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AI Farming in India: एआई ने किसानों की बदली किस्मत! बंपर हो रही पैदवार... महाराष्ट्र के बारामती में कैसे तैयार हो रहे फ्यूचर फार्म्स... यहां जानिए

महाराष्ट्र में गन्ने की खेती बड़ी संख्या में किसान करते हैं. आज इन्हीं गन्ने के खेतों को फ्यूचर के फार्म्स कहा जा रहा है. ऐसा हो रहा है एआई की मदद से. दरअसल, निंबुत गांव में गन्ने की फसल अब एआई की तकनीक से लहलहा रही है. आइए जानते हैं कैसे ये कमाल हो रहा है? 

AI Farming in India AI Farming in India
हाइलाइट्स
  • एआई की हेल्प से प्रति एकड़ 150 टन हो रही गन्ने की पैदावार 

  • अब नया टारगेट है 200 टन

पहले हमारे देश के किसान पारंपरिक खेती करते थे. सिर्फ धान-गेहूं जैसी फसलों पर निर्भर रहते थे. टेक्नोलॉजी का तो बहुत ही कम सहारा लेते थे, लेकिन आज हमारे देश के एग्रीकल्चर की तस्वीर बदल गई है. हमारे देश के अन्नदाता नई-नई तकनीकें अपना रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यान AI का भी सहारा ले रहे हैं. हम आज आपको महाराष्ट्र (Maharashtra) के बारामती (Baramati) स्थित निंबुत ( Nimbut) गांव के किसानों की कहानी बता रहे हैं. यहां के किसान AI का इस्तेमाल कर बंपर पैदवार कर रहे हैं. 

AI से तैयार हो रहे भविष्य के खेत!
महाराष्ट्र में देश का 18% गन्ना पैदा होता है. आज इन्हीं गन्ने के खेतों को फ्यूचर के फार्म्स कहा जा रहा है. ऐसा हो रहा है एआई की मदद से. दरअसल,निंबुत गांव में गन्ने की फसल अब एआई की तकनीक से लहलहा रही है. हाल के ट्रायल्स में एआई की हेल्प से प्रति एकड़ 150 टन की पैदावार मुमकिन हो सकी है. अब नया टारगेट है 200 टन का है. कैसे हो रहा है ये कमाल? आइए जानते हैं. 

गांव के खेतों में चलने पर आपको एक पतला-सा मेटल का ढांचा दिखाई देता है. ये कोई सजावट का सामान नहीं, बल्कि एक हाईटेक वेदर स्टेशन है. इसके ऊपर हवा, बारिश, सूरज की रोशनी, तापमान और ह्यूमिडिटी को नापने वाले गेज लगे हैं. नीचे मिट्टी में एक खास सेंसर दबा है, जो मिट्टी की नमी, पीएच, इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी और पोटैशियम-नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों पर नजर रखता है.

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फार्म्स में हाईटेक वेदर स्टेशन
अब ये डेटा, सैटेलाइट और ड्रोन की तस्वीरों के साथ किसान के लिए कमाल का काम करते हैं. खेतों से मिले डेटा को Satellite और Drone Imagery के साथ-साथ Historical Data के साथ कनेक्ट किया जाता है और एनेलाइज करके, मोबाइल ऐप पर Simple Daily Alerts Generate किए जाते हैं, जैसे कि खेतों को ज्यादा पानी की जरूरत है, ज्यादा खाद की या फिर कीटनाशक छिड़काव की जरूरत है. सैटेलाइट मैप तो इतना सटीक है कि पिनपॉइंट करके बता देता है कि खेत के किस कोने में क्या करना है.

ये ट्रस्ट बना किसानों का साथी
ये तकनीक आजमाई तो जा रही है, लेकिन इसके पीछे भी बहुत बड़ी योजना और बहुत ज्यादा मेहनत छिपी है. ये सब हो रहा है बारामती के एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट ट्रस्ट (ADT) और माइक्रोसॉफ्ट की एआई टेक्नोलॉजी की बदौलत. ADT की शुरुआत 1970 में हुई थी, जब सूखे से जूझते किसानों को आधुनिक खेती का रास्ता दिखाने का सपना देखा गया. आज ये ट्रस्ट न सिर्फ किसानों का साथी है, बल्कि दुनिया भर के संगठनों के साथ मिलकर नए-नए प्रयोग भी कर रहा है. ड्रिप इरिगेशन से लेकर मिट्टी-रहित खेती, ग्राफ्टिंग तकनीक और दूध बढ़ाने तक, ADT ने किसानों को हर कदम पर कुछ नया सिखाया है.

बस एक क्लिक में जान लेते हैं खेत की पूरी कहानी
बारामती की इन जमीनों को अब फार्म ऑफ द फ्यूचर कहते हैं. इसमें इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी माइक्रोसॉफ्ट के Azure Data Manager for Agriculture पर चलती है, जिसे पहले FarmBeats कहते थे. किसान बस कुछ क्लिक में अपने खेत की पूरी कहानी जान लेते हैं.

