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Green Hydrogen: बिजली बनानी होगी और भी सस्ती! इंजीनियरों ने बनाया ऐसा डिवाइस, कम लागत से बनाई जा सकेगी ग्रीन हाइड्रोजन 

नेचर कम्युनिकेशंस में इस स्टडी को पब्लिश किया गया है. इसमें कहा गया है कि उन्होंने एक इंटीग्रेटेड फोटोरिएक्टर बनाया है जिससे 20.8% सोलर-से-हाइड्रोजन कन्वर्जन एफिशियन्सी हासिल की गई है.

Green Hydrogen Green Hydrogen
हाइलाइट्स
  • कम लागत से बनाई जा सकेगी ग्रीन हाइड्रोजन 

  • टीम को लीड करने वाले आदित्य मोहिते हैं

गुजरात में इंजीनियरों की एक टीम ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जिससे सूरज की रोशनी से हाइड्रोजन बनाया जा सकता है. जी हां, आदित्य मोहिते ने इस टीम को लीड किया है. फीडस्टॉक को फ्यूल में बदलने के लिए सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे बिजली बनाई जा सकेगी. इतना ही नहीं बल्कि इस डिवाइस से बनने वाला जो ग्रीन हाइड्रोजन है वह कम लागत पर आता है.

टीम को लीड करने वाले राइस यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर आदित्य मोहिते हैं. नेचर कम्युनिकेशंस में इस स्टडी को पब्लिश किया गया है. इसमें कहा गया है कि उन्होंने एक इंटीग्रेटेड फोटोरिएक्टर बनाया है जिससे 20.8% सोलर-से-हाइड्रोजन कन्वर्जन एफिशियन्सी हासिल की है.

कैसे करता है काम? 

दरअसल, केमिकल बनाने के लिए एनर्जी सोर्स के रूप में सूरज की लाइट का उपयोग करना स्वच्छ  एनर्जी इकॉनमी के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है. हालांकि, राइस यूनिवर्सिटी के इंजीनियरों ने एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो लाइट को अब्सॉर्ब करता है और इसकी सतह पर एलेक्ट्रोकेमिकल वाटर-स्प्लिटिंग केमिस्ट्री को पूरा करता है. इस डिवाइस का नाम फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल सेल रखा गया है. 

ये डिवाइस लाइट को अब्सॉर्ब करता है, इसे बिजली में बदलता है, और केमिकल रिएक्शन को शक्ति देने के लिए उसी बिजली का उपयोग करता है. टीम ने टीओआई को बताया, "अब तक, ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल तकनीक का उपयोग कम होता था. अब सोलर सेल को एक रिएक्टर में बदलकर डिवाइस बनाया गया है जो पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बांटकर इकट्ठी हुई एनर्जी का उपयोग करता है. “

मौजूदा समय में कैसे बनती है ग्रीन हाइड्रोजन 

टीम ने बताया कि वर्तमान में, इस तरह के सभी डिवाइस केवल सूरज की लाइट और पानी का उपयोग करके ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करते हैं. लेकिन ये डिवाइस अलग है. इसमें रिकॉर्ड-ब्रेकिंग दक्षता है ये काफी सस्ता भी है. एक उदाहरण का हवाला देते हुए, टीम ने बताया, “जिन सोलर सेल का उपयोग शुरू में ग्रीन हाइड्रोजन विकसित करने के लिए किया गया था, उनकी लागत लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ग मीटर थी, जबकि इस डिवाइस में जिन सोलर सेल का उपयोग किया गया था, उनकी लागत 10-15 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ग मीटर थी.

एक किलोग्राम हाइड्रोजन में एक गैलन पेट्रोल के समान एनर्जी डेंसिटी होती है. लेकिन चुनौती हरित हाइड्रोजन विकसित करने की है जो आर्थिक रूप से थोड़ा महंगा है. अब दुनियाभर में ग्रीन हाइड्रोजन की लागत को कम करने का लक्ष्य रखा गया है.