दिवाली के शुभ आगमन के साथ-साथ, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. बाजार में तरह-तरह के पटाखे, आपको आकर्षित करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिवाली आप पटाखों की गुणवत्ता भी परख सकते हैं. राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग और अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने पटाखों के बॉक्स पर क्यूआर कोड को स्कैन करने के लिए एक 'CSIR NEERI ग्रीन क्यूआर कोड ऐप' बनाई है ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि निर्माताओं ने NEERI के मानदंडों का पालन किया है या नहीं. आवाज फाउंडेशन की सुमैरा अब्दुलाली ने बताया कि NEERI द्वारा निर्धारित रासायनिक संरचना या सूत्र के अनुसार बनाए गए पटाखे ही मान्य होंगे.
कैसे होगी पटाखों की जांच?
अब्दुलाली ने ट्वीट करते हुए लिखा कि अगर पटाखे वास्तव में हरे हैं, तो उनका प्रमाणीकरण पॉप अप हो जाएगा. अगर उनके पास क्यूआर कोड नहीं है, तो वे निश्चित रूप से सेफ नहीं हैं. अब्दुलाली ने आगे लिखा कि पटाखों के साथ परिणामों का स्क्रीनशॉट लें और ट्वीटर पर पोस्ट कर दें, साथ ही उसमें #GreenorNotGreenCrackers लगाकर @findyourawaaz को टैग करना ना भूलें. NEERI के अधिकारियों ने बताया कि NEERI द्वारा विकसित ग्रीन क्रैकर्स केमिकल फॉर्मूला के अनुसार, पटाखों की पुष्टि को पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा संसाधित और मॉनिटर किया जाना था.
क्या नकली हैं बाजार में मिलने वाले पटाखे?
अब्दुलाली ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि इस ऐप को नीरी द्वारा विnकसित किया गया है, ग्रीन क्रैकर मानदंड भी नीरी द्वारा विकसित किए गए हैं और हमने जिन सभी का परीक्षण किया है, वे इस ऐप के अनुसार नकली हैं. हाल ही में एनजीओ आवाज फाउंडेशन ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के साथ मिलकर ध्वनि प्रदूषण के लिए पटाखों का परीक्षण किया था. उनकी संयुक्त परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश उत्पादों में नकली क्यूआर कोड या बार कोड थे. क्यूआर कोड कीमत के अलावा निर्माता, मैन्यूफैक्चरिंग डेट, एक्सपाइरी डेट और पटाखों की रासायनिक सामग्री की भी जानकारी देगा. साथ ही यह क्यूआर इस चीज की भी पुष्टि करता है कि क्या ये पटाखे शोर और उत्सर्जन के मामले में निर्धारित सरकारी मानकों का पालन करते हैं या नहीं.
परख लें पटाखों पर दिया बारकोड
नीरी के निदेशक को लिखे एक पत्र में, अब्दुलअली ने बताया है कि केवल कुछ ही पटाके हैं जो ग्रीन क्रैकर होना का दावा करते हैं, और उनपर नीरी की मुहर भी है. लेकिन ज्यादातर पटाखे ऐसे हैं, जिनपर केवल बारकोड हैं, और वो सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं. अब्दुलअली ने एक ट्वीट में ये भी बताया कि ज्यादातर कोड फर्जी होते है. क्योंकि वे बिल्कुल भी काम नहीं करते थे. साथ ही कुछ उत्पादों में प्रतिबंधित रसायन, बेरियम नाइट्रेट मिला होता है.