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Empowering Women Farmers: कम खर्च और कम समय में कर सकेंगे खेतों में कीटनाशक का छिड़काव, मोगा में महिलाएं ड्रोन से डालेंगी पेस्टिसाइड्स 

पंजाब से चुनी गई 20 महिलाएं, मुख्य रूप से स्वयं सहायता समूहों के साथ जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं ही इन ड्रोनों को चलाने वाली हैं. ये आर्थिक मॉडल इन महिलाओं को सीधे फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है.

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हाइलाइट्स
  • 15 लाख का है ड्रोन 

  • पहले ली गई ट्रेनिंग 

अलग-अलग तकनीकों के आ जाने से अब खेती-बाड़ी थोड़ी आसान हो गई है. अब इसी कड़ी में मोगा की तीन महिलाएं- जसविंदर कौर धालीवाल, सर्बजीत कौर गिल और हरजीत कौर कीटनाशक और लिक्विड फर्टिलाइजर स्प्रे करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने वाली हैं. इसे खेती में एक क्रांति की तरह देखा जा रहा है. इसकी मदद से महिलाओं को अब अपने हाथ से ये कीटनाशक खेतों में नहीं डालने पड़ेंगे. 

15 लाख का है ड्रोन 

ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रतियां, घोलिया खुर्द और कोकरी हेरान गांवों की रहने वाली इन महिलाओं के पास 15 लाख रुपये का ड्रोन है. ये भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) ने इन्हें दिया है. इस पहल का उद्देश्य बड़े खेतों में उर्वरक और कीटनाशकों के छिड़काव के पारंपरिक तरीकों पर खर्च होने वाले समय को कम करना है.

पहले ली गई ट्रेनिंग 

कृषि में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए इफको ने एक राष्ट्रव्यापी परियोजना शुरू की है. इस पहल के हिस्से के रूप में, मोगा की तिकड़ी सहित 300 महिलाओं को ड्रोन चलाने की ट्रेनिंग दी गई है. इफको के स्टेट मार्केटिंग मैनेजर एचएस सिद्धू ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि 2,500 ड्रोन की खरीद का ऑर्डर दिया गया है, जिनमें से 110 पंजाब को मिलेंगे. 

आर्थिक सशक्तिकरण की पहल 

पंजाब से चुनी गई 20 महिलाएं, मुख्य रूप से स्वयं सहायता समूहों के साथ जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं ही इन ड्रोनों को चलाने वाली हैं. ये आर्थिक मॉडल इन महिलाओं को सीधे फायदा पहुंचाने के लिए डिजाइन किया गया है. बता दें, एक ड्रोन एक दिन में 20 एकड़ को कवर कर सकता है. इनकी मदद से जहां पैसे की बचत होगी वहीं श्रम भी ज्यादा नहीं लगेगा.

कृषि में होगा बड़ा बदलाव 

मोगा डिप्टी कमिश्नर कुलवंत सिंह को महिला ड्रोन पायलटों के आने से क्षेत्र में कृषि पर परिवर्तनकारी प्रभाव की उम्मीद है. हरियाणा के मानेसर में प्रधानमंत्री महिला किसान ड्रोन केंद्र में दो सप्ताह की ट्रेनिंग को पूरा करने के बाद ये महिलाएं 200 रुपये से 250 रुपये प्रति एकड़ के मामूली शुल्क पर उर्वरकों का छिड़काव करने के लिए तैयार हैं.

घोलिया खुर्द गांव की सरबजीत कौर गिल कहती हैं कि पारंपरिक खेती के तरीकों से जुड़ी शारीरिक श्रम लागत को कम करने के लिए ऐसी तकनीक को अपनाना जरूरी है.