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Facebook को अब Meta के नाम से जानेगी दुनिया, जानें क्या बदलेगा, क्या नहीं

जुकरबर्ग ने ये साफ कह दिया है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर अपने नाम में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं. कंपनी के मुख्य कार्यकारी और वरिष्ठ नेतृत्व, इसकी कॉर्पोरेट संरचना भी नहीं बदलेगी. लेकिन 1 दिसंबर से इसका स्टॉक नए टिकर सिंबल MVRS के तहत कारोबार करना शुरू कर देगा.

कैलिफ़ोर्निया में फेसबुक मुख्यालय के बाहर लगे फेसबुक के थम्स-अप चिन्ह को एक नीले, इंफिनिटी के आकार में बदल दिया गया है. कैलिफ़ोर्निया में फेसबुक मुख्यालय के बाहर लगे फेसबुक के थम्स-अप चिन्ह को एक नीले, इंफिनिटी के आकार में बदल दिया गया है.
हाइलाइट्स
  • फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर अपने नाम में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं

  • 1 दिसंबर से इसका स्टॉक नए टिकर सिंबल MVRS के तहत कारोबार करना शुरू कर देगा

फेसबुक के नाम को बदलने पर कई दिनों से चर्चा चल रही है. अब फेसबुक ने अपना नाम बदलकर मेटा रख लिया है. फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने गुरुवार को घोषणा इस बात की घोषणा की है. फेसबुक इंक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने कहा है कि उनकी कंपनी को अब मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक, या मेटा के रूप में जानी जाएगी.

इसके अलावा और क्या बदलेगा?

जुकरबर्ग ने कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि आज से, हमारी कंपनी अब मेटा है. लोगों को साथ लाने का हमारा मिशन वही है, हमारे ऐप्स और उनके ब्रांड, वे नहीं बदल रहे हैं. जुकरबर्ग ने कहा कि फेसबुक नाम में अब वह सब कुछ शामिल नहीं है जो कंपनी करती है. आज हम एक सोशल मीडिया कंपनी के रूप में देखे जाते हैं. लेकिन हमारा वास्तव में हम एक ऐसी कंपनी हैं जो लोगों को जोड़ने के लिए तकनीक बनाती है. हालांकि जुकरबर्ग ने ये साफ कह दिया है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और मैसेंजर अपने नाम में कोई बदलाव नहीं कर रहे हैं. कंपनी के मुख्य कार्यकारी और वरिष्ठ नेतृत्व, इसकी कॉर्पोरेट संरचना भी नहीं बदलेगी. लेकिन 1 दिसंबर से इसका स्टॉक नए टिकर सिंबल MVRS के तहत कारोबार करना शुरू कर देगा.

क्या है नाम बदलने के मायने?

बता दें की इस नए नाम का सुझाव फेसबुक के फॉर्मर सिविक इंटीग्रिटी चीफ समिध चक्रवर्ती ने दिया था. जुकरबर्ग पहले से ही वर्चुअल रिएलिटी और ऑगमेंटेड रिएलिटी में इंवेस्त कर रहे हैं, ऐसे में कंपनी का नाम बदलना कोई बड़ी बात नहीं है. अब इस नए नाम के जरिए फेसबुक इंक पूरी दुनिया के सामने खुद को सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रखने वाली हैं. 

क्या है मेटावर्स? 

मेटावर्स शब्द का जिक्र नील स्टीफेंसन ने अपने 1992 के डायस्टोपियन उपन्यास "स्नो क्रैश" में किया था. जिसमें लोग गेम जैसी डिजिटल दुनिया के अंदर बातचीत करने के लिए वर्चुअल रियलिटी हेडसेट दान करते हैं. अब जुकरबर्ग ने भी मेटावर्स को एक "वर्चुअल दुनिया" बताया है, जिसमें आप केवल एक स्क्रीन पर देखने के बजाय अंदर जा सकते हैं. वर्चुअल रियलिटी हेडसेट, ऑगमेंटेड रियलिटी ग्लास, स्मार्टफोन ऐप या अन्य उपकरणों का उपयोग करके लोग मिल सकते हैं, काम कर सकते हैं और खेल सकते हैं.

क्या है मेटावर्स की वर्चुअल दुनिया?

मेटावर्स में आप खुद को एक वर्चुअल दुनिया में पाएंगे. आप अपनी इस वर्चुअल स्पेस को किसी के भी साथ शेयर कर पाएंगे. आप अपने चाहने वालों को इस दुनिया का हिस्सा बना सकते हैं. यानि यहां आपकी पहचान आपके वर्चुअल अवतार से होगी. यहां पर एक होलोग्राफिक स्क्रीन होगी जिसे आप इशारों या अपने सिर के झुकाव मात्र से भी एक्सेस कर सकते हैं. इसके माध्यम से दो अलग-अलग शहरों में दो लोगों के लिए एक साथ एक संगीत कार्यक्रम में भाग लेना संभव हो सकता है, यहां तक ​​कि अन्य वर्चुअल या होलोग्राफिक अवतार वाली पार्टी में भी शामिल हो सकते हैं. मेटावर्स में वर्क फ्रॉम होम का एक अलग अर्थ होगा. लॉग इन करने से आप ऑफिस का अनुभव कर सकते हैं, लगभग जैसे कि आप वहां मौजूद हो. 

रोजगार को भी अवसर देगा ये बदलाव

जुकरबर्ग ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगले दशक के अंदर मेटावर्स एक अरब लोगों तक पहुंच जाएगा और उन्हें उम्मीद है कि इस नई तकनीक से लाखों नौकरियां पैदा होंगी. बता दें कि जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान द्वारा संचालित सोशल वर्क कंपनी चैन जुकरबर्ग इनिशिएटिव ने 2017 में मेटा नामक एक कनाडाई वैज्ञानिक साहित्य विश्लेषण कंपनी खरीदी थी. इस बदलाव के तहत कैलिफ़ोर्निया में फेसबुक मुख्यालय के बाहर लगे फेसबुक के थम्स-अप चिन्ह को एक नीले, इंफिनिटी के आकार में बदल दिया गया है.