कब डालनी है खाद और कब करना है कीटनाशक का छिड़काव... सबकुछ ऐप पर
माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च का ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट FarmVibes.ai पुराने डेटा को नए इनसाइट्स में बदलता है और जेनरेटिव एआई इसे और आसान बनाता है. Azure OpenAI Service टेक्निकल डिटेल्स को किसानों की भाषा में ढाल देता है. उदाहरण के लिए Satellite Data से Pinpoint की गई जगहों पर खाद डालना हो या कीटनाशक छिड़कना हो, ये सभी जानकारी अंग्रेजी, हिंदी और लोकल मराठी लैंग्वेज में मोबाइल ऐप के जरिए अवेलेबल कराई जाती है. ये किसानों के लिए इजी लैंग्वेज में क्रॉप lifecycle plan भी बनाता है, ताकि उन्हें पता हो कि आगे क्या करना है.

Azure OpenAI सर्विस से मिल रही है मदद
इस मोबाइल ऐप का नाम Agripilot.ai है, जिसे Microsoft Partner Click2Cloud ने ADT बारामती के लिए Customized किया है. अब आपको आसान भाषा में समझाते हैं कि इस तकनीक से किसानों को किस तरह से बड़ा मुनाफा हो रहा है. इस तकनीक ने एक किसान के खेत में AI ने ब्राउन रस्ट जैसी डिजीज का अलर्ट दिया, जिससे ये महिला किसान सही वक्त पर कदम उठा सकीं. AI मिट्टी के पीएच, मौसम के पैटर्न और पोषक तत्वों की जरूरतों को एनेलाइज करता है. इससे किसानों को पता चलता है कि कब पानी देना है, कब फर्टिलाइजर डालना है और कब कीटनाशक का छिड़काव करना है. नतीजा यह हुआ कि महिला किसान के गन्ने की डंडियां पहले से लंबी और मोटी हुईं, जिनका वजन 30-40% ज्यादा था. ये टेक्नोलॉजी अनिश्चित मौसम और प्राकृतिक चुनौतियों से जूझ रहे किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. ये तो हुई एआई की एक बड़ी गुड न्यूज. आइए अब आपको बताते हैं हाल के दिनों में एआई से जुड़े कुछ मेजर अपडेट्स के बारे में.

गूगल ने की AI-based सर्च इंजन की शुरुआत
सबसे पहले बात करते हैं गूगल की. गूगल ने AI-Based Search Engine की शुरुआत की है. 5 मार्च 2025 को गूगल ने अपने सर्च इंजन का एक नया प्रयोग शुरू किया. ये पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड है. इस नए AI मोड में अब तक दिखाई देने वाले 10 नीले लिंक की जगह AI-जनरेटेड आंसर्स दिखाए जाएंगे. ये फीचर फिलहाल गूगल वन AI प्रीमियम सब्सक्राइबर्स के लिए अवेलेबल है, जो सर्च पेज पर "AI मोड" टैब के जरिए इसे आज़मा सकते हैं. 

WHO का AI कॉलैबोरेटिंग सेंटर
अब बढ़ते हैं दूसरे अपडेट पर. WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 6 मार्च 2025 को Health Governance के लिए AI पर एक नया Collaborating Centre शुरू करने की अनाउंसमेंट की है. WHO की वेबसाइट के मुताबिक, ये सैंटर, Health Policies में AI के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा और इसके Ethical Aspects पर ध्यान देगा. ये इनीशिएटिव Global Level पर Health Services को बेहतर करने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. सेंटर AI के जरिए Data Analysis, Disease Prediction और Health Resources के Management को आसान बनाने पर काम करेगा.

AI कंप्यूट पोर्टल और AI कोश की शुरुआत
तीसरा अपडेट इंडिया में एआई की रफ्तार से जुड़ा है. 7 मार्च 2025 को भारत सरकार ने इंडिया AI कंप्यूट पोर्टल और 'AI कोश' नाम से एक नए इनीशिएटिव की शुरुआत की है. इस इनीशिएटिव में स्वदेशी AI मॉडल को डेवलप किया जाएगा. ये प्लेटफॉर्म 316 डेटासेट के साथ लॉन्च हुआ है. इसमें इंडियन लैंग्वेजेस के लिए ट्रांसलेशन टूल्स पर खास ध्यान दिया गया है. ये 10,370 करोड़ रुपए की इंडिया AI मिशन का हिस्सा है. इसका लक्ष्य AI रिसर्च और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना है.

चीन में मैनस AI 
चौथा अपडेट चीन से जुड़ा है. चीन में डीपसीक के बाद एआई से जुड़ा एक नया बज सामने आया है. ये बज एआई एजेंट मैनस की वजह से है. चीन में 'मैनस' नाम का एक नया AI एजेंट लॉन्च किया है, जो अपने दिमाग से काम करता है. ये एजेंट सिर्फ टेक्स्ट बनाने तक लिमिटेड नहीं है, बल्कि रियल वर्ल्ड के डिफिकल्ट टास्क्स को भी सॉल्व कर सकता है. मैनस की वेबसाइट (manus.im) पर एक डेमो वीडियो में दिखाया गया कि ये एक कस्टम वेबसाइट बना सकता है. इसे शंघाई के कारोबारी जी यीचाओ ने तैयार किया है.