दिल्ली से करीब सौ किमी दूर हरियाणा के झज्जर जिले में एक गांव है झासवा. इस गांव में अभी तक पूरी तरह से तकनीक नहीं पहुंच पाई है लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद तकनीक तक एक 12 साल का लड़का जरूर पहुंच गया है. महज़ 12 साल की उम्र में इस बच्चे ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसे करने में किसी इंसान की पूरी जिदंगी बीत जाती है.
आठवीं कक्षा में पढ़ रहे कार्तिक जाखड़ ने तीन लर्निंग एप बनकर अपना नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Guinness World Records) में भी दर्ज कर लिया है. इतना ही नहीं 12 साल की उम्र में कार्तिक को अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप भी मिल रही है.
अब आप ये सोच सकते हैं कि कार्तिक ने ऐप लैपटॉप, टैबलेट या किसी महंगे फोन से बनाया होगा, लेकिन आप गलत हैं. दरअसल कार्तिक ने यह ऐप मामूली सात या आठ हज़ार रुपए वाले मोबाइल से बनाया है जिसकी स्क्रीन तक टूटी हुई है. इससे ये साफ है कि तमाम संसाधनों की कमी के बावजूद कार्तिक आज सफलता की अपनी अलग ही लकीर खींच रहे हैं.
तमाम बंदिशों के बावजूद किया सपना पूरा
झांसवा जैसे छोटे से गांव में रहने वाले कार्तिक के पिता खेती करते हैं. कार्तिक की तीन बहनें हैं. कार्तिक अपने मां-बाप के सबसे छोटे बेटे हैं. लेकिन उनकी आंखों में बड़े-बड़े सपने हैं. बतातें चलें कि कार्तिक के घर में ना पढ़ने के लिए न टेबल चेयर है और न ही 24 घंटे बिजली की सुविधा. कार्तिक की आसमान जितनी अनंत दुनिया चार इंच के फोन से शुरू होकर उसी में खत्म होती है.
पिता ने पढ़ाई के लिए खरीदा था स्मार्टफोन
कार्तिक बताते हैं कि वैसे तो तीसरी कक्षा से ही उन्हें कुछ अलग करने का मन था, इसके लिए कार्तिक ने कोशिश भी शुरू कर दी थी. लेकिन जब कोरोना काल में स्कूल कॉलेज बंद हो गए और सभी जगह लॉकडाउन लग गया तब कार्तिक को भी ऑनलाइन क्लास लेना पड़ा. लेकिन तब घर में सिर्फ बटन वाला फोन था. कार्तिक की पढ़ाई के लिए पिता ने साधारण आठ दस हजार का फोन खरीदा. कार्तिक ने बताया कि पढ़ाई करने के बाद उन्होंने काफी समय यूट्यूब पर कोडिंग और एप डेवलपिंग के बारे में पढ़ा. यूट्यूब से ही सेल्फ ट्रेनिंग लेकर अपना खुद का एप्लीकेशन बनाने की कोशिश की. ऐप बनाते वक्त मोबाइल कई बार हैंग हुआ, बंद हुआ. कई बार तो कार्तिक को पूरी पूरी कोडिंग दोबारा से करनी पड़ती लेकिन उसने कभी भी हार नहीं मानी.
दिन रात मेहनत करके बनाए तीन ऐप
कार्तिक ने दिन रात मेहनत करके तीन अलग अलग लर्निंग एप डेवलप किए. पहला ऐप जनरल नॉलेज से संबंधित है जिसे नाम दिया है लूसेंट जीके ऑनलाईन, दूसरा एप श्री राम कार्तिक लर्निंग सेंटर . जिसमें कोडिंग और ग्रफिक्स डिजाइनिंग की शिक्षा दी जाती है और तीसरा एप डिजिटल एजूकेशन से संबंधित है जिसका नाम है श्री राम कार्तिक डिजिटल एजूकेशन. इन लर्निंग एप्लीकेशन के जरिए वो एक संस्था से जुड़कर करीब 45 हज़ार जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं. उन्हें 12 साल की ही उम्र में कई पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें से कुछ हैं चाईल्ड प्रॉडिजी अवॉर्ड, ओमएजी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स जिसमें सात अलग अलग तरह के रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं. दुनिया के सबसे छोटे एक डेवलपर के रूप में कार्तिक गिनिस बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज करवा चुके है. इसके अलावा कई और उपलब्धियां कार्तिक के नाम दर्ज हैं.
इससे भी बड़ा है कार्तिक के सपनों का आसमान
आपको जानकर खुशी होगी कि कार्तिक के कदम यहीं नहीं रुके. उन्होंने बताया कि एक बात उन्होंने इंटरनेट पर पढ़ा कि किस तरह से एक लड़की ने महज सोलह साल की उम्र में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली. बस उसके बाद कार्तिक ने बी ऐसा करने की ठानी. इसलिए देश की हर यूनिवर्सिटी ने फोन घुमाकर एडमिशन की बात की. उम्र कम होने की वजह से कहीं पर भी बात नहीं बनी. फिर उन्होंने विदेश में ढूंढना शुरू किया. इस बातचीत के दौरान कार्तिक को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बारे में पता चला. हार्वर्ड में एंट्रेंस एग्जाम में पास हुए और स्कॉलरशिप भी मिली. अब कार्तिक हार्वर्ड से ही वो बीएससी इन कंप्यूटर साइंस का कोर्स कर रहे हैं.
कार्तिक के पिता बताते हैं कि उनके लिए यह बहुत ही गर्व की बात है . उनके पिता बताते हैं कि वे एक किसान परिवार से हैं। तीनों बेटियों को पढ़ाने लिखाने और शादी करवाने के बाद मन में यही था कि बेटा भी कुछ पढ़ लिख ले. वे कहते हैं कि मैं तो इसे सभी सुविधाओं के साथ पढ़ाना चाहता था. लेकिन पैसों कि तंगी के चलते उतना नहीं कर पा रहा हूं जितना मुझे करना चाहिए. वे बताते हैं कि मेरे बेटे ने मुझसे आज तक कुछ नहीं मांगा. उसे एप बनाते वक्त छोटे से फोन में कई दिक्कतें आई लेकिन वो लगा रहा.
कार्तिक की मां को बेटे पर है नाज़
कार्तिक की मां सुशीला देवी पढ़ी लिखी नहीं है और शायद उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि उनका बेटा किन बुलंदियों को छू रहा है. लेकिन वे बस इतना जानती हैं कि वो जो कर कर रहा है उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है.
कार्तिक बताते हैं कि वे भले ही अमेरिका की हावर्ड यूनिपवर्सिटी से पढ़ाई कर रहा हूं लेकिन आगे जाकर वे भारत में रहकर ही अपने देश के लिए कुछ करने का सपना देखते हैं. कार्तिक का सपना है कि वे कंप्यूटर के क्षेत्र में ही कुछ ऐसा करें जो आज तक कभी नहीं किया गया है.