीने का Cooling-Off Period क्यों होता है?
भारत में जब कोई पति-पत्नी आपसी सहमति से तलाक (Mutual Divorce) लेना चाहते हैं, तो उन्हें Hindu Marriage Act, 1955 के Section 13B के तहत तलाक की अर्जी दाखिल करनी होती है. लेकिन Section 13B(2) के तहत, कोर्ट तलाक को मंजूरी देने से पहले 6 महीने का कूलिंग-ऑफ पीरियड अनिवार्य रूप से लागू करता है.

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Cooling-Off Period का मकसद क्या है?

1. जल्दबाजी में तलाक से बचाव- कभी-कभी गुस्से और भावनात्मक उथल-पुथल में पति-पत्नी तलाक का फैसला कर लेते हैं. ये 6 महीने का समय उन्हें सोचने और अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का मौका देता है.

2. सुलह की संभावना- इस अवधि में अगर दोनों पक्ष चाहें तो अपने मतभेद सुलझाकर फिर से साथ आ सकते हैं.

3. बच्चों और परिवार पर असर- अगर दंपति के बच्चे हैं, तो उन्हें भी इस दौरान यह विचार करने का मौका मिलता है कि तलाक का उन पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

4. अचानक आर्थिक फैसलों से बचाव- कभी-कभी भावनात्मक स्थिति में व्यक्ति आर्थिक रूप से गलत निर्णय ले सकता है, जैसे- ज्यादा या कम एलिमनी मांगना, संपत्ति का गलत बंटवारा आदि.

क्या हर केस में 6 महीने का Cooling-Off Period जरूरी है?
नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि अगर पति-पत्नी के रिश्ते में सुलह की कोई संभावना नहीं बची है, तो कोर्ट इस Cooling-Off Period को माफ कर सकता है.

Cooling-Off Period को हटाने के लिए किन शर्तों को पूरा करना जरूरी है?

  • दोनों पति-पत्नी कम से कम 1 साल से अलग रह रहे हों.
  • दोनों ने आपसी सहमति से तलाक लेने का ठोस फैसला ले लिया हो.
  • सभी वित्तीय और कानूनी मसले, जैसे – एलिमनी, संपत्ति का बंटवारा, बच्चों की कस्टडी आदि, पहले ही तय हो चुके हों.
  • अगर कोर्ट को लगे कि रिश्ता पूरी तरह खत्म हो चुका है और सुलह की कोई गुंजाइश नहीं है.

Cooling-Off Period हटवाने की प्रक्रिया क्या है?
अगर कोई दंपति 6 महीने का इंतजार नहीं करना चाहता, तो उन्हें फैमिली कोर्ट में एक अर्जी (Application) दाखिल करनी होगी. इस अर्जी में यह साबित करना होगा कि:

  1. दोनों पक्ष पूरी तरह से तलाक को लेकर सहमत हैं.
  2. सभी कानूनी और वित्तीय मुद्दों पर सहमति बन चुकी है.
  3. दोनों लंबे समय से अलग रह रहे हैं और सुलह की कोई संभावना नहीं बची है.

क्या कोर्ट हर मामले में Cooling-Off Period हटा देता है?
नहीं! कोर्ट हर केस को अलग तरीके से देखता है. अगर उसे लगे कि मामला जल्दबाजी का है या सुलह की संभावना हो सकती है, तो वह 6 महीने का समय देने से इंकार नहीं करेगा.

युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का मामला क्यों अलग था?

  • दोनों करीब 2.5 साल से अलग रह रहे थे.
  • तलाक को लेकर दोनों पूरी तरह सहमत थे.
  • एलिमनी और दूसरे वित्तीय मुद्दों पर सहमति बन चुकी थी.
  • चहल को IPL में भाग लेना था, जिससे उन्हें कोर्ट की कार्यवाही के लिए समय नहीं मिलता.
  • कोर्ट ने इन सभी तथ्यों को देखते हुए फैसला दिया कि Cooling-Off Period हटाने में कोई नुकसान नहीं होगा.

Mutual Divorce में 6 महीने का Cooling-Off Period सिर्फ एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचाने का एक कानूनी उपाय है. हालांकि, अगर दोनों पक्ष पूरी तरह सहमत हैं और कोर्ट को लगे कि सुलह की कोई संभावना नहीं है, तो इसे हटाया भी जा सकता है.