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Cyber Security Summit: जीरो ट्रस्ट फॉर्मुला से लेकर सोशल मीडिया पर सावधानी तक, साइबर फ्रॉड से बचना है तो मानें एक्सपर्ट्स की बात

आज की तारीख़ में साइबर फ्रॉड पुलिस के सामने एक बड़ा चैलेंज है. आम लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए दिल्ली पुलिस बहुत सारे अभियान चला रही है बहुत सारे जागरूकता के कार्यक्रम चला रही है लोगों को उस से जुड़ना चाहिए. 

Cyber Security Summit in Delhi Cyber Security Summit in Delhi

देश में लगातार साइबर अपराध बढ़ता जा रहा है साइबर अपराधियों से निपटने के लिए तमाम तरह के तरीक़े भी पुलिस और एजेंसीज अपना रही है लेकिन अक्सर ही साइबर अपराधी पुलिस और एजेंसी से काफ़ी आगे पाए जाते हैं साइबर अपराधियों ने साइबर फ्रॉड करने के ऐसे ऐसे तरीक़े अपनाए जिनका तोड़ निकालना आम जनता के पास तो बिलकुल नहीं था. दिल्ली में ऐसी समस्या से निपटने के लिए एक समिट का आयोजन किया गया इस समिट को फ़्यूचर क्राइम नाम की संस्था ने आयोजित किया जोकि IIT कानपुर के साथ मिलकर साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए काम कर रही है. इस समिट में देश भर के साइबर एक्सपर्ट पुलिस, लॉयर और तमाम दूसरे विभाग के लोग पहुंचे.

‘ZERO TRUST का फ़ॉर्मूला’
दिल्ली के ज्वाइंट सीपी बी शंकर जायसवाल बताते हैं कि वाक़ई आज की तारीख़ में साइबर फ्रॉड पुलिस के सामने एक बड़ा चैलेंज है. आम लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए दिल्ली पुलिस बहुत सारे अभियान चला रही है बहुत सारे जागरूकता के कार्यक्रम चला रही है लोगों को उस से जुड़ना चाहिए. जब भी आपको लगे कि डिजिटल स्पेस में आपके साथ साइबर क्राइम होने जा रहा है तो उससे बचने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि आप ज़ीरो ट्रस्ट का फ़ॉर्मूला अपनाएं. सामने वाला आपसे कुछ भी कहे आपके किसी भी नज़दीकी रिश्तेदार का नाम ले आप उस पर बिलकुल भी विश्वास न करें और उसकी कही गई बातों को वेरिफाई ज़रूर करें. ज़ीरो ट्रस्ट के ज़रिए हम काफ़ी हद तक साइबर अपराधियों को मात दे सकते हैं.

‘30 सेकेंड से ज़्यादा का वीडियो सोशल मीडिया पर नहीं डालना चाहिए’
डॉक्टर त्रिवेणी सिंह UP पुलिस के पूर्व अधिकारी हैं. फ़िलहाल वह साइबर सिक्योरिटी को लेकर काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर 30 सेकेंड से ज़्यादा का वीडियो कभी नहीं डालना चाहिए. वैसे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए हमारे बहुत सारे मुश्किल काम आसान हो गए हैं लेकिन इसके ग़लत इस्तेमाल से लोगों को बहुत नुक़सान हो रहा है. लोग आपकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से आपका वीडियो-फ़ोटो उठाकर उसका क्लोन बनाकर या फिर आपकी आवाज़ का क्लोन बनाकर आपके अपनों के साथ ठगी करते हैं या फिर आप को ब्लैकमेल करते हैं. लोगों को सोशल होना चाहिए न कि अपनी हर चीज़ सोशल मीडिया पर डालनी चाहिए और जिसको आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते उनके साथ सोशल मीडिया पर भी दोस्ती नहीं करनी चाहिए. 

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‘बैंक कर्मचारी भी कर रहे साइबर अपराधियों की मदद’
अभिनव सौरभ एक साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं. वह बताते हैं कि किसी भी साइबर फ्रॉड में फॉरेंसिक एविडेंस बहुत ज़्यादा मायने रखते हैं. साइबर फॉरेंसिक एक्सपर्ट इसी तरह के एविडेंस को इकट्ठा करने का काम करते हैं. अभिनव बताते हैं कि बैंक से होने वाले कई फ्रॉड के मामले में बैंक कर्मचारी भी साइबर फ्रॉडियों के साथ मिले हुए पाए गए हैं. कई मामलों में बैंक कर्मचारियों ने ही साइबर अपराधियों से कस्टमर की डिटेल और डेटा शेयर की है.

वह बताते हैं कि हालांकि अब बैंक के कर्मचारी भी पूरी तरह से सर्विलांस पर रहते हैं लेकिन आम नागरिक को भी चाहिए कि वह अपनी बैंकिंग ऐप के ज़रिए तमाम तरह के ट्रांजेक्शन और उनके लिमिट को इस तरह से सख़्त करें ताकि उसके साथ कोई बड़ा फ्रॉड न होने पाए. अभिनव बताते हैं कि ज़रूरी नहीं हर बार साइबर फ्रॉड में बैंक के कस्टमर की गलती हो. कई बार ये बैंक के अपने कमियों की वजह से होता है इसलिए अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है और आपको लगता है कि आपने अपनी निजी जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं की तो आप अपने पैसे के लिए बैंक को भी कटघरे में खड़ा कर सकते हैं. 

‘पुलिस अभी साइबर क्राइम में एविडेंस ठीक से नहीं क्लेक्ट करती’
पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर रोहित हीरा Ditac यानी Digital investigation training and analysis Center में कार्यरत हैं. वह बताते हैं कि साइबर क्राइम में एवीडेंस क्लोक्ट करना बहुत महत्वपूर्ण होता है. लेकिन आम तौर पर पुलिस को इस तरह के ट्रेनिंग नहीं दी जाती कि वह ठीक से एविडेंस इकट्ठा कर पाए. कई बार उनसे गलतियां हो जाती हैं. हालांकि यह अच्छी बात है कि कई जगह फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ऐसे मामलों के लिए बनाए गए हैं ताकि ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निस्तारण हो सके.