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मोबाइल चार्जर के बाद अब गैजेट्स की बैटरियों को लेकर होगा बड़ा बदलाव, जानें फ्यूचर प्लान

यूरोपीय संघ (European Union) यूजर्स के द्वारा बदली जाने वाली बैटरी को अनिवार्य करने की योजना बना रही है. इस कानून के आने के बाद इसमें स्मार्टफोन, गैजेट्स, वाहनों, ईवीएस और औद्योगिक बैटरी शामिल होगी. जिसका असर अधिकांस कंपनियों पर पड़ेगा.

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हाइलाइट्स
  • फोल्डेबल डिवाइसों पर पड़ेगा ज्यादा असर

  • स्मार्टफोन के क्वालिटी पर असर पड़ सकता है

यूरोपीय संघ (European Union) ने हाल ही में USB-C को सभी स्मार्टफोन के लिए अनिवार्य किया है. इतने पर ही यूरोपीय संघ रुकने वाला नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक वह स्मार्टफोन, गैजेट्स, वाहनों, ईवीएस और औद्योगिक बैटरी को यूजर्स के द्वारा बदली जाने वाली बैटरी को अनिवार्य करने की योजना बना रही है. अगर ऐसा होता है तो निर्माताओं के पास इसके अनुपालन के लिए तीन साल का समय दिया जाएगा. यूरोपीय संघ के जरिए हाल ही सभी स्मार्टफोन के चार्जिंग के लिए USB-C टाइप को अनिवार्य करने पर Apple के आने वाले प्रोडक्ट पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. 

अगर यूजर के जरिए बदली जाने वाली बैटरी को अनिवार्य करने पर इसमें सभी प्रकार की बैटरी शामिल होगी. जिसमें पोर्टेबल बैटरी, स्टार्टिंग बैटरी, लाइटिंग, वाहनों में लगने वाली इग्निशन बैटरी, एलएमटी बैटरी, ईवी बैटरी और औद्योगिक बैटरी भी शामिल होगी. अगर ये कानून यूरोपीय संघ पारित कर देता है तो इस तरह की बैटरियों का इस्तेमाल करने वाले सभी निर्माताओं के पास यूजर के जरिए बदली जाने वाली बैटरियों को समायोजित करने के लिए अपने प्रोडक्ट पर फिर से काम करने के लिए तीन साल तक का समय होगा. 

देखने को मिल सकता है भारी विरोध
इस कानून को लाने के बाद यूरोपीय संघ को USB-C को सभी स्मार्टफोन के लिए अनिवार्य करने के विपरीत काफी विरोध देखने को मिल सकता है. USB-C रेगुलेशन के समय तो केवल Apple का ही विरोध देखने को मिला था, क्योंकि अधिकांश Android बनाने वाली कंपनियां पहले ही USB-C पोर्ट का इस्तेमाल करने लगी थी. लेकिन इस बार यूजर के जरिए बदली जा सकने वाली अनिवार्य करने पर सभी निर्माताओं का विरोध देखने को मिल सकता है, क्योंकि उन्हें अपने प्रोडक्ट को फिर से बनाने की आवश्यकता होगी. 

स्मार्टफोन की क्वालिटी पर पड़ेगा असर
इस समय स्मार्टफोन बनाने वाली अधिकांश कंपनियां स्टाइलिश फोन पेश कर रही है. अगर यूजर के द्वारा बदली जाने वाली बैटरियों को अनिवार्य किया जाता है तो स्मार्टफोन के क्वालिटी पर असर पड़ सकता है. साथ ही कंपनियों को इसके मुताबिक ही फोन को डिजाइन करना पड़ेगा. वहीं स्मार्टफोन में आने वाली वाटर रेजिसेंस डिजाइन भी कम हो सकते हैं. जिसका सीधा असर फोन की क्वालिटी पर पड़ेगा. 

फोल्डेबल डिवाइसों पर पड़ेगा ज्यादा असर
इस कानून के आने के बाद फोल्डेबल डिवाइस बनाने वाली कंपनियों पर ज्यादा असर पड़ेगा. वहीं उनके लिए यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. दरअसल फोल्डेबल स्मार्टफोन और लैपटॉप बनाना बेहद जटिल होता है. जिसमें बैटरी को रिबन और केबल के एक साथ कनेक्ट किया जाता है. अगर ये कानून आता है तो फोल्डेबल डिवाइस पहले के मुकाबले ज्यादा हैवी आ सकते है. साथ ही उनके निर्माण में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.