इंटरनेट को कनेक्टिविटी का सबसे अच्छा माध्यम माना जाता है. लेकिन अब ये तेजी से एक खतरनाक दिशा में बढ़ता जा रहा है. इसकी वजह से लोगों की प्राइवेसी को खतरा बढ़ता जा रहा है. प्राइवेसी को लेकर इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा डॉक्सिंग (Doxxing) को लेकर हो रही है. डॉक्सिंग में लोगों की व्यक्तिगत जानकारी को उनकी सहमति के बिना इंटरनेट पर डाल दिया जाता है.
दरअसल, एक ऐसा ही मामला ऑस्ट्रेलिया में सामने आया है. इसका शिकार यहूदी समुदाय के लोग हुए हैं. फिलिस्तीन समर्थक समूहों ने सैकड़ों यहूदियों की पर्सनल डिटेल्स ऑनलाइन लीक कर दी गई है. इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए डॉक्सिंग को गैरकानूनी घोषित करने के लिए कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है.
डॉक्सिंग क्या है?
डॉक्सिंग, शब्द "दस्तावेज ड्रॉपिंग" (dropping documents) से लिया गया है. ये एक तरह का ऑनलाइन उत्पीड़न है, जिसमें किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी निजी जानकारी, जैसे फोन नंबर, एड्रेस या व्यक्तिगत फोटो को जानबूझकर इंटरनेट पर डाला जाता है. इतना ही नहीं इसमें लोगों उत्पीड़न और धमकी जैसी चीजों का भी सामना करना पड़ता है. इससे कई बार पीड़ित की सुरक्षा और गोपनीयता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
Doxxing एक तरह की हैकिंग ही है और इसकी जड़ें Web 1.0 काल से जुड़ी हैं, जब साइबर क्रिमिनल पीड़ित लोगों की सूचना वर्ड डॉक्यूमेंट (word document) में स्टोर कर लेते थे. बाद के दिनों में इन वर्ड फाइल्स को .docx नाम मिला और यहीं से doxxing शब्द की उत्पत्ति हुई. साइबर सिक्युरिटी फर्म Kapersky के मुताबिक doxxing शब्द 90 के दशक की शुरुआत के इर्द गिर्द में सामने आया और यह हैकर्स की ओर से किए जाने वाले online attack का ही एक रूप है.
600 लोगों की जानकारी लीक
डॉक्सिंग को अपराध घोषित करने का ऑस्ट्रेलियाई सरकार का निर्णय एक परेशान करने वाली घटना के बाद आया है. हाल ही में फिलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ताओं ने 600 यहूदी ऑस्ट्रेलियाई लोगों का व्यक्तिगत विवरण लीक कर दिया है. जिसके बाद कई राजनेताओं और समुदाय के नेताओं ने इसकी कड़ी निंदा की. इसी को देखते हुए सरकार ने समाधान के रूप में त्वरित कार्रवाई करने का सोचा. प्रस्तावित कानून का उद्देश्य ऐसा करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर जुर्माना लगाकर और टेक-डाउन नोटिस जारी करके व्यक्तिगत गोपनीयता सुरक्षा को मजबूत करना है.
डॉक्सिंग - एक अपराध
प्रस्तावित कानून के तहत, डॉक्सिंग को एक अपराध माना जाएगा जिसके लिए जेल की सजा हो सकती है. इसके आलावा, डराने-धमकाने जैसी चीजों के लिए भी जुर्माना लगाया जाएगा और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को आपत्तिजनक सामग्री को तुरंत हटाने की जरूरत होगी. यह कानून नफरत फैलाने वाले भाषण से निपटने और व्यक्तियों को ऑनलाइन उत्पीड़न और गोपनीयता के उल्लंघन से बचाने के लिए लाया जा रहा है.
इन देशों में पहले से हैं कानून
केवल ऑस्ट्रेलिया ही नहीं बल्कि इससे पहले ही दूसरे देशों में डॉक्सिंग को अपराध घोषित किया जा चुका है. अमेरिका में, कई राज्यों ने डॉक्सिंग पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए हैं, जिसमें अपराधियों के लिए अलग-अलग सजा हैं. इसी तरह, ब्रिटेन, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों ने ऑनलाइन उत्पीड़न से निपटने और व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पेश किया है.