
भारत में सड़कों पर ट्रैफिक का क्या हाल है, हम सभी जानते हैं. देश में ट्रैफिक नियम तोड़ने और सड़क हादसों की खबरें भी आम हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल लगभग साढ़े चार से 5,00,000 सड़क हादसे होते हैं. इनमें डेढ़ लाख लोग अपनी जान गवाते हैं और तीन लाख से ज्यादा लोग घायल होते हैं.
इनमें से 30 फीसदी हादसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर होते हैं. इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार लोगों में जागरूकता फैलाने से लेकर कानून कड़े करने तक कई प्रयास करते आई है. अब खबर है कि एआई भारत में ट्रैफिक की खस्ताहाल व्यवस्था को दुरुस्त करने में बड़ी हेल्प कर सकता है. भारत सरकार देश के सभी बड़े शहरों में एआई की मदद से चलने वाले कैमरे लगाने जा रही है.
क्यों उठाया गया यह कदम?
जैसा कि आंकड़े बताते हैं, सड़क हादसे भारत में हर साल कई लोगों की जान ले लेते हैं. तेज रफ्तार यानी ओवरस्पीडिंग हादसों का सबसे बड़ा कारण है. ये 70 फीसदी से ज्यादा हादसों की वजह है. नशे में गाड़ी चलाना भी एक बड़ा कारण है. इसकी वजह से 2022 में 3000 से ज्यादा हादसे हुए और इसमें 1500 लोगों की मौत हुई.
इसके अलावा बिना हेलमेट गाड़ी चलाना, सीट बेल्ट न लगाना, गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल करना और सिग्नल तोड़ने जैसे उल्लंघन भी बहुत आम हैं. दिल्ली में 2023 में किए गए एक सर्वे में शामिल 81 फीसदी लोगों ने नशे में गाड़ी चलाने की बात स्वीकार की थी. चूंकी लोगों में अब भी ट्रैफिक नियमों को लेकर जागरूकता कम है, इसलिए सरकार ने एआई कैमरों की मदद लेने का फैसला किया है.
कैसे काम आएंगे एआई कैमरे?
एआई भारत में ट्रैफिक की खस्ताहाल व्यवस्था को दुरुस्त करने में बड़ी मदद कर सकता है. भारत सरकार जिन एआई बेस्ड ट्रैफिक कैमरों का सहारा लेने पर विचार कर रही है वे ना सिर्फ नियम तोड़ने वालों को पकड़ेंगे बल्कि मौके पर ही फाइन भी लगाएंगे. यह तकनीक सड़क सुरक्षा के लिए एक क्रांतिकारी कदम है.
दुनिया भर के कई देशों ने एआई ट्रैफिक कैमरा को अपनाया है और इससे सड़कों पर सुधार भी देखा गया है. अमेरिका में यह सिस्टम 2018 से ही काम कर रहा है. टेक्सस जैसे शहरों में न्यू ट्रैफिक एआई सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया गया है. जर्मनी में भी कुछ ऐसी ही व्यवस्था 2019 से लागू है.
चीन में 2017 से ऐसा ही एक सिस्टम काम कर रहा है. सिंगापुर में 2016 से एआई ट्रैफिक को प्रीडिक्ट करता है और सिग्नल को उसी हिसाब से बदलता है. ब्रिटेन में भी 2020 से ऐसे सिस्टम को इस्तेमाल में लाया जा रहा है. अब भारत भी इस तरह के एक सिस्टम के लिए तैयार है जहां एआई कैमरे ट्रैफिक सिग्नल सहित कई अन्य नियम तोड़ने वालों का चालान काटेंगे.
कुछ शहरों में लग चुके हैं एआई कैमरे
भारत में ट्रैफिक जागरूकता की स्थिति चिंताजनक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में हर साल करीब पांच लाख सड़क हादसे होते हैं. इनमें डेढ़ लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गवाते हैं. कुछ शहरों ने पहले ही कदम उठाए हैं. जैसे केरल में सैकड़ों कैमरे लगाए गए हैं और इससे हादसों और नियम तोड़ने की घटनाएं कम हुई हैं.
बेंगलुरु में बेंगलुरु अडैप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (BATCS) और 25 से ज्यादा एआई स्पीड ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. चंडीगढ़ में भी 2000 से ज्यादा एआई सीसीटीवी कैमरे काम कर रहे हैं.
सड़क सुरक्षा में क्या भूमिका निभा सकता है एआई?
भारत की सड़क और ट्रैफिक व्यवस्था में कई कमियां हैं जो हादसों का कारण बनती हैं. पहला है खराब सड़कें और खराब सिग्नल. कई सड़कों पर ट्रैफिक साइन बोर्ड गायब हैं या धुंधले हो चुके हैं. गड्ढ़ों वाली सड़कें और खराब डिज़ाइन हादसों को बढ़ाते हैं. ज्यादातर शहरों में ट्रैफिक सिग्नल पुराने हैं और रियल टाइम डेटा पर काम नहीं करते हैं.
सीसीटीवी कैमरा भी कई जगह कम हैं या खराब रहते हैं. ट्रैफिक पुलिस की कमी के कारण नियम तोड़ने वालों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है. भारत की सड़कों को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है और एआई इसमें मदद कर सकता है. एआई कैमरे हेलमेट ना पहनने, सीट बेल्ट ना लगाने या मोबाइल इस्तेमाल करने वालों को पकड़ेंगे और आटोमेटिक चालान भेजेंगे, लेकिन इनका काम यहां तक सीमित नहीं होना चाहिए.
इसके अलावा एआई मोबाइल ऐप्स के जरिए ड्राइवरों को रियल टाइम अलर्ट दे सकता है. एआई कैमरे हादसे को तुरंत डिटेक्ट कर सकते हैं और पुलिस या एम्बुलेंस को भी खबर कर सकते हैं. बेहतर सड़क डिज़ाइन, ट्रैफिक सिग्नल में सुधार, और नियम तोड़ने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है.