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INS Beas: साल 2026 तक आईएनएस ब्यास को आधुनिक बनाएगी सरकार, जानिए क्या कुछ होगा बदलाव

आईएनएस ब्यास को करीब 313 करोड़ रुपए खर्च करके आधुनिक बनाया जाएगा. इसके बाद साल 2026 में ये फ्रिगेट इंडियन नेवी में फिर से तैनात किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट में 50 से अधिक एमएसएमई शामिल होंगे. जबकि 3500 लोगों को रोजगार मिलेगा.

सरकार आईएनएस ब्यास को आधुनिक बनाएगी (Photo/Wikipedia) सरकार आईएनएस ब्यास को आधुनिक बनाएगी (Photo/Wikipedia)

भारत अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने में जुटा है. इसके लिए लगातार ने हथियार खरीदे जा रहे हैं और पुराने हथियारों को अपग्रेड किया जा रहा है. इसी कड़ी में रक्षा मंत्रालय ने युद्धपोत आईएनएस ब्यास को अपग्रेड करने का फैसला किया है. सरकार 313.42 करोड़ रुपए खर्च करके इस युद्धपोत को आधुनिक बनाएगी. ये काम कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड को दिया गया है. आईएनएस ब्यास ब्रह्मपुत्र क्लास की पहली फ्रिगेट है, जिसे भास के डीजल प्रोपल्शन सिस्टम में बदला जा रहा है.

अपग्रेडेशन के बाद फिर से होगी तैनाती-
अपग्रेडेशन के बाद आईएनएस ब्यास को फिर से भारतीय नौसेना में तैनात किया जाएगा. इसमें आधुनिक हथियारों का बेड़ा और बेहतर युद्ध क्षमता मौजूद होगी. आधी सेवा पूरी होने के बाद आईएनएस ब्यास को अपग्रेड किया जा रहा है. मंत्रालय के मुताबिक इस प्रोजेक्ट से इंडियन नेवी की उपकरणों की मेंटनेंस की क्षमता भी बढ़ेगी और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की रिपेयरिंग की क्षमता को भी परखा जाएगा.

इस प्रोजेक्ट से मिलेंगे जॉब के अवसर-
इस प्रोजेक्ट से रोजगार भी मिलेगा. इस प्रोजेक्ट में 50 से अधिक मध्यम और छोटे उद्यमों को काम मिलेगा. इस प्रोजेक्ट से 3500 से ज्यादा नौकरियां मिलेंगी. इस परियोजना को मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत आत्मनिर्भर  भारत पहल के हिस्से के रूप में शुरू की गई है.

क्या-क्या होगा बदलाव-
इस परियोजना के तहत आईएनएस ब्यास को आधुनिक बनाया जाएगा. अभी आईएनएस ब्यास में भाप वाला इंजन इस्तेमाल हो रहा था. लेकिन अब उसकी जगह पर डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा. मंत्रालय का कहना है कि 2026 में मिड लाइफ अपग्रेड और पुन:सशक्त करने का काम पूरा होने पर आईएनएस ब्यास एक आधुनिक हथियार से सुसज्जित और उन्नत लड़ाकू क्षमता वाले युद्धपोत के तौर पर फिर से एक्टिव होगा.

ब्रह्मपुत्र क्लास का युद्धपोत है आईएनएस ब्यास-
आईएनएस ब्यास इंडियन नेवी का ब्रह्मपुत्र क्लास का युद्धपोत है. इसका निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स में किया गया था. इस युद्धपोत का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह से स्वदेशी है. यह गोदावरी क्लास से युद्धपोत का एक संशोधन है. यह आधुविक सेंसर सुइट्स और मिलान हथियार प्रणालियों से सुसज्जित है. इस फ्रिगेट का नाम ब्यास नदी के नाम पर खा गया है. इस नाम वाला ये दूसरा युद्धपोत है. इस नाम वाला पहला युद्धपोत तेंदुआ क्लास का था, जिसे साल 1960 में कमीशन किया गया था. जिसे साल 1992 में हटा दिया गया. इसके बाद साल 2005 में आईएनएस ब्यास नए अवतार में इंडियन नेवी में शामिल किया गया.

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