दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसको लेकर दिल्ली सरकार अक्सर ही प्रयास करती रहती है. इस बार प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार ने अपने पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को बैन करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद भी बढ़ा दी है. सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने हाल ही में दिल्ली सरकार के मंत्रियों और आला-अधिकारियों के इस्तेमाल के लिए 12 इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदी है.
NGT ने बैन कर दी पेट्रोल-डीजल गाड़ियां
GAD के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, "हमने ऐसे वाहनों की पहचान करना और उन्हें बैन करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जिन्होंने स्क्रैपिंग के लिए अपना जीवनकाल पूरा कर लिया है." नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के अनुसार, दिल्ली में 10 साल से पुरानी डीजल और 15 साल से पुरानी पेट्रोल गाड़ियों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया है.
सरकारी फ्लीट में इलेक्ट्रिक गाड़ियां
अगस्त 2020 में इलेक्ट्रिक वाहन नीति की शुरुआत के बाद, दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों और स्वायत्त निकायों ने अपने फ्लीट (Fleet) में पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को बैन कर दिया है, और इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलना शुरू कर दिया है. दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, "पुरानी गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत ज्यादा है, इसीलिए इन्हें एकदम से बैन नहीं किया जा सकता. इसीलिए इन्हें एक-एक बदला जा रहा है."
सभी सरकारी विभागों में चलेंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियां
पिछले साल फरवरी में, दिल्ली सरकार ने अपने सभी विभागों और स्वायत्त निकायों के फ्लीट के लिए केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियां किराए पर लेने या खरीदने के निर्देश दिए थे. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि, "दिल्ली सरकार के सभी विभाग अब केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियों का उपयोग करेंगे. 2,000 से अधिक पेट्रोल और डीजल गाड़ियां को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदल दिया जाएगा."
वीआईपी सीरीज के पंजीकरण नंबरों को बदल रही सरकार
GAD कई पुरानी गाड़ियों को वीआईपी सीरीज के पंजीकरण नंबरों जैसे कि 0001 को बदलने पर भी काम कर रहा है. इस तरह की बहुत सी गाड़ियां दिल्ली सचिवालय के पार्किंग लॉट में पार्क हैं. अधिकारी ने कहा कि, "हालांकि इन वाहनों को रद्द कर दिया जाएगा, लेकिन इनके वीआईपी रेजिस्ट्रेशन नंबर नई गाड़ियों को दे दिए जाएंगे. दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत, 12 चार पहिया वाहन मॉडल उपलब्ध हैं और सरकार द्वारा दी जाने वाली खरीद और स्क्रैपिंग इंसेंटिव के पात्र हैं.