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Carl-Gustaf M4 Weapon: एक मिनट में 6 राउंड फायरिंग, 1.5 किमी तक टारगेट पर सटीक निशाना... भारत में बनने जा रहे Carl-Gustaf Weapon System के M-4 वर्जन के बारे में जानिए

Carl-Gustaf Weapon System: इस वेपन सिस्टम को दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान बनाया गया था. इसके 4 वेरिएंट हैं. कार्ल गुस्ताफ एम-4 वेपन (Carl-Gustaf M4 Weapon) को साल 2014 में बनाया गया था. अब इसका निर्माण हरियाणा के झज्जर में किया जाएगा. साल 2025 तक इसका प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा. भारत कार्ल गुस्ताफ वेपन सिस्टम का इस्तेमाल साल 1976 से कर रहा है.

Carl-Gustaf Weapon System Carl-Gustaf Weapon System

स्वीडन की रक्षा कंपनी साब (SAAB) साल 2025 तक हरियाणा के झज्जर प्लांट में कार्ल-गुस्ताफ एम-4 हथियार सिस्टम का उत्पादन शुरू कर देगी. कंपनी ने झज्जर प्लांट का शिलान्यास किया. इस प्लांट का निर्माण 3.6 एकड़ में किया जा रहा है. स्वीडन के बाहर कार्ल-गुस्ताफ एम-4 के लिए साब कंपनी का दुनिया का पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट है.

पिछले साल अक्टूबर में स्वीडन की कंपनी को इस प्रोजेक्ट के लिए 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी मिली थी. SAAB 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी पाने वाली पहली विदेशी रक्षा कंपनी बन गई. मंजूरी मिलने के बाद साब कंपनी ने एक नई कंपनी FFVO India Pvt Ltd की स्थापना की. ये कंपनी नई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की मालिक है और कार्ल-गुस्ताफ एम-4 हथियार का प्रोडक्शन करेगी. चलिए आपको कार्ल-गुस्ताफ वेपन सिस्टम की खासियत बताते हैं.

क्या है कार्ल गुस्ताफ वेपन सिस्टम-
स्वीडन की साब कंपनी कार्ल-गुस्ताफ एम-4 हथियार सिस्टम को कंधे पर रखकर चलाई जाने वाली एक राइफल है. इसके 4 वेरिएंट हैं. एम-1 को साल 1946 में बनाया गया था. जबकि एम-2 को साल 1964 में बनाया गया. इसके तीसरे वर्जन एम-3 को साल 1986 में बनाया गया था. जबकि कार्ल गुस्ताफ एम-4 को साल 2014 में बनाया गया था. यह दुनिया के अत्याधुनिक रॉकेट प्रोपेल्ड लॉन्चर्स में से एक है.

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एक मिनट में 6 राउंड फायरिंग-
कार्ल-गुस्ताफ सिस्टम एक ऐसा हथियार है, जिसे कंधे प रखकर चलाया जाता है. यह डेढ़ किलोमीटर तक टारगेट पर सटीक निशाना साध सकता है. यह सिस्टम एक मिनट में 6 राउंड गोले दाग सकता है. इस वेपन सिस्टम को चलाने के लिए दो सैनिकों की जरूरत होती है. एक गनर और दूसरे लोडर की जरूरत होती है. इस सिस्टम से दागे गए गोले की स्पीड 840 फीट प्रति सेकंड है. अगर इसमें स्मोक और हाईएक्सप्लोसिव गोले का इस्तेमाल किया जाएगा तो इसकी रेंज 1000 मीटर है. इसके अलावा अगर रॉकेट बूस्टेड लेजर गाइडेड हथियार दागा जाएगा तो ये इसकी रेंज 2000 मीटर है. कार्ल गुस्ताफ एम-4 सिस्टम में 10 तरह के हथियार लग सकते हैं. इसमें एंटी पर्सनल एचई और एडीएम, सपोर्ट वॉरहेड यानी स्मोक, Illum, HEAT, 551C, 751 का इस्तेमाल हो सकता है.

कार्ल गुस्ताफ एम-4 के फीचर्स-
कार्ल गुस्ताफ वेपन सिस्टम के एम-4 वर्जन की लंबाई एक मीटर से कम है और इसका वजन 7 किलोग्राम से कम है. इसके लिए यह जवानों के काफी अनुकूल है. यह वेपन सिस्टम फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी से लैस है. इसमें एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम भी मौजूद है, ताकि सैनिक सुरक्षित रह सकें.  एम-4 वर्जन में लगने वाला सारे गोले 84एमएम कैलिबर के होते हैं.

48 साल से भारत इस हथियार का इस्तेमाल-
इंडियन आर्मी साल 1976 से कार्ल गुस्ताफ वेपन सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है. एम-3 वर्जन को भारत में म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड और एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड मिलकर बनाते हैं. भारत की आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड कार्ल गुस्ताफ एम-3 को भारत में ही बना रही है. अब भारत में इसके एम-4 वर्जन का भी उत्पादन होने जा रहा है. भारत के अलावा इस कंपनी के हथियार को ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, अर्जेंटीना, बांग्लादेश, ग्रीस, कुवैत, नेपाल, यूके, अमेरिका जैसे देश इस्तेमाल करते हैं.

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