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Explainer: यात्रियों की सुरक्षा में एक और महत्वपूर्ण कदम! ग्लोबल NCAP नहीं Bharat-NCAP करेगा कारों की रेटिंग, लेकिन क्यों पड़ी इसकी जरूरत

ग्लोबल और यूरो एनकैप की तरह भारत में भी कार क्रैश टेस्ट प्रोग्राम के लिए भारत एनकैप लेकर आया जा रहा है. सरकार ने भारत में ही क्रैश टैस्ट के आधार पर भारत में ही कारों को सेफ्टी रेटिंग देने का फैसला किया है.

कार एक्सीडेंट (Representative Image) कार एक्सीडेंट (Representative Image)

ऑटो प्रमुख महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी और टोयोटा ने आगामी भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP)को घरेलू उद्योग के लिए सही दिशा में एक साहसिक कदम करार दिया है. इस पहल का स्वागत करते हुए वाहन निर्माताओं ने कहा कि इससे देश में सुरक्षित कारों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा.

महिंद्रा एंड महिंद्रा के अध्यक्ष, ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी और उत्पाद विकास वेलुसामी आर ने न्यूज एजेंसी को बताया, "महिंद्रा में हमारा मानना ​​है कि यह सड़क परिवहन मंत्रालय के साहसिक कदमों में से एक है और हम भारत एनसीएपी के कार्यान्वयन का स्वागत करते हैं." उन्होंने कहा कि MoRTH की यह पहल समान अवसर पैदा करेगी और भारतीय ग्राहकों के लिए सुरक्षित मॉडल बनाने के लिए OEM के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करेगी. वेलुसामी आर ने आगे कहा, "यह भी उम्मीद की जाती है कि सरकार को ओईएम को कुछ लाभ देना चाहिए जो सुरक्षित कारें बनाते हैं ताकि उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. इससे ओईएम को अपनी कारों को अधिक सुरक्षित बनाने और उन्हें उचित कीमतों पर भारतीय ग्राहकों को पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा." स्कोडा ऑटो इंडिया और NIQ BASES द्वारा किए गए एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि, 10 में से 9 लोागों का मानना ​​है कि भारत में सभी कारों की सुरक्षा रेटिंग होनी चाहिए. भारत में ग्राहक कार खरीदते समय दो बातों का विशेष ख्याल रखते हैं एक वाहन की क्रैश टेस्टिंग रेटिंग और दूसरी है वाहन में एयरबैग की संख्या कितनी है. 

प्रवक्ता ने कहा, जबकि अधिकांश ओईएम पहले से ही ग्राहकों की पसंद के आधार पर उच्च मानकों का पालन कर रहे हैं, बी-एनसीएपी की शुरूआत से सुरक्षा के उच्चतम मानकों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए और अधिक पारदर्शिता आएगी.

क्या है भारत एनकैप?
भारत एनकैप एक प्रकार की ऐसी संस्था है, जो गाड़ियों को सेफ्टी रेटिंग देगी. इसे भारतीय सड़कों के हिसाब से बनाया जाएगा ताकि लोग कार खरीदते समय सेफ्टी फीचर्स को जान सके और उन्हें सेफ कार खरीदने में मदद मिलें. सेफ्टी रेटिंग के लिए कारों को Global NCAP के पास भेजना पड़ता है जो कि उन्हें महंगा भी पड़ता है. अब भारत खुद ही कार की सेफ्टी रेटिंग दे सकेगा.

सिक्योरिटी फीचर पर  गया लोगों का ध्यान
कारों की सेफ्टी को लेकर बीते कुछ वर्षों में लोग काफी संजीदा हुए हैं. लोग कार खरीदने से पहले माइलेज, कीमत और कलर के अलावा अब सिक्योरिटीज फीचर्स पर भी बहुत ध्यान देने लगे हैं. आपकी कार कितनी सेफ है, इसका पता उस कार को दी गई स्टार रेटिंग या सेफ्टी रेटिंग से पता चलता है, जिसे ग्लोबल NCAP देता है. ये UK की एक कंपनी है. जो सुविधा पहले ग्लोबल थी (GNCAP) सरकार अब उसे अपनी रेटिंग के साथ BNCAP की शुरुआत करने जा रही है. भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) को 1 अक्टूबर, 2023 से लागू किया जाना है. इसमें गाड़ियों को 1 स्टार से 5 स्टार के बीच रेटिंग दी जाएगी. जहां पर 1 स्टार का मतलब है बहुत खराब और 5 स्टार का मतलब है सबसे बढ़िया रेटिंग यानी सबसे सुरक्षित गाड़ी.

कैसे दी जाएगी रेटिंग?
बीएनसीएपी के तहत, मोटर वाहनों के निर्माताओं या इम्पोर्टर्स को केंद्र सरकार द्वारा नामित एजेंसी को फॉर्म 70-A में एक आवेदन जमा करना होगा. नामित एजेंसी समय-समय पर संशोधित ऑटोमोटिव उद्योग मानक (एआईएस)-197 के अनुसार अपने मोटर वाहन को स्टार रेटिंग दिलाएगी. वाहन की स्टार रेटिंग नामित एजेंसी द्वारा निर्दिष्ट पोर्टल पर अपलोड की जाएगी, इसमें कहा गया है कि बीएनसीएपी एक स्वैच्छिक कार्यक्रम होगा .मंत्रालय का प्रस्ताव है कि BNCAP सभी M1 कैटेगरी गाड़ियों के लिए लागू होगा, चाहे उनकी मैन्युफैक्चरिंग देश में हुई हो या फिर उन्हें विदेश से इंपोर्ट किया गया हो. M1 कैटेगरी गाड़ियों का मतलब वो सभी पैसेंजर व्हीकल्स जिसमें ड्राइवर समेत 8 लोगों तक बैठने की व्यवस्था होती है.

क्यों पड़ी BNCAP की जरूरत? 
BNCAP इसलिए लाया जा रहा है क्योंकि ये भारतीय परिवहन की परिस्थितियों, सड़क और ड्राइविंग क्षमताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. UK, यूरोप या अमेरिका जैसे देशों में जिस तरह से गाड़ियां चलाईं जाती हैं और हादसे होते हैं उनका पैटर्न भारत से बिल्कुल अलग हैं. इसलिए भारत के लिए अपना कोई सेफ्टी रेटिंग फीचर लाना जरूरी था. विदेशों में वाहनों की सेफ्टी के लिए जो टेस्टिंग होती है, वो ज्यादातर आमने-सामने की टक्कर यानी हेडऑन कॉलिजन से होती है, जबकि भारत में आमने-सामने की टक्कर से ज्यादा अगल बगल की टक्कर के मामले सामने आते हैं. भारत में लोगों के गाड़ी चलाने का तरीका और रफ्तार विदेशों से अलग है. ग्लोबल NCAP की टेस्टिंग गाड़ियों की 100-110 किलोमीटर की रफ्तार पर होती है, जबकि भारत में बहुत कम ऐसी जगहें हैं जहां इतनी स्पीड में गाड़ियां चलती हों. इसलिए भारत NCAP पूरी तरह से भारतीय सड़कों और परिवहन की प्रकृति को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.