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गरीबी से जुड़ी है फेसबुक, इंस्टाग्राम की लत, अमीरों के मुकाबले गरीबों के बच्चे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे सोशल मीडिया

सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर एक स्टडी की गई. इस स्टडी में ये खुलासा हुआ कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल और आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे लोगों के बीच एक लिंक है.

 underprivileged teenagers are more prone to share photos and videos underprivileged teenagers are more prone to share photos and videos

आजकल पूरी दुनिया सोशल मीडिया में सिमट कर रह गई है. खासतौर से बच्चे और युवाओं में सोशल मीडिया का क्रेज खूब देखा जाता है. अब सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम की इसी लत को लेकर एक रिसर्च किया गया जिससे ये पता चला कि अलग- अलग सुविधाओं से वंचित घरों के बच्चों में सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप की लत ज्यादा है.  

ये रिपोर्ट अपने आप में ऐसी पहली तरह की रिपोर्ट है. जो सोशल मीडिया के इस्तेमाल और आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे लोगों के बीच की गई है. इस रिसर्च में 40 देशों के 179, 000 से ज्यादा बच्चों को शामिल किया गया. इससे पता चला कि जिन स्कूलों के बच्चों में वित्तीय और सामाजिक विभाजन जितना गहरा  है , वो सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में ये सलाह दी गई कि सरकार को बच्चों में बढ़ रहे स्क्रीन स्पेंडिंग टाइम को कम करने के लिए कोई-ना -कोई कदम जरूर उठानी चाहिए. 


रिसर्च  ने एक नई सोशल मीडिया उपयोग नीति की जरूरत की तरफ इशारा किया जो गरीबी सोशल मीडिया के प्रभाव को कम कर सके. अध्ययन की प्रमुख लेखिका मिशेला लेनज़ी ने एएनआई के हवाले से कहा, "नीति निर्माताओं को असमानताओं को कम करने और बच्चों और युवाओं में  अनहेल्दी सोशल मीडिया के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने के लिए कोई पहल जरूर करनी चाहिए"

युवा सबसे ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. अमेरिकी उपयोगकर्ताओं पर स्टेटिस्टा के सोशल मीडिया एडिक्शन रिसर्च के मुताबिक, 18-22 आयु वर्ग के बीच के 40% लोगों ने कहा कि वे सोशल मीडिया के 'कुछ हद तक' आदी हैं, जबकि 23-38 आयु वर्ग के 37% लोगों ने ये कहा कि सोशल मीडिया उनके लिए एक नशा है. भारत की डिजिटल 2022: की डेटा रिपोर्ट में ये कहा गया है  कि जनवरी 2022 में 46 करोड़ से ज्यादा सोशल मीडिया यूजर्स थे, जो भारत की कुल आबादी का 33.4 प्रतिशत था. 

इस अध्ययन का मकसद किशोर और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं से जुझ रहे लोगों में सोशल मीडिया के इस्तेमाल (PSMU) के बीच संबंधों को देखना था, जिसका असर व्यक्तिगत स्तर से लेकर, स्कूल और राष्ट्रीय स्तर पर देखा जा रहा है. शोध ने यह भी पता लगाया कि कैसे सहकर्मी और परिवार के समर्थन ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल की लत लगाई है. 

इस रिसर्च में रिसर्चर ने बच्चों को प्रश्नावली दी, और उसे भरने के लिए कहा. जिन युवाओं ने छह से ज्यादा आइटम को लिस्ट किया था, उन्हें पीएसएमयू (सोशल मीडिया की लत)  होने की मान्यता दी गई थी. 

घर या परिवार की गतिविधियों को मद्देनजर रखते हुए भौतिक संपत्ति के आधार पर एक सूचकांक का इस्तेमाल करके  अभाव के पैमाने को मापा गया. शोधकर्ताओं ने दोस्तों और परिवार से सामाजिक समर्थन के स्तर का भी आकलन किया. उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था और इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले राष्ट्र की जनसंख्या के प्रतिशत पर विचार करके नतीजे निकाले. सोशल मीडिया का इस्तेमाल  उन किशोरों में आम पाई गई जिन्हें अपने सहपाठियों के मुकाबले काफी कम विशेषाधिकार मिले हुए है और ज्यादा आर्थिक विषमताओं वाले स्कूलों में जाते थे.