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Cyber Fraud and Mobile Connections: साइबर अपराध से निपटने की पहल, टेलीकॉम कंपनियां काटेंगी 18 लाख मोबाइल कनेक्शन!

टेलीकॉम प्रोवाइडर को कहा गया है कि वे यह पता लगाएं कि क्या एक ही हैंडसेट के साथ हजारों सिम कार्ड का उपयोग किया जा रहा है और क्या उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके हिसाब से कनेक्शन काटा जाए.

Mobile Fraud (Photo/Unsplash) Mobile Fraud (Photo/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • खतरनाक पैटर्न का लगा है पता 

  • समस्या का दायरा है बड़ा

साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी से निपटने के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा रहे हैं. अब इसी कड़ी में भारत सरकार ने मोबाइल कनेक्शन के दुरुपयोग को टारगेट करते हुए अपना पहला राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है. टेलीकॉम ऑपरेटर्स एक ही ऑपरेशन में 18 लाख से ज्यादा मोबाइल कनेक्शन काट सकते हैं. ये मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से फ्रॉड को लेकर होने वाला काफी बड़ा एक्शन है. यह पहल कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के बाद की गई है. साइबर फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए ये कड़े उपायों किए गए हैं. 

खतरनाक पैटर्न का लगा है पता 

एक बड़ी जांच में मोबाइल नेटवर्क के उपयोग में दुरुपयोग के खतरनाक पैटर्न का पता चला है. अधिकारियों ने पाया कि कई मामलों में, एक ही हैंडसेट का उपयोग हजारों मोबाइल कनेक्शनों के साथ किया जा रहा था.  इसकी मदद से अलग-अलग फ्रॉड किए जा रहे हैं. 9 मई को, दूरसंचार विभाग (DoT) ने टेलीकॉम कंपनियों को 28,220 मोबाइल फोन को डीएक्टिवेट करने और दुरुपयोग के चलते दो मिलियन से ज्यादा मोबाइल कनेक्शनों को फिर से वेरीफाई करने का निर्देश दिया. 

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समस्या का दायरा

मोबाइल नेटवर्क के दुरुपयोग का पैमाना बहुत बड़ा है. एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, "हमने पाया है कि ऐसे मामलों में, आम तौर पर केवल 10 प्रतिशत कनेक्शन ही वेरीफाई हो पाते हैं और बाकी कनेक्शन कट जाते हैं, दोबारा वेरिफिकेशन विफल हो जाता है." यह भारत में हो रहे बड़े पैमाने पर साइबर फ्रॉड से मेल खाता है. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के अनुसार, डिजिटल फाइनेंशियल थेफ्ट के पीड़ितों को 2023 में 10,319 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इसके अलावा, उस साल साइबर फ्रॉड की 694,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई थीं.

जालसाजों की तकनीके

जालसाज टेलीकॉम कंपनियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पकड़ से बचने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. इसमें अलग-अलग टेलीकॉम सर्कल से सिम कार्ड का उपयोग करना और सिम और फोन कॉम्बिनेशन को बार-बार बदलना शामिल है. उदाहरण के लिए, पहचान से बचने के लिए उड़ीसा या असम सर्कल के सिम कार्ड का इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर में किया जा सकता है. एक अधिकारी ने बताया, "धोखाधड़ी करने वाले केवल कुछ आउटगोइंग कॉल करते हैं और फिर सिम बदल देते हैं क्योंकि एक ही नंबर से बहुत अधिक आउटगोइंग कॉल का पता टेलीकॉम सिस्टम को चल जाता है."

पिछली जांच और कार्रवाई

इससे पहले भी इस तरह के ऑपरेशन किए जा चुके हैं. पिछले साल, टेलीकॉम प्रोवाइडर्स ने साइबर फ्रॉड की वजह से लगभग 200,000 सिम कार्ड डीएक्टिवेट कर दिए थे. एक दूसरे मामले में, हरियाणा के मेवात में जांच के बाद 37,000 से अधिक सिम कार्ड काट दिए गए.

सरकार ने टेलीकॉम प्रोवाइडर को फ्रॉड का पता लगाने और रोकने में ज्यादा सतर्क रहने के लिए कहा है. मनीकंट्रोल से एक अधिकारी ने कहा, "टेलीकॉम कंपनियों को सिम उपयोग पैटर्न की पहचान करने में अधिक सतर्क रहना चाहिए, खासकर उन सिम के लिए जो किसी के घर के बाहर खरीदे गए हैं." टेलीकॉम प्रोवाइडर यह पता लगाएं कि क्या एक ही हैंडसेट के साथ हजारों सिम कार्ड का उपयोग किया जा रहा है और क्या उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

क्या उपाय किए जा सकते हैं?

टेलीकॉम प्रोवाइडर्स को संदिग्ध यूजर्स को सूचित करना और अपने नेटवर्क के भीतर धोखाधड़ी की निगरानी और रोकथाम प्रणाली लागू करना की जरूरत है. प्रोवाइडर्स को आउटगोइंग कॉल डेटा का विश्लेषण करना चाहिए, खासकर जब ग्राहक हर समय अलग -अलग फोन लाइनों पर कई आउटगोइंग कॉल करते हैं. इन उपायों का उद्देश्य साइबर अपराधों की पहचान और रोकथाम को बढ़ाना. साथ ही एक सुरक्षित डिजिटल माहौल बनाना है.