जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है नए-नए फ्रॉड्स भी सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आ जाने से स्थिति और ही खराब हो गई है. हाल ही में एक चीनी छात्र 'साइबर किडनैपिंग’ का शिकार हो गया. 17 साल का काई ज़ुआंग 28 दिसंबर को लापता हो गया था. जब तक पुलिस ने उसका पता लगाया, तब तक चीन में उसके माता-पिता फिरौती में 80,000 डॉलर (लगभग 60 लाख रुपये) दे चुके थे.
लड़के के माता-पिता ने यूटा के रिवरडेल में उसके स्कूल को उसकी किडनैपिंग के बारे में सूचित किया. इसके बाद स्कूल ने पुलिस से संपर्क किया. जिसके बाद वह ब्रिघम शहर से लगभग 40 किमी उत्तर में एक तंबू में पाया गया.
साइबर किडनैपिंग क्या है?
साइबर किडनैपिंग वो अपराध है जिसमें अपहरणकर्ता अपने शिकार को छिपने के लिए मना लेते हैं, और फिर फिरौती के लिए उसके परिजनों से संपर्क करते हैं. पीड़ित को ऐसी तस्वीरें भेजने के लिए भी कहा जाता है जिससे ऐसा लगे कि उन्हें बंदी बनाया जा रहा है - जिसमें उन्हें बंधा हुआ या मुंह बांधा हुआ दिखाया जाता है. फिर इन्हें परिवार के साथ शेयर किया जाता है. ऐसे में दोनों पक्षों का लगता है कि अगर वे अपहरणकर्ता के कहे अनुसार नहीं करेंगे तो उनके प्रियजनों को नुकसान होगा.
अपहरणकर्ता हालांकि शारीरिक रूप से वहां मौजूद नहीं होते हैं. वे वीडियो-कॉल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पीड़ित की ऑनलाइन निगरानी करते हैं.
यूटा के लड़के के मामले में भी, उसके माता-पिता को एक तस्वीर भेजी गई थी. इसे देखकर कोई भी कह सकता है कि उसकी किडनैपिंग की गई है. पुलिस का मानना है कि अपहरणकर्ता ने 20 दिसंबर से उसके साथ छेड़छाड़ करनी शुरू की. उन्होंने उसका कॉल डेटा और बैंक रिकॉर्ड का विश्लेषण करके उसका पता लगाया.
नॉर्मल किडनैपिंग से कैसे है अलग?
एफबीआई की वेबसाइट के मुताबिक, वर्चुअल किडनैपिंग कई रूपों में होती है. इसका उद्देश्य जबरन पैसे वसूली करना होता है. इसमें पीड़ितों को किसी प्रियजन को मुक्त करने के लिए फिरौती देने के लिए कहा जाता है. इतना ही नहीं उनके साथ उन्हें हिंसा या मौत की धमकी भी दी जाती है. नॉर्मल किडनैपिंग से अलग, वर्चुअल किडनैपिंग में वास्तव में किसी की किडनैपिंग नहीं होती है. इसके बजाय, धोखे और धमकियों के माध्यम से, वे पीड़ितों को फिरौती देने के लिए मजबूर करते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ने से ऐसे अपराध बढ़ सकते हैं. किडनैपर्स लोगों को वॉयस नोट्स भेजकर उनके प्रियजनों को ऐसा लगवा सकते हैं कि उनके बच्चे या उनके दोस्त की किडनैपिंग हुई है.
खुद की सुरक्षा कैसे करें?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, साइबर किडनैपिंग से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अज्ञात नंबरों से आई कॉल न उठाएं. स्कैमर अपनी कॉल को और भी असली बनाने के लिए आपके द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर किए गए डेटा का उपयोग कर सकते हैं. इसलिए आप अपने और अपने बच्चों के बारे में ऑनलाइन जो कुछ भी शेयर करते हैं, उससे सावधान रहें.
इसके अलावा, अगर आपके पास भी ऐसा किडनैपिंग का कॉल आता है तो पेमेंट करने से पहले अपने प्रियजनों के बारे में पता करने की कोशिश करें और पुलिस से संपर्क करें